मूंछों से मोहब्बत हो तो गृहमंत्री जैसी


लेखक- वरिष्ठ पत्रकार चैतन्य भट्ट

आखिरकार एक  लम्बी  जद्दोजहद के बाद अपने प्रदेश के  खूबसूरत गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा जी ने मास्क पहन ही लिया। बिना मास्क के उनकी  सैकड़ों  फोटो और वीडियो के बाद जब कांग्रेस ने ये घोषणा की कि जो भी मंत्री जी को मास्क पहना देगा उसको कांग्रेस की तरफ से नगद 'ग्यारह हजार रूपये' का इनाम दिया जाएगा। इसके बाद मंत्री जी ने आखिर मास्क पहन  ही लिया, अब ये इनाम की राशि कांग्रेस ने मंत्री जी को दी या नहीं अभी ये कन्फर्म नहीं हो पाया हैं। दरअसल मंत्री जी को अपनी 'घनी मूछों' से बड़ी मोहब्बत है, उनको लगता था यदि वे मास्क पहन लेंगे तो उनकी शानदार मूछें लोगों को कैसे दिखेंगी लेकिन चूंकि कांग्रेस का हमला था तो मास्क पहनना ही पड़ा लेकिन वे भी कोई छोटे-मोटे खिलाड़ी तो है नहीं, उन्होंने एक ऐसा मास्क बनवा लिया जिससे उनकी घनी काली मूछें बराबर दिखती रहें, पत्रकारों ने जब उनकी मूंछों वाला मास्क देखा तो वे भी चकरा गए कि मूंछों से मोहब्बत हो तो ऐसी। 


वैसे मूंछ मर्दों की शान का प्रतीक है, जो लोग मूंछ नहीं रखते उन्हें 'मुछमुंडा' कहा जाता हैं, जब कभी किसी को चुनौती देना होती है तो लोग बाग़ मूंछ पर ताव देते हैं और ये भी कहते हैं कि अगर मेरी बात गलत साबित हो गई तो मूंछ कटा दूंगा यानि गलती वे करेंगे और जान मूंछों को देनी पड़ेगी। 


पहलवान जब कुश्ती लड़ते हैं तो पहले मूंछ पर ताव देते हैं,  बचपन में जब 'माताराम' गिलास से दूध पिलाती थी तो दूध से होंठों के ऊपर सफेद - सफेद मूंछें बन जाती थी, बचपन में एक शौक और था मूंछें उगाने का, जब मूंछें नहीं होती थी तो कोयले से या फिर सीस पेंसिल से एक दूसरे के चेहरे पर मूंछ बना लेते थे हम लोग और अपने आप को जवान समझने लगते थे। 


मूंछें भी कई प्रकार की होती हैं। पहले जमाने के राजपूत राजा महाराजा बड़ी-बड़ी मूछें रखते थे जो 'राजसी मूंछें'  कहलाती थी, कई राजा ऐसी  मूंछें  रखते थे जो 'तलवार' जैसी होती है इसलिए उन्हें 'तलवार कट'  कहा जाता था कई लोग होठों के ऊपर नाक के नीचे छोटी सी मूंछ रखते हैं जो दूर से 'मख्खी'  जैसी लगती है इसलिए उसे 'मक्खी कट'  कहा जाता है, कई लोगों की मूंछें तो बड़ी फेमस रही हैं। 


डाकुओं के जमाने में हर डाकू बड़ी-बड़ी मूंछें रखता था। मोहर सिंह, माधव सिंह, मलखान सिंह, तहसीलदार  जैसे नामी डाकू अपनी मूंछों से  लोगों को  डरा देते थे, चंदन तस्कर 'वीरप्पन' की मूछें तो देखने लायक हुआ करती थी जो उसकी एक अलग पहचान थी, 'हिटलर' और मशहूर हास्य कलाकार 'चार्ली चैपलिन' छोटी सी मूंछ  रखते थे उनकी देखा देखी  शोमेन राज कपूर ने भी उनके जैसी पतली मूंछें  रखना शुरू कर दिया था। इतिहास में 'महाराणा प्रताप', 'पृथ्वीराज चौहान' जैसे राजाओं की जो मूंछें  हुआ करती थी वे ऊपर जाकर फिर मुड़कर अर्धगोलाकार हो जाती थीं और इन्हीं मूंछों की लाज रखने के लिए  उन्होंने किसी मुगल बादशाह की अधीनता स्वीकार नहीं की।


एक मूंछ 'उल्टी घोड़े की नाल' जैसी भी होती है जैसे उल्टा 'यू अक्षर' हो,  बहुत पहले एक  फिल्म आई थी  'दाग' जो सुपरहिट साबित हुई थी जिसमें अपने जमाने के  मशहूर अभिनेता राजेश खन्ना ने उसी स्टाइल की मूंछें रखी थी ये मूँछें ऊपर से नीचे  की तरफ आती हैं। कुछ दिन पहले जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तब 'कमांडर अभिनंदन' जो पाकिस्तान की कैद से छूट कर आए थे उनकी मूंछों  पर पूरे देश के युवा लट्टू हो गए और हर युवा कमांडर अभिनंदन की तरह मूंछें रखने लगा यह स्टाइल भी जबरदस्त मशहूर हुई थी।


अब जब मूंछों  का इतना पुराना इतिहास है और मूंछों को लोग अपनी शान समझते हैं तो गृह मंत्री ने अगर अपनी मूंछ को संभालने के लिए और उन्हें दिखाने के लिए मूंछ वाला मास्क पहन भी लिया तो  कांग्रेस को इसमें कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए, वैसे भी वे बड़े दिलकश और  हसीन है गोरा रंग, स्याह काली - काली मूंछें, काले बाल, चेहरे पर कोई मुहासा, कोई दाग धब्बा नहीं है तो जाहिर है खूबसूरत व्यक्ति अपने चेहरे को लेकर सजग रहता है और होना भी चाहिए। 


लेकिन मूंछों के इस प्रकरण में  अगर 'अमिताभ बच्चन' की मशहूर फिल्म 'शराबी' का वो डायलॉग याद ना किया जाए तो शायद मूंछों का यह सिलसिला पूरा नहीं हो पाएगा कि  'मूंछें हों तो नत्थू लाल जैसी' , लेकिन ये भी दुर्भाग्य है कि अब मूंछें और दाढ़ी भी दो सम्प्रदायों में बट चुकी हैं शायद इसलिए युवा कवि राजेश शर्मा के दिल से ये पंक्तियाँ निकली हैं   


'ना जाने कैसी रवायत हो गई, मूंछें हिंदू दाढ़ी मुसलमां हो गई'

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