गाजियाबाद की सोसाइटी में किराया मांगने गई मकान मालकिन की हत्या, शव काटकर सूटकेस में छिपाया, आरोपी दंपति गिरफ्तार
गाजियाबाद की ऑरा चिमेरा सोसाइटी में खौफनाक वारदात
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में राजनगर एक्सटेंशन स्थित ऑरा चिमेरा सोसाइटी में 17 दिसंबर 2025 की रात एक सनसनीखेज घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया। किराये के फ्लैट का बकाया किराया मांगने गई 50 वर्षीय दीपशिखा शर्मा की उनके ही किरायेदार दंपति ने हत्या कर दी। आरोप इतना ही नहीं रुका, उन्होंने शव के टुकड़े किए और उसे फ्लैट में मौजूद सूटकेस में भरकर बेड के अंदर छिपा दिया। जब तक शव मिला, पूरे इलाके में दहशत फैल चुकी थी और सोसाइटी में अफरा-तफरी मच गई। यह मामला न केवल अपराध की क्रूरता दिखाता है बल्कि शहरी जीवन की असुरक्षा पर बड़ा सवाल भी खड़ा करता है। मकान किराए पर देने के खतरे, लोगों पर भरोसे की सीमाएं और सामाजिक रिश्तों की दूरी इस घटना में भयावह रूप में सामने आई
किराया विवाद बना मौत की वजह
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी दंपति अजय गुप्ता और आकृति गुप्ता पिछले 6 महीने से किराया नहीं दे रहे थे। इसी को लेकर दीपशिखा शर्मा कई बार उनसे बातचीत की कोशिश कर चुकी थीं, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया। आखिरकार वह 17 दिसंबर की शाम करीब 6 बजे खुद किराया वसूलने उनके फ्लैट नंबर-708 पहुंचीं। उसी समय किसी बात पर विवाद इतना बढ़ गया कि आरोपी दंपति ने दीपशिखा शर्मा का गला दबाकर हत्या कर दी। इससे आगे की वारदात और अधिक भयावह थी, क्योंकि शव को गायब करने के लिए उसे काटा गया और सूटकेस में भरकर छिपा दिया गया। पुलिस के अनुसार हत्या पूर्व योजना के तहत नहीं की गई, बल्कि अचानक हुए झगड़े के बाद इसे अंजाम दिया गया, लेकिन शव छुपाने की कोशिश यह भी संकेत देती है कि आरोपी गिरफ्तारी से बचना चाहते थे
मृतका की पहचान और पारिवारिक जानकारी
मृतका दीपशिखा शर्मा मूल रूप से दिल्ली-एनसीआर की निवासी थीं और अपने पति उमेश शर्मा के साथ राजनगर एक्सटेंशन में परिवार सहित रहती थीं। उनके नाम इस सोसाइटी में दो फ्लैट थे, जिनमें से एक किराए पर दिया हुआ था। स्थानीय लोगों के अनुसार दीपशिखा काफी शांत स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व वाली महिला थीं, जिन्हें सोसाइटी में हर कोई जानता था। वह अपने किरायेदारों के साथ भी सामान्य व्यवहार रखती थीं और किसी तरह की शिकायत पहले कभी नहीं आई थी। परिजनों का कहना है कि दीपशिखा शर्मा ने कभी नहीं सोचा था कि बकाया किराया मांगना उनके जीवन की आखिरी कोशिश होगी
हत्या की रात क्या हुआ था
हत्या की रात परिजनों ने बताया कि दीपशिखा शाम को अपने नियमित समय पर घर से निकली थीं। रात करीब 9 बजे तक जब वह घर नहीं लौटीं तो पति और बेटे को चिंता होने लगी। कॉल रिसीव न होने पर घरवालों ने आसपास तलाश शुरू की और सोसाइटी के गार्ड से पूछताछ की। सोसाइटी में लगे सीसीटीवी फुटेज देखने पर पता चला कि दीपशिखा को आखिरी बार किराएदारों के फ्लैट की ओर जाते देखा गया था। फुटेज में वह वापस लौटते हुए नहीं दिखाई दीं। इससे परिजनों को अनहोनी की आशंका और गहरी हो गई। इसी बीच सोसाइटी के कुछ निवासियों ने मिलकर आरोपी दंपति से पूछताछ की, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। जब दबाव बढ़ा तो आरोपी घर से भागने की कोशिश करने लगे। स्थानीय लोगों ने दोनों को पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी
पुलिस की एंट्री और वारदात का खुलासा
सूचना मिलते ही थाना नंदग्राम पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और आरोपी दंपति को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने फ्लैट की तलाशी शुरू की और बेड के नीचे सूटकेस में छिपाया गया शव बरामद किया। शव को देखते ही पुलिसकर्मी भी सन्न रह गए। दीपशिखा शर्मा का शरीर कई हिस्सों में काटा गया था। पुलिस ने घटनास्थल से चाकू, रस्सी, प्लास्टिक की चादर और खून के धब्बों वाले कपड़े भी बरामद किए। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया और आरोपी दंपति से पूछताछ शुरू की गई। पुलिस के अनुसार आरोपी घटना के बाद शव को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहे थे और देर रात मौका मिलने पर उसे किसी दूसरी जगह ले जाने की योजना बना रहे थे
एसीपी उपासना का बयान
एसीपी उपासना ने बताया कि रात 11:15 बजे कंट्रोल रूम में एक महिला की हत्या की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने देखा कि किराया विवाद के दौरान दीपशिखा शर्मा की हत्या की गई है। आरोपी दंपति, अजय गुप्ता और आकृति गुप्ता को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने प्रारंभिक जांच में हत्या करने की बात स्वीकार कर ली है। एसीपी ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी
आरोपी दंपति की पृष्ठभूमि
पुलिस के अनुसार आरोपी दंपति मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रहने वाले हैं और पिछले डेढ़ साल से गाजियाबाद में रह रहे थे। अजय गुप्ता एक निजी फर्म में काम करते थे जबकि पत्नी आकृति गृहणी हैं। आर्थिक तंगी के कारण किराया न दे पाने की स्थिति बन गई थी। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों से दोनों के बीच घरेलू तनाव भी बढ़ गया था। पुलिस इस बिंदु पर भी जांच कर रही है कि क्या हत्या की योजना पहले से बनाई गई थी या फिर गुस्से में अचानक यह अपराध हुआ। आरोपी की मानसिक और आर्थिक परिस्थितियों की जानकारी इकट्ठी की जा रही है
पड़ोसियों ने बताई खौफनाक झलक
सोसाइटी के निवासियों का कहना है कि आरोपी दंपति घटनास्थल के आसपास कुछ दिन से अलग बर्ताव कर रहे थे। पड़ोसी बताते हैं कि दीपशिखा के पहुंचने के कुछ समय बाद ही तेज आवाजें सुनाई दीं थीं, लेकिन लोगों ने इसे घरेलू झगड़ा समझकर नजरअंदाज कर दिया। रात तक दीपशिखा घर नहीं लौटीं तो सोसाइटी के निवासियों ने संदिग्ध गतिविधियों को जोड़ते हुए सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की। इसी दौरान घटना का खुलासा हुआ
शव छिपाने की तैयारी
फ्लैट की तलाशी में यह भी सामने आया कि आरोपी दंपति ने हत्या के बाद शव को छिपाने की प्रक्रिया में घंटों बिताए। बेड में जगह तैयार की गई थी और सूटकेस में शरीर के हिस्सों को जमाकर रखा गया था। पुलिस के अनुसार आरोपी दंपति यह भी देख रहे थे कि कब मौका मिले और सूटकेस को सोसाइटी से बाहर ले जाया जा सके। हालांकि लोगों की सतर्कता और परिजनों की सक्रियता के कारण यह संभव नहीं हो पाया
दीपशिखा शर्मा का परिवार सदमे में
दीपशिखा के पति उमेश शर्मा और उनका बेटा घटना के बाद से सदमे में हैं। उनका कहना है कि दीपशिखा परिवार के लिए हमेशा मजबूत स्तंभ की तरह रहीं। वह घरेलू जिम्मेदारियां भी संभालती थीं और फ्लैट किराए पर देने का काम भी देखती थीं। शर्मा परिवार अभी भी इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा है कि इतनी छोटी सी बात पर उनकी हत्या कर दी जाएगी। परिजनों ने मांग की है कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना दोहराई न जाए
सोसाइटी में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
घटना के बाद सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने सुरक्षा और निगरानी की कमी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इतने बड़े आवासीय कॉम्प्लेक्स में नियमों का पालन सख्ती से होना चाहिए। यह घटना शहरी क्षेत्रों में अपराध के बढ़ते जोखिम की नई मिसाल है, जहां पड़ोसी एक-दूसरे को पहचानते भी नहीं और अपराध की आशंका अक्सर अनदेखी रह जाती है। पुलिस ने सोसाइटी प्रबंधन से भी बातचीत की है और भविष्य में सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम करने को कहा है
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ होंगे कई रहस्य
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद हत्या के समय, तरीके, शारीरिक चोटों और मृत्यु के कारणों की पुष्टि होगी। अभी जो प्राथमिक जानकारी है, उसके अनुसार हत्या गला दबाकर की गई और फिर शरीर के टुकड़े किए गए। ये टुकड़े कैसे और किस साधन से काटे गए, यह जानकारी भी मेडिकल रिपोर्ट से सामने आएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट जांच का अहम आधार बनेगी और आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य को और मजबूत करेगी
पुलिस तलाश रही डिजिटल सुराग
जांच टीम ने फ्लैट में मौजूद मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए हैं। पुलिस यह पता लगा रही है कि क्या आरोपी ने इंटरनेट पर हत्या या शव छुपाने से जुड़े किसी प्रकार की जानकारी सर्च की थी। इसके साथ ही ईमेल, कॉल रिकॉर्ड और चैट भी जांचे जा रहे हैं ताकि किसी तीसरे व्यक्ति की संलिप्तता या बाहरी सलाह का पता चल सके। यह भी जांच का विषय है कि आरोपी ने हत्या के बाद बाहरी मदद लेने की कोशिश की या नहीं
समाज में खौफ और चर्चा का विषय बना मामला
घटना के बाद सोशल मीडिया और लोकल न्यूज़ प्लेटफॉर्म पर यह मामला तेजी से चर्चा में आ गया। लोग घटना की बर्बरता सुनकर विचलित हैं। यह मामला शहरी जीवन की जटिलताओं, आर्थिक तनाव, किराया विवाद और मानव स्वभाव की क्रूरता का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या किसी आर्थिक परेशानी को लेकर इतनी हिंसक प्रतिक्रिया का कोई तार्किक कारण हो सकता है। समाज इसे एक चेतावनी की तरह देख रहा है कि रिश्तों में कड़वाहट और हिंसा किस तरह अपराध को जन्म दे सकती है
किराए पर रहने वालों से जुड़े नियमों पर फिर बहस
घटना के बाद गाजियाबाद और नोएडा जैसे NCR क्षेत्रों में किरायेदार और मकान मालिक विवादों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कई लोग कह रहे हैं कि बिना सत्यापन किराए पर घर देना जोखिम भरा हो सकता है। वहीं पुलिस का मानना है कि यह जरूरी है कि किरायेदारों का पूरा रिकॉर्ड थाने में जमा हो और उनके बैकग्राउंड की जांच की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें। किराये से जुड़े कानूनी नियमों और प्रक्रिया को लोग और स्पष्ट रूप से समझना चाहते हैं
आरोपी की सजा क्या होगी
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार इस मामले में धारा 302 (हत्या), धारा 201 (सबूत मिटाने की कोशिश) और धारा 34 (साझा अपराध) के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। मामले की गंभीरता देखते हुए दोषसिद्धि होने पर उम्रकैद या फांसी तक की सजा संभव है। आगे की कार्यवाही में कॉल रिकार्ड्स, मेडिकल रिपोर्ट्स, फॉरेंसिक जांच, घटना स्थान से बरामद वस्तुओं और आरोपी के बयान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अदालत में मामला कितना मजबूत साबित होगा, यह जांच और सबूतों पर निर्भर करेगा।
गाजियाबाद की ऑरा चिमेरा सोसाइटी में हुआ यह दिल दहला देने वाला हत्याकांड सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों स्तर पर कई सवाल उठाता है। किराया विवाद भले ही छोटा मुद्दा हो, लेकिन इसके परिणाम भयावह रूप में सामने आए। शांत और सभ्य माने जाने वाले शहरी जीवन के भीतर भी कितना अंधेरा छिपा है, यह घटना उसका प्रतीक बनी। दीपशिखा शर्मा के परिवार ने जिस तरह अपने प्रिय सदस्य को खोया, वह किसी भी परिवार के लिए अकल्पनीय दुख है। पुलिस की तेज कार्रवाई से मामला उजागर हो गया, लेकिन यह घटना लंबे समय तक याद रखी जाएगी, क्योंकि इसके हर पहलू में डर, हिंसा और मानव संवेदना की कमी झलकती है। समाज इस बात का गवाह बना कि पड़ोस में रहने वाले लोग भी किस हद तक खतरनाक रूप ले सकते हैं


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