न कहो "थाईलैंड के गधे" लाने के बहाने अफसर वहां की भी सैर कर आएं

         व्यंग: चैतन्य भट्ट

अपने देश के अफसर सरकारी खर्चे पर विदेश की सैर करने के  नए नए तरीके  खोज ही लेते हैं, नेताओं को तो खैर विदेश की सैर करने के तरह तरह  के मौके मिल ही जाते हैं तो ये अफसर भला क्यों पीछे  रहें सो वे भी  स्कीमें बनाकर विदेश की सैर कर आते हैं। अब देखों न "कूनो नेशनल पार्क" में "अफ्रीका के चीतों" को लाने की योजना बन गयी, और जब देश की सबसे बड़ी अदालत  सुप्रीम कोर्ट ने भी इन चीतों को भारत लाने की अनुमति दे दी तो फिर क्या था अफसरों की तो बांछें  खिल गयी।  इन चीतों के मनोविज्ञान को समझने, उसकी आदतों से परिचित होने के लिए वन मंडल अधिकारी, रेंजर,  कर्मचारियों  और डाक्टरों  का एक दल अफ्रीका जाएगा, ये दल पूरे  पच्चीस  दिनों तक चीतों  के बारे में  अध्ययन करेगा कि चीता कैसे देखता है, कैसे बैठता है, कैसे खड़ा होता है, कब चिल्लाता है, कब सोता है, कब जागता  है कब अपने प्रेमिका "चीती"  को आँख मारता है, कितनी  लम्बी छलांग लगाता है ऐसा तो नहीं  आगामी ओलम्पिक  में लम्बी कूद के लिए प्रेक्टिस  कर रहा हो, जिस  दिन सो कर जल्दी उठ जाता हैं तो क्यों उठ जाता है, उसे कौन कौन सी बीमारी  हो सकती है, उसका इलाज कैसे होगा, उसे कोरोना तो नहीं है,  वो इंडिया जाकर बोर तो नहीं हो जाएगा, वो कितना लम्बा है, कितना चौड़ा है, उसके शरीर पर कितनी धारियां हैं। आँखें कमजोर तो नहीं हैं यदि कमजोर हैं तो कौन से "नंबर का चश्मा" उसे लगेगा। उसके रहन सहन उसकी आदतों के लिए पूरी टीम 24 घंटे उसके साथ ही रहेगी कि पता नहीं कौन से पल वो कोई ऐसा काम कर  जाए जिसका अध्ययन  ये टीम न कर पाए, यानि चीते के पल पल की खबर ये अफसरों की टीम लेगी  और उसके बाद जब पूरी तरह से उस चीते  की "सात पुश्तों" की जानकारी और उसकी कुंडली  खंगाल  लेगा ये दल  तो वंहा से चीते  आने शुरू हो जाएंगे, अफसरों की इस टीम के अफ्रीका जाने आने ठहरने खाने पीने का पूरा  खर्चा  सरकार  उठाएगी अपना धेला भी नहीं  लगना  है। अपने को तो लगता हैं कि अभी तो अफ्रीका के चीते लाने की बात  चल रही हैं कुछ दिनों बाद न कहो ये अफसर "कीनिया की बिल्ली" "थाइलैंड का  गधा"  "फिलिपाइन्स की मकड़ी" "इंडोनेशिया के काक्रोच" "चीन की  चिड़िया" "मलेशिया की मख्खी" "नीदरलैंड के केंकड़ा, कनखजूरा, पटार  का अध्ययन  करने की स्कीम  निकाल  कर  और उनके नाम पर फिर से विदेश की सैर का  प्रोग्राम  बना लें।

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