भारत-पाक तनाव पर श्रीलंका का बड़ा फैसला: किसी देश को युद्ध के लिए अपनी जमीन नहीं देगा, पाकिस्तान को तगड़ा झटका।
श्रीलंका की चुप्पी टूटी, भारत को राहत… पाकिस्तान को लगा कूटनीतिक झटका
भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े तनाव और हवाई हमलों के बाद अब पड़ोसी देश श्रीलंका ने अपने रुख को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। श्रीलंकाई सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका क्षेत्र किसी भी देश द्वारा युद्ध के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। श्रीलंका के इस स्टैंड को भारत के लिए सकारात्मक माना जा रहा है, वहीं पाकिस्तान और उसके दोस्त चीन के लिए यह संकेत बेहद मायने रखता है।
भारत की ओर बढ़ा श्रीलंका, पाकिस्तान से कटा भरोसा
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया ड्रोन और एयर स्ट्राइक के दौर के बीच श्रीलंका की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय निगाहें टिकी थीं। ऐसे में श्रीलंकाई कैबिनेट के प्रवक्ता नलिंदा जयतिस्सा ने मीडिया ब्रीफिंग में साफ किया कि श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधि में शामिल नहीं होगा और न ही अपने भू-भाग को किसी दूसरे देश के खिलाफ उपयोग करने देगा।
ये बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पाकिस्तान द्वारा भेजे गए दर्जनों ड्रोन को मार गिराया है और जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर करारा प्रहार किया है।
अनुरा कुमारा का भारत प्रेम, नई राजनीति का इशारा?
श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का पहला विदेश दौरा भारत रहा। यही नहीं, भारत ने आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को IMF के राहत पैकेज दिलाने में भी मुख्य भूमिका निभाई थी। कूटनीतिक रूप से यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है।
विशेष बात यह है कि श्रीलंका ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब चीन, जो पाकिस्तान का रणनीतिक सहयोगी है, लगातार श्रीलंका में अपने पांव फैला रहा है। बावजूद इसके, श्रीलंका ने न्यूट्रल स्टैंड लेकर भारत के पक्ष में अप्रत्यक्ष रूप से मोर्चा खोल दिया है।
पाकिस्तान को मिला दोहरा झटका
भारत से हुए तगड़े जवाब के बाद अब श्रीलंका की दूरी ने पाकिस्तान की रणनीति को और कमजोर कर दिया है। पहले ही भारत की एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान की नींव हिल चुकी है, वहीं श्रीलंका के इस रुख से उसकी "चीन कार्ड" की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है।
चीन से कर्ज में डूबा श्रीलंका, फिर भी दिखाया दम
श्रीलंका पर चीन का भारी निवेश और कर्जदारी है। हंबनटोटा पोर्ट जैसी रणनीतिक जगहें पहले ही चीन के कब्जे में जा चुकी हैं। इसके बावजूद श्रीलंका ने अपने बयान में संतुलन रखते हुए साफ कर दिया कि उसकी सरजमीं का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। यही बयान पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक तौर पर तगड़ी चोट है।
अंतरराष्ट्रीय जगत की नजरें अब श्रीलंका पर
श्रीलंका के इस रुख के बाद दुनिया की बड़ी शक्तियों की निगाहें उस पर टिक गई हैं। अमेरिका, जापान और यूरोप पहले से ही भारत के समर्थन में हैं। अब श्रीलंका का स्पष्ट रुख आने से भारत को कूटनीतिक मोर्चे पर और मजबूती मिली है।
भारत को मिला नैतिक समर्थन, पाकिस्तान हुआ अलग-थलग
भले ही श्रीलंका ने खुद को तटस्थ बताया हो, लेकिन भारत के लिए यह "नैतिक समर्थन" की तरह है। इसके चलते पाकिस्तान को दक्षिण एशिया के एक और देश से झटका लगा है। पहले बांग्लादेश ने पाकिस्तान से दूरी बनाई, अब श्रीलंका ने भी अपनी सीमाएं भारत विरोधी गतिविधियों के लिए बंद कर दी हैं।
क्या अब युद्ध का दायरा सीमित रहेगा?
श्रीलंका के इस फैसले के बाद सवाल यह भी है कि अगर भारत-पाक युद्ध और तेज होता है, तो क्या यह समुद्र के रास्ते या दक्षिणी दिशा की ओर बढ़ेगा या सीमित ही रहेगा? श्रीलंका ने अभी के लिए भारत को बड़ी राहत दी है, जिससे भारत का सैन्य फोकस अब पूरी तरह पश्चिमी सीमा पर केंद्रित रह सकता है।
संकेतों में दिया बड़ा समर्थन
श्रीलंका भले ही खुले तौर पर भारत का नाम न ले रहा हो, लेकिन उसका स्टैंड भारत को ही फायदा पहुंचा रहा है। पाकिस्तान और चीन को अप्रत्यक्ष रूप से एक और झटका लग चुका है। ये छोटा बयान भारत के लिए बड़ी जीत जैसा है — कूटनीतिक, सामरिक और रणनीतिक हर मोर्चे पर।
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