मैथ्स का सवाल न बता पाई मासूम, प्रिंसिपल ने डंडों से पीटा… शरीर पर पड़ गए गंभीर निशान, थाने तक पहुंचा मामला



औरैया में चौथी की छात्रा को गणित का जवाब न देने पर प्रिंसिपल ने बेरहमी से पीटा। परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।


औरैया में स्कूल प्रिंसिपल का खौफनाक कारनामा

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा व्यवस्था और अध्यापकों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक आठ साल की मासूम छात्रा को केवल इस बात के लिए बेरहमी से पीट दिया गया कि वह गणित का सवाल नहीं बता पाई। मामला जिले के बेला थाना क्षेत्र के हृदय पुरवा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय का है, जहां कक्षा 4 में पढ़ने वाली छात्रा प्रिंसिपल लालाराम के कहर का शिकार बन गई। प्रिंसिपल की डंडों से की गई पिटाई के बाद बच्ची बुरी तरह घायल हो गई और उसके शरीर पर गंभीर चोट के निशान बन गए।

गणित का सवाल बना छात्रा की पिटाई की वजह

जानकारी के अनुसार, कक्षा में पढ़ाई के दौरान प्रिंसिपल ने छात्रा से गणित का सवाल पूछा। छात्रा से सवाल का जवाब गलत हो गया या वह सही से नहीं बता पाई। इसी बात से गुस्साए प्रिंसिपल लालाराम ने अपनी सीमा लांघ दी और मासूम पर डंडों की बरसात कर दी। बच्ची रोती-बिलखती किसी तरह घर पहुंची, जहां परिजनों ने उसके शरीर पर चोट के गहरे निशान देखे।

परिजनों का गुस्सा और पुलिस में शिकायत

अपनी बच्ची की हालत देखकर परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। बच्ची के पिता सुरेश चंद्र ने इस घटना की शिकायत थाना बेला पुलिस से की। शिकायत में साफ लिखा गया कि उनकी आठ वर्षीय बेटी को प्रिंसिपल ने डंडों से पीटा है, जिससे उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान आ गए हैं। शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामला हाथ में ले लिया है और जांच शुरू कर दी है।

पुलिस की कार्रवाई और मेडिकल जांच

क्षेत्राधिकारी बिधूना पुनीत मिश्रा ने जानकारी दी कि दिनांक 8 सितंबर 2025 को पीड़िता के पिता सुरेश चंद्र ने तहरीर देकर पुलिस को मामले से अवगत कराया। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और पीड़िता का मेडिकल कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ आगे की कार्रवाई होगी। पुलिस ने परिजनों को भरोसा दिलाया है कि दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गांव और इलाके में फैली दहशत

जैसे ही यह मामला गांव और आसपास के इलाके में फैला, लोगों में आक्रोश बढ़ गया। लोग हैरान हैं कि जिस व्यक्ति पर बच्चों की शिक्षा और भविष्य संवारने की जिम्मेदारी थी, वही इतनी बेरहमी से हिंसा कर सकता है। यह घटना अभिभावकों में भी डर और असुरक्षा की भावना पैदा कर रही है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

शिक्षा प्रणाली पर उठे सवाल

यह घटना केवल एक बच्ची की पिटाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। आज भी देश के कई हिस्सों में बच्चों को गलतियां करने पर हिंसक तरीके से दंडित किया जाता है। बाल संरक्षण कानून और शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के बावजूद कई स्कूलों में शारीरिक दंड जैसी घटनाएं जारी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं बच्चों के मानसिक विकास और आत्मविश्वास पर गहरा असर डालती हैं।

बाल संरक्षण कानून का उल्लंघन

भारतीय कानून के मुताबिक, बच्चों को शारीरिक दंड देना अपराध है। वर्ष 2009 में बने शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 17 में साफ लिखा है कि बच्चों को किसी भी तरह का शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न नहीं दिया जा सकता। बावजूद इसके, औरैया जैसी घटनाएं इस बात को उजागर करती हैं कि कई जगहों पर इस कानून का पालन नहीं हो रहा। प्रिंसिपल का यह कृत्य कानूनन अपराध है और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है।

बच्ची की हालत और परिजनों की पीड़ा

मासूम बच्ची अभी भी दर्द से कराह रही है। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी मानसिक रूप से बुरी तरह डर गई है और बार-बार रो रही है। उसने क्लास जाने से मना कर दिया है। परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने न केवल बच्ची को मारा बल्कि उसे डरा-धमकाकर चुप रहने को भी कहा।

समाज और अभिभावकों की मांग

स्थानीय लोगों ने इस घटना के खिलाफ जमकर विरोध जताया और आरोपी प्रिंसिपल को तत्काल निलंबित कर गिरफ्तार करने की मांग की। उनका कहना है कि जब तक आरोपी को कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पाएगी।

शिक्षा विभाग की भूमिका पर सवाल

इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभाग कई बार ऐसे मामलों को दबा देता है और आरोपियों को बचाने की कोशिश करता है। अभिभावकों का कहना है कि अगर शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाई होती तो शायद यह घटना टाली जा सकती थी।

घटना का सामाजिक और मानसिक प्रभाव

बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, शारीरिक दंड बच्चों के दिमाग पर गहरी चोट करता है। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास टूटता है बल्कि पढ़ाई के प्रति भी उनका डर बढ़ जाता है। यही वजह है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता बार-बार महसूस की जाती है। औरैया का यह मामला भी इसी आवश्यकता की ओर इशारा करता है।

औरैया जिले की यह घटना बताती है कि आज भी हमारे समाज में बच्चों के साथ हिंसा जैसी घटनाएं रुक नहीं पाई हैं। शिक्षा व्यवस्था में बदलाव और सख्त निगरानी की जरूरत है ताकि मासूम बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके। परिजनों और समाज की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाते रहें।

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