हेट स्पीच केस में मऊ विधायक अब्बास अंसारी को 2 साल की सजा, कोर्ट ने माना दोषी, अब जाएगी उनकी विधायकी, दोबारा जेल जाना तय।
मऊ/लखनऊ –
माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर सीट से विधायक अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दोषी करार देते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने दो साल की सजा सुना दी है। यह फैसला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. केपी सिंह ने एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनाया। इसके साथ ही, अब्बास अंसारी की विधायकी संविधान के तहत स्वतः समाप्त मानी जा रही है।
अब्बास अंसारी पर यह केस साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दर्ज हुआ था, जब उन्होंने एक जनसभा में कथित रूप से अधिकारियों को ‘हिसाब लेने’ की धमकी दी थी। इस बयान को भड़काऊ भाषण (Hate Speech) मानते हुए मऊ कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था।
आज 31 मई को भारी सुरक्षा के बीच जब अब्बास और उनके भाई उमर अंसारी कोर्ट पहुंचे, तो परिसर में सन्नाटा और सख्त पहरा दोनों साफ नजर आया। सुनवाई के बाद अदालत ने अब्बास को भारतीय दंड संहिता की धाराओं में दोषी मानते हुए दो साल की सजा दी।
अब क्या खत्म हो गई अब्बास की राजनीतिक पारी?
अब्बास अंसारी पर पहले से ही कई संगीन आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। ED की जांच में उन पर मनी लॉन्ड्रिंग, गैंगस्टर एक्ट और अवैध संपत्ति के गंभीर आरोप हैं। नवंबर 2022 से वह जेल में बंद थे, लेकिन कुछ ही महीने पहले सुप्रीम कोर्ट से उन्हें गैंगस्टर एक्ट में अंतरिम जमानत मिली थी और वो जेल से बाहर आए थे।
लेकिन अब, इस नए फैसले के चलते उन्हें एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा। साथ ही, भारतीय संविधान के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि जिसे दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, वह विधायक/सांसद पद के लिए अयोग्य हो जाता है। लिहाजा, अब्बास की विधायकी अब कानूनी तौर पर खत्म मानी जाएगी।
क्या था हेट स्पीच का मामला?
चुनावी प्रचार के दौरान मऊ के पहाड़पुरा क्षेत्र में अब्बास अंसारी ने मंच से प्रशासन को चेताते हुए कहा था कि ‘सरकार बनते ही पुराने हिसाब-किताब पूरे किए जाएंगे’। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी और तुरंत प्रभाव से SI गंगाराम बिंद ने कोतवाली में FIR दर्ज करवाई थी।
3 साल की सुनवाई के बाद आया ऐतिहासिक फैसला
करीब 3 साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद, आज आखिरकार न्यायालय ने अब्बास अंसारी को दोषी करार दिया। कोर्ट ने माना कि उनका बयान समाज को भड़काने वाला और सरकारी तंत्र को धमकाने वाला था, जो भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
भविष्य की राहें बंद?
अब्बास अंसारी के सामने अब एक बार फिर जेल जाने की नौबत है। इसके साथ ही, उनकी राजनीतिक भविष्य पर भी ग्रहण लग गया है। विधायकी तो खत्म हुई ही, आगामी चुनाव लड़ने पर भी कानूनी अड़चनें तय हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि भी संदेह के घेरे में
अब्बास, मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, जिन पर भी पहले से ही हत्या, अपहरण, फिरौती, गैंगस्टर एक्ट सहित दर्जनों मुकदमे चल रहे हैं। ऐसे में अब्बास का यह फैसला कहीं न कहीं परिवार की छवि और विरासत दोनों को झटका देने वाला है।
राजनीति में अपराध की सजा का उदाहरण?
इस फैसले से यह भी स्पष्ट संकेत गया है कि अब राजनीतिक भाषणों की आड़ में कानून को तोड़ना आसान नहीं। चुनावी मंचों से दिया गया हर बयान अब न्यायपालिका की नजर में है और उसकी जिम्मेदारी नेताओं को खुद उठानी होगी।
अभी नहीं खत्म हुआ कानूनी चक्रव्यूह
हालांकि अब्बास के वकील जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील करने की तैयारी में हैं, लेकिन तब तक उनकी विधायकी कानूनन रद्द मानी जाएगी। यदि अपील खारिज होती है तो जेल और राजनीतिक बैन दोनों ही तय होंगे।
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