ये फंगस नेताओं के "ट्रेंड" को ही तो "फॉलो" कर रहा है


चैतन्य भट्ट 

अभी तक तो हम लोग कोरोना वायरस से हलाकान  और परेशान थे, जैसे तैसे कोरोना का इलाज खोजा  गया, इंजेक्शन लगाए गए, एक एक इंजेक्शन के लिए मारा मारी रही, किसी ने नकली इंजेक्शन बना कर मरीजों को लगा कर उन्हें बेटिकट ऊपर पंहुचा दिया, तो किसी ने  पांच हजार रूपये "एमआरपी" वाला इंजेक्शन  चालीस और पचास हजार में बेच खाया, अस्पताल वालों ने भी  "चांदी" नहीं बल्कि  "सोना" पीट लिया। 

अब एक और रोग सामने आ गया है और वो है "फंगस" अभी तक ले दे के एक "ब्लेक फंगस" के बारे में डाक्टरों को पता लगा था लेकिन अब वो फंगस तरह-तरह के "कलर्स"  में सामने आ रहा है, जैसे महिलाएं  बाजार में  जब साडी खरीदने जाती है और कहती है कोई और कलर  दिखाईये वैसा ही फंगस कर रहा है "ब्लेक"  के बाद  "वाइट फंगस" मैदान में आ गया था।
 
डाक्टरों ने भी सोचा चलो कोई बात नहीं दो कलर तो मूल  रूप से होते ही हैं  लेकिन ये फंगस  तो राजनेताओ की तरह व्यवहार करने लगा जैसे राजनैतिक  पार्टी  के  नेता कब और कहां अपना रंग बदल लेते है किसी को पता ही नहीं चलता, कल तक जिसको पानी पी-पी कर कोसते थे आज उसके गुणगान करने लगते हैं l कल तक जिस पार्टी को फूटी आँखों नहीं सुहाते थे कब उस पार्टी के गले लग कर गाने लगें " कब के बिछड़े हुए हम आज यहां आकर मिले" जिन के खिलाफ चुनाव लड़ते थे उनके फेवर में चुनाव प्रचार करने लगते हैं। ये कब अपना रंग बदल लेते है ईश्वर भी नहीं जानता इसलिए  फंगस ने भी सोचा क्यों न हम भी भी देश के नेताओं के "ट्रेंड को फॉलो" कर लें। उसने पहले तो दो ही  रंग ब्लेक और वाइट  दिखाए लेकिन अब पता लगा है कि "यलो" "पिंक" "ग्रीन"  और "रेड" फंगस भी सामने आ गए हैं।  पहले रंग बदलने वालों को "गिरगिट" कहा जाता था  लेकिन जब से नेता सामने आये ये गिरगिट पता नहीं कंहा बिला गए है क्योकि उन्हें लगा कि जब रंग बदलने का उनका चार्ज देश के नेताओ ने ले लिया है तो अपनी अब दुनिया में जरूरत ही नहीं बची इसलिए वे "तेरी दुनिया से होके मजबूर चला मैं बहुत  दूर  बहुत  दूर चला" गाना गाते हुए निकल लिए। 

अपना सोचना ये है कि पहले ये फंगस ऐसा नहीं यह होगा लेकिन जब उसने देखा होगा की इस दुनिया में न केवल नेता बल्कि हर आदमी रंग बदलने में एक्सपर्ट  है तो  वो भला क्यों  पीछे रहता , अब आप खुद देखो न कल तक जो  लोग  नकली इंजैक्शन  के कर्ता धर्ता सरबजीत सिंह मोखा के साथ पार्टियां  करते थे, उसके आगे पीछे  घूमते थे, जिनका  उसके  घर आना जाना था  जिस पार्टी  का वो अध्यक्ष था उन्होंने एक ही झटके में कैसे  रंग बदल कर उससे अपने सारे  नाते रिश्ते तोड़ लिए ऐसे बन गए जैसा मोखा का कभी नाम ही न सुना हो ,  इसलिए  फंगस भी यदि नए नए  कलर्स में सामने  आ रहा है तो किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए l

गंजेड़ियों "मिशिगन" चलो  

इधर अपने देश में वेक्सीन लगवान के लिए क्या क्या  जतन करने पड़ रहे है कंही रजिस्ट्रेशन करवाना  पड़ रहा है तो कंही उसके बाद भी स्लॉट नहीं मिल  पा रहा है लम्बी लम्बी लाइने लगी हैं वेक्सीन लगवाने के लिए, तो कंही वेक्सीन की शॉर्टेज चल रही हैं l पहले  कहा गया कि  पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज लगवा  लो फिर कहा नहीं अब 42 दिन बाद वेक्सीन लगवाना  ज्यादा फायदेमंद होगा, अब कहा जा रहा है कि  नहीं हिसाब  लगाने में गलती हो गई हो अब दो महीने बाद वेक्सीन लगवाओगे तो  अच्छे रिजल्ट आएंगे  ऐसा न हो  हो कि कुछ दिन बाद  नई थ्योरी आ जाए कि अब दूसरा डोज  "पांच साल" बाद लगवाओग को कोरोना में सबसे ज्यादा  फायदा होगा l इधर इंडिया में  ऐसी मारा मारी चल रही  है  वहीं अमेरिका   के "मेरीलैंड" और "ओहियो" में  करोडो रुपयों के इनाम घोषित  किये हैं सरकार ने कि आओ वेक्सीन लगवाओ और करोडो के इनाम जीतो , हर रोज 29 लाख के इनाम दिए जा रहे हैं सुना है एक बम्फर ड्रॉ भी निकाला जाएगा जिसमें एक मुश्त  तीन करोड का इनाम मिलेगा l  न्यूयार्क के ही ऐंटीकॉन्टी  में जो लोग वेक्सीन लगवाने जा रहे है उन्हें मुफ्त  "बियर" पिलाई  जा रही है "हांगकांग" में तो जो वेक्सीन लगवाने जा रहा है उसका आदर  सत्कार  कर  लॉटरी  निकाली  जा रही है और इनाम में   दस करोड़ की लागत का अपार्टमेंट दिया  जा रहा है l  सबसे  आकर्षक  "ऑफर" तो अमेरिका  के ही "मिशिगन" का है वंहा "गांजा" उत्पादन  करने  वाली एक कंपनी ने वेक्सीन लगवाने वालो को फ्री फ़ोकट में  गांजा  देने की बात कही है अपनी  तो  इंडिया के तमाम "गंजेड़ियो" को एक ही सलाह है किसी भी तरह  पासपोर्ट और वीजा बनवा लो अपनी  अपनी "चिलम" लेकर मिशिगन पंहुच जाओ   खुले आम चिलम खींचो  कोई कुछ नहीं कहेगाl 

सुपर  हिट ऑफ़  द वीक 

श्रीमती जी  ने श्रीमान जी को फोन कर के कहा 

"मैं छुप जाती हूँ तुम घर आना और मुझे ढूंढ़ना, अगर ढूंढ लोगे तो हम दोनों  शॉपिंग करने  चलेंगे।

अब श्रीमती जी दो दिन से श्रीमान जी को ढूंढ रही हैं और उनका पता नहीं चल  रहा  हैं।

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