मीरगंज में खेत की परली जलाने से फैली भीषण आग, हजारों पेड़ झुलसे, गांव तक पहुंची लपटें, फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची।
इरफान हुसैन की रिपोर्ट
मीरगंज (बरेली)।
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के मीरगंज क्षेत्र में 23 अप्रैल 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। रहिया नगला निवासी गुल्ले उर्फ बजरुद्दीन ने खेत की परली जलाने के लिए माचिस से आग लगाई, जो देखते ही देखते भीषण लपटों में तब्दील हो गई। आग इतनी तेजी से फैली कि आस-पास के हजारों बीघा खेतों में लगे पेड़ चपेट में आ गए और गांव शीशामखेड़ा की आबादी तक पहुंच गई।
गांव के नजदीक पहुंची आग, ग्रामीणों में मची अफरातफरी
दोपहर 12:00 बजे शुरू हुई आग ने महज कुछ ही मिनटों में विकराल रूप ले लिया। खेतों में काम कर रहे किसानों को जैसे ही आग की भनक लगी, वे तुरंत अपने-अपने खेतों की ओर दौड़ पड़े। घबराए ग्रामीणों ने बाल्टी, पाइप, मिट्टी और जो भी साधन मिले, उनसे आग पर काबू पाने की कोशिश की।
फायर ब्रिगेड और पुलिस मौके पर, ग्रामीणों की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा
जैसे ही स्थिति की गंभीरता बढ़ी, तुरंत फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंचे दमकल कर्मियों ने ग्रामीणों के सहयोग से आग पर काबू पाया। अगर कुछ और देर हो जाती तो गांव की आबादी भी इसकी चपेट में आ सकती थी। गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई, लेकिन हज़ारों पेड़ों का नुकसान हो गया।
शरारती तत्व की करतूत, ग्रामीणों में गुस्सा
घटना के बाद गांव में रोष का माहौल है। बताया जा रहा है कि परली में आग लगाने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि गांव का ही रहने वाला गुल्ले उर्फ बजरुद्दीन है, जिसे पहले भी कई बार आगजनी जैसे मामलों में देखा गया है। ग्रामीणों ने इस हरकत को शरारती और जानलेवा करार देते हुए स्थानीय थाने में उसके खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
परली जलाने पर सरकार की रोक, फिर भी नहीं सुधर रहे किसान
गौरतलब है कि राज्य और केंद्र सरकार ने खेतों में परली जलाने पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है, क्योंकि इससे प्रदूषण बढ़ता है और वायु की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होती है। इसके बावजूद नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
पुलिस जांच में जुटी, ग्रामीणों को सख्त कार्रवाई की उम्मीद
फिलहाल पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। ग्रामीणों की मांग है कि आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह की लापरवाही करने से पहले सौ बार सोचे।
फसल के साथ हरियाली भी राख, किसान सदमे में
परली की चिंगारी ने न सिर्फ खेतों की उपज बल्कि उसमें लगे सालों पुराने पेड़ों को भी खाक कर दिया। आम, नीम, शीशम, जामुन और यूकेलिप्टस के पेड़ जलकर राख हो गए। किसानों का कहना है कि उन्होंने ये पेड़ न केवल पर्यावरण बचाने बल्कि आर्थिक सहारे के तौर पर लगाए थे।
आग से हिला बरेली का मीरगंज, सवालों के घेरे में प्रशासन
इस घटना ने प्रशासनिक सतर्कता और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की पोल खोल दी है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने बड़े इलाके में आग फैलने से पहले कोई अलर्ट क्यों नहीं हुआ?
अब देखना यह है कि…
क्या प्रशासन दोषी व्यक्ति पर सख्त कदम उठाएगा? क्या परली जलाने पर पहले से लागू प्रतिबंधों को और कड़ा किया जाएगा? और क्या इससे भविष्य में किसानों को सबक मिलेगा?
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