कफ सिरप कांड पर सियासत गरमाई: CM योगी ने SP को बताया ‘कुख्यात पार्टी’, अखिलेश पर शायराना हमला… SIT जांच में चौंकाने वाले संबंध?





कफ सिरप रैकेट पर CM योगी ने SP पर हमला बोला, SIT जांच में राजनीतिक संबंधों के संकेत, अखिलेश के आरोपों से सियासत गर्म


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कफ सिरप कांड पर गरमाई सियासत: यूपी विधानसभा सत्र से पहले भाजपा बनाम सपा टकराव तेज


उत्तर प्रदेश में शीतकालीन विधानसभा सत्र की शुरुआत से ठीक पहले कफ सिरप रैकेट पर राजनीतिक तापमान अपने चरम पर पहुंच गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी को सीधे-सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि जहरीले कफ सिरप की तस्करी और अवैध कारोबार में गिरफ्तार आरोपियों के तार समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं से जुड़ रहे हैं. इस बयान के बाद से सूबे की सियासत और भी तीखी हो गई है, क्योंकि यह आरोप उस वक्त सामने आया है जब विपक्ष पहले से ही बीजेपी सरकार पर इस मामले को लेकर गंभीर लापरवाही और राजनीतिक संरक्षण आरोपित कर रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि SIT मामले की जांच कर रही है और तथ्य सामने आने के साथ तस्वीर और साफ होगी. सत्र से पहले इस घटना पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बयानबाजी से संकेत मिल रहे हैं कि विधानसभा में इस विषय पर भारी राजनीतिक टकराव देखने को मिलेगा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हमला: ‘कुख्यात पार्टी रही है SP, अपराधियों से रिश्ते अब खुलकर सामने’


लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपियों में कई लोग समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं और उनके राजनीतिक संपर्क स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने इस मुद्दे पर सपा पर तीखा वार करते हुए कहा कि यह वही स्थिति है कि धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करते रहे. उनका संकेत था कि अखिलेश यादव लगातार सरकार पर आरोप लगा रहे हैं लेकिन असल समस्या समाजवादी पार्टी से जुड़े लोगों में छिपी है, जो अब सामने आ रही है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सपा पहले दिन से ही अपराधियों और माफियाओं से जुड़ी पार्टी रही है, चाहे प्रदेश का कोई भी बड़ा माफिया क्यों न हो, हर किसी का संबंध समाजवादी पार्टी के दौर से जोड़ा जाता है. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कफ सिरप मामले में अवैध लेन-देन और पैसों के प्रवाह की जानकारी भी जांच में सामने आएगी और सपा नेताओं की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता

NDPS कानून के तहत कार्रवाई, कफ सिरप रैकेट को बताया बड़ा मादक पदार्थ सिंडिकेट


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कफ सिरप रैकेट को एक गंभीर मादक पदार्थ मामले के रूप में परिभाषित किया और कहा कि यह केवल स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि देश के युवाओं को नशे का शिकार बनाने वाली एक गहरी साजिश है. उन्होंने बताया कि अवैध तस्करी के तहत कोडीन आधारित कफ सिरप को अवैध रूप से तैयार किया गया, वितरित किया गया और इसे नशे के रूप में बेचा जा रहा था. कफ सिरप में उपयोग होने वाले घटक NDPS अधिनियम में दर्ज हैं और इनका उत्पादन, आवंटन और आपूर्ति सख्त नियंत्रण के तहत रहती है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार, फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूपी पुलिस और STF मिलकर इस मामले में ठोस कार्रवाई कर रही हैं. कई जिलों में कफ सिरप की बड़ी खेप पकड़ी गई है, जिनकी कीमत करोड़ों में आंकी गई है

सपा से संबंध, अवैध लेनदेन और तस्वीरों पर बढ़ा विवाद


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि गिरफ्तार आरोपियों की तस्वीरें समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यक्रमों के साथ मिली हैं. उन्होंने कहा कि अपराधियों को संरक्षण देना समाजवादी पार्टी की पुरानी पहचान रही है. उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि राजनीतिक संबंध और माफियाओं की मौजूदगी सपा के साथ उजागर होती रही है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे आर्थिक व्यवहार और राजनीतिक रुपयों के प्रवाह का खुलासा होगा. उन्होंने कहा कि जब संबंध सामने आए हैं, तो पैसे भी पहुंचे होंगे. यह सिर्फ शुरुआत है और SIT सभी कड़ियों की पड़ताल कर रही है

विधानसभा सत्र से पहले बड़ा सियासी तूफान: विपक्ष से सहयोग की अपील, लेकिन टकराव तय


आज से शुरू हो रहे शीतकालीन विधानसभा सत्र को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, और विपक्ष से सहयोग की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के अवसर पर सदन में एक विशेष चर्चा कराई जाएगी. लेकिन इस सदन का सबसे बड़ा मुद्दा कफ सिरप रैकेट और राजनीतिक संरक्षण का आरोप रहेगा, जिसकी वजह से सत्र में उग्र राजनीतिक टकराव की आशंका बढ़ गई है. मुख्यमंत्री की ओर से सपा पर लगाए गए आरोप और अखिलेश यादव के कल के बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कफ सिरप रैकेट का मुद्दा सदन में सरकार और विपक्ष के बीच सबसे अधिक गरमाएगा

अखिलेश यादव का पलटवार: ‘रैकेट BJP शासित प्रदेश में फल-फूल रहा, संरक्षण सत्ता से मिला’


समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी के आरोपों को खारिज किया और कहा कि कोडीन आधारित कफ सिरप रैकेट की जड़ें बीजेपी शासन के संरक्षण में खड़ी हुई हैं. अखिलेश यादव ने दावा किया कि यह रैकेट केवल यूपी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार देश और विदेशों में फैल चुके हैं. उन्होंने कहा कि वाराणसी क्षेत्र से इस व्यवस्थित रैकेट की शुरुआत हुई और यह सरकार की जानकारी के बावजूद बड़ा होता गया. अखिलेश यादव का आरोप था कि सरकार उन लोगों को बचा रही है जो इस बड़े घोटाले में शामिल हैं और भाजपा नेताओं ने इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया जाएगा और सरकार को जवाब देना होगा

कोडीन सिरप रैकेट: खतरनाक दवाओं की डार्क दुनिया


सिरप मामले में सामने आ रहा रैकेट सिर्फ अवैध दवा कारोबार से जुड़ा नहीं है, बल्कि देश के युवाओं में नशे की लत फैलाने वाले खतरनाक नेटवर्क से संबंधित पाया जा रहा है. कोडीन आधारित कफ सिरप का उपयोग अक्सर नशे के लिए किया जाता है और पुलिस तथा नारकोटिक्स विभाग कई राज्यों में ऐसे रैकेट पकड़ चुके हैं. यूपी में सिरप रैकेट पकड़ा जाना एक बड़ा संकेत माना जा रहा है कि यह योजनाबद्ध व्यवसाय था, जिसमें बड़े स्तर पर माल की आवाजाही, स्टोरेज और आपूर्ति शामिल थी. जांच एजेंसियों के अनुसार कफ सिरप में कोडीन, ओपीऑयड डेरिवेटिव्स जैसे तत्व शामिल होते हैं, जिनका बेचने के लिए कड़ा कानूनी ढांचा है. लेकिन रैकेट में इन दवाओं को फर्जी लाइसेंस, अवैध बिलिंग और नकली बॉटलिंग के जरिए करोड़ों में बेचा गया

उत्तर प्रदेश में गिरफ्तारी अभियान तेज, राज्यों के बीच समन्वय


कफ सिरप नेटवर्क के खुलासे के बाद यूपी पुलिस और STF ने कई जिलों में लगातार छापेमारी की है. कई बड़े गोदाम सील किए गए और जांच एजेंसियों ने दवा कारोबारी नेटवर्क की फाइनेंशियल ट्रेल खंगालना शुरू कर दिया है. सूत्रों के अनुसार जब्त की गई कफ सिरप की बोतलों का आंकड़ा हजारों में पहुंच गया है. राज्यों के बीच भी संवाद बढ़ा है, क्योंकि यह रैकेट उत्तर भारत के कई राज्यों में सक्रिय पाया गया है, और एक समान पैटर्न का उपयोग किया गया है. पुलिस जांच में सामने आया है कि बड़ी खेप बाहर के राज्यों से आती थी और यूपी के इलाकों में स्टॉक कर आखिरी सप्लाई की जाती थी

SIT जांच का दायरा बढ़ा, डिजिटल फॉरेंसिक और बैंकिंग ट्रेल की जांच


राज्य सरकार द्वारा गठित SIT ने इस मामले में तकनीकी और वित्तीय दोनों कोणों से जांच शुरू कर दी है. SIT पिछले दिनों जब्त बरामदगी, कॉल रिकॉर्ड, बैंक खातों और डिजिटल चैट का विश्लेषण कर रही है ताकि रैकेट की गहराई और स्रोत को समझा जा सके. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार SIT गिरफ्तार आरोपियों से राजनीतिक संपर्कों पर भी सवाल पूछ रही है. SIT के पास अब दो बड़ी ज़िम्मेदारियां हैं – अपराधियों की भूमिका स्पष्ट करना और उनके संरक्षण तथा राजनीतिक फंडिंग के स्रोतों का पता लगाना

राजनीतिक मोर्चा गरमाया, जनता में चिंता


उपभोक्ता सुरक्षा और युवाओं पर नशे के खतरे से जुड़ा यह कांड जनता में बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अपनी-अपनी बात जनता के बीच रखने में जुटे हैं. राज्य के लाखों लोग इस मामले का सच जानना चाहते हैं, क्योंकि यह सिर्फ अवैध कारोबार का मामला नहीं है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और युवाओं के भविष्य का भी मुद्दा है. ये अवैध कफ सिरप ज्यादातर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बेचा जा रहा था, जहां लोग अनजान होकर इसे नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे

सत्र में बड़ा राजनीतिक सामना तय: सरकार बनाम विपक्ष


सत्र शुरू होने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि कफ सिरप मामला संसद और सदन दोनों में राजनीतिक बहस और तीखी टकराहट का मुख्य मुद्दा रहेगा. सरकार इस मामले को पुलिस और SIT की कार्रवाई के रूप में देख रही है, जबकि विपक्ष इसे सिस्टम की विफलता और राजनीतिक भ्रष्टाचार के रूप में पेश कर रहा है. दोनों पक्षों के आरोपों ने माहौल इस कदर गरमा दिया है कि अगले कुछ दिनों में कई नए खुलासों की संभावना बढ़ गई है

अखिलेश के बयान से तेज हुआ विवाद


अखिलेश यादव का आरोप है कि बीजेपी सरकार आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है क्योंकि इस रैकेट में सत्ता पक्ष के लोगों की भूमिका छिपी हुई है. उन्होंने कहा कि सिरप की सप्लाई का नेटवर्क BJP के प्रभाव वाले इलाकों में सक्रिय था. उन्होंने मुख्यमंत्री पर वार करते हुए कहा कि कफ सिरप रैकेट पर सरकार की चुप्पी बहुत कुछ बताती है. अखिलेश ने कहा कि बीजेपी एक तरफ शराब और नशे पर अभियान चलाने का दावा करती है, लेकिन दूसरी तरफ कोडीन आधारित सिरप के बड़े कारोबार को छुपाने की कोशिश कर रही है

आगे क्या? जांच, सियासत और जनता की नज़र


इस पूरे विवाद ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में यूपी की राजनीति कफ सिरप रैकेट पर केंद्रित रहेगी. SIT लगातार जांच कर रही है और राजनीतिक संपर्कों के उजागर होने की संभावना पर सबकी निगाहें टिक गई हैं. विपक्ष इसे सरकार की विफलता मान रहा है तो सरकार इसे सपा से जुड़े अपराधियों की करतूत बता रही है. जनता की चिंता है कि यह रैकेट किस हद तक फैल चुका है, और प्रदेश के युवाओं को नशे की ओर धकेलने के लिए कौन जिम्मेदार है.

यूपी की सियासत में यह मामला सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हलचल का कारण बन चुका है. आने वाले दिनों में जांच की दिशा के साथ इस घटना पर राजनीतिक बयानबाजी और भी तेज होगी, और शायद कई अन्य परतें सामने आएंगी.

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