इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद एसपी आरती सिंह को धमकाने के आरोप में हिरासत में लेने का आदेश दिया, न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप माना।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: फर्रुखाबाद की एसपी आरती सिंह को तत्काल हिरासत में लेने के निर्देश
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले की पुलिस अधीक्षक (SP) और 2017 बैच की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने उन्हें तत्काल हिरासत में लेने का आदेश जारी किया। यह मामला एक हैबियस कॉर्पस याचिका (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एसपी आरती सिंह ने उसे धमकाकर याचिका वापस लेने का दबाव बनाया। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस कार्रवाई को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप माना और कहा कि किसी भी अधिकारी को इस तरह का दुराचार करने का अधिकार नहीं है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का मामला
मामले की शुरुआत एक हैबियस कॉर्पस याचिका से हुई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसका कोई करीबी—संभावतः पत्नी, बहन या बच्चा—पुलिस या प्रशासनिक दबाव में गायब है या अवैध हिरासत में है। ऐसी याचिकाओं में अदालत पुलिस से रिपोर्ट मांगकर व्यक्ति की लोकेशन और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करती है। लेकिन इस मामले में घटनाक्रम ने नया मोड़ तब लिया, जब याचिकाकर्ता ने खुद अदालत को बताया कि फर्रुखाबाद एसपी आरती सिंह ने मुलाकात के दौरान उसे धमकाया और केस वापस लेने का दबाव बनाया।
अदालत की तीखी टिप्पणी — “आप किसी को धमका नहीं सकतीं”
जस्टिस जेजे मुनीर ने मंगलवार दोपहर कोर्ट नंबर 43 में यह सुनवाई की। जब याचिकाकर्ता के आरोपों और प्रमाणों की चर्चा हुई, तो अदालत ने कहा, “यह प्रथम दृष्टया न्यायिक प्रक्रिया में सीधा हस्तक्षेप है। कोई अधिकारी, चाहे वह आईपीएस क्यों न हो, अदालत के समक्ष आने वाले व्यक्ति को धमकाने का अधिकार नहीं रखता।” जज ने दोपहर 2 बजे ही आदेश दिया कि एसपी आरती सिंह को तत्काल हिरासत में लिया जाए।
राज्य सरकार से मांगा जवाब
अदालत ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद गंभीर मानते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति मुनीर ने कहा कि दोपहर 3:45 बजे पुनः सुनवाई की जाएगी, जिसमें राज्य सरकार बताएगी कि याचिकाकर्ता को धमकाने के आरोपों में कितनी सच्चाई है। अदालत ने पूछा कि क्या इस प्रकरण पर किसी प्रकार की विभागीय जांच या कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है या नहीं।
पुलिस महकमे में मचा हड़कंप
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पुलिस विभाग और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया। फर्रुखाबाद से लेकर लखनऊ तक वरिष्ठ अधिकारियों में इस फैसले को लेकर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, डीजीपी मुख्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय में इस मामले पर तत्काल बैठक बुलाई गई। सरकार अब अदालत में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की तैयारी कर रही है।
2017 बैच की आईपीएस आरती सिंह, अब तक मानी जाती थीं सख्त और ईमानदार
आईपीएस आरती सिंह 2017 बैच की अधिकारी हैं और यूपी की उन चुनिंदा महिला अफसरों में शुमार हैं जिनका अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड प्रभावी और साफ-सुथरा माना जाता रहा है। फर्रुखाबाद में पदस्थापना के दौरान उन्होंने कई चर्चित मामलों में कार्रवाई की थी। उन्होंने महिला सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और संवेदनशील मुद्दों पर सख्त रवैया दिखाया था। लेकिन अब यह मामला उनके करियर पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में सुनाया धमकी का पूरा किस्सा
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि जब वह एसपी आरती सिंह से मिला तो उन्होंने कहा—“यह मामला वापस ले लो, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।” याचिकाकर्ता के अनुसार, उसे धमकी दिए जाने के बाद वह डर गया और कोर्ट में ही अपनी बात रखने का फैसला किया। अदालत ने उसके बयान को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि यह आचरण न केवल अस्वीकार्य है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में सीधा दखल भी है।
हाईकोर्ट का निर्देश — “न्याय की प्रक्रिया पर कोई दबाव बर्दाश्त नहीं”
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा कि अदालत किसी भी अधिकारी या संस्था को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दे सकती। उन्होंने कहा, “यह अदालत जनता के विश्वास का प्रतीक है। अगर एक पुलिस अधिकारी ही अदालत में आने वाले व्यक्ति को धमकाएगा, तो न्याय की नींव हिल जाएगी।”
राज्य सरकार और पुलिस पर कड़ी टिप्पणी
अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला केवल एक अधिकारी का नहीं बल्कि पूरे प्रशासनिक सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल उठाता है। कोर्ट ने कहा, “यदि यह आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो यह न केवल अनुशासनहीनता बल्कि संविधान के तहत न्यायिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में मची हलचल
राज्य के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय एक ‘प्रेसिडेंट सेटिंग केस’ हो सकता है, जिसमें न्यायपालिका यह संदेश देना चाहती है कि अदालत के आदेश या याचिकाओं के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं, कुछ हलकों में यह भी अटकलें हैं कि मामला राजनीतिक रंग भी ले सकता है।
आरती सिंह के बचाव में बोले समर्थक अधिकारी
आईपीएस एसोसिएशन के कुछ सदस्यों ने आरती सिंह के पक्ष में कहा कि यह आरोप एकतरफा हो सकता है और मामले की जांच पूरी होने तक कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। उनका कहना है कि एसपी के खिलाफ यह आदेश ‘एकतरफा सूचना’ के आधार पर दिया गया है, इसलिए अब सरकार को अदालत के समक्ष विस्तृत तथ्य रखने होंगे।
फर्रुखाबाद प्रशासन की प्रतिक्रिया
फर्रुखाबाद के प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, आरती सिंह को फिलहाल कानूनी परामर्श दिया गया है। उन्होंने भी अदालत के समक्ष अपनी सफाई पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें वास्तव में हिरासत में लिया गया या उन्होंने कोर्ट से राहत मांगी।
कानून व्यवस्था पर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन की कार्यशैली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बीते कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां वरिष्ठ अधिकारी न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के आरोपों में घिरे हैं। अदालत का यह रुख न केवल एक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई है बल्कि यह पूरे सिस्टम को संदेश देता है कि “न्याय से ऊपर कोई नहीं।”

.jpg)
0 टिप्पणियाँ
आपका विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है, कृपया अपनी राय नीचे लिखें।