शामली में बुर्का विवाद बना खून की वजह! पत्नी को नींद से उठाकर मारी गोली, दो नाबालिग बेटियों की बेरहमी से हत्या; आंगन के सेप्टिक टैंक में दफनाई लाशें





शामली के कांधला में बुर्का विवाद में पति ने पत्नी और दो बेटियों की हत्या कर शव सेप्टिक टैंक में दफनाए, पुलिस जांच में खुलासा


उत्तर प्रदेश के शामली में रिश्तों को शर्मसार करने वाला खौफनाक हत्याकांड

उत्तर प्रदेश के शामली जिले से सामने आई यह घटना न केवल कानून व्यवस्था बल्कि समाज के भीतर पनप रहे कट्टर सोच और घरेलू हिंसा के उस भयावह चेहरे को उजागर करती है, जहां एक पति अपनी तथाकथित इज्जत और सामाजिक दबाव के नाम पर पत्नी और नाबालिग बेटियों की जान लेने से भी नहीं हिचकिचाता। कांधला थाना क्षेत्र के गांव गढ़ी दौलत में सामने आए इस ट्रिपल मर्डर केस ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है।

बुर्का न पहनने का विवाद और घरेलू कलह

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी फारुख अपनी पत्नी ताहिरा और बेटियों पर बुर्का पहनने और पर्दे में रहने का लगातार दबाव बनाता था। पत्नी ताहिरा इस सोच से सहमत नहीं थी और वह सामान्य जीवन जीना चाहती थी। इसी बात को लेकर पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होता रहता था। फारुख इसे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखता था और गांव में बदनामी का डर उसके भीतर धीरे-धीरे हिंसा में बदलता चला गया।

आरोपी फारुख का पारिवारिक और सामाजिक प्रोफाइल

फारुख पेशे से होटल में रोटी बनाने का काम करता था। वह अपने पिता और भाइयों से अलग मकान में रह रहा था। उसके पांच बच्चे थे, जिनमें तीन बेटियां और दो बेटे शामिल हैं। बाहर से देखने पर परिवार सामान्य दिखाई देता था, लेकिन घर के भीतर चल रही मानसिक यातना और दबाव की कहानी किसी को नहीं पता थी। यही वजह रही कि जब पत्नी और बेटियां अचानक लापता हुईं, तो शुरुआत में किसी को हत्या जैसी आशंका नहीं हुई।

अचानक लापता हुई पत्नी और बेटियां

करीब दस दिन पहले ताहिरा और उसकी दो नाबालिग बेटियां आफरीन और सहरीन अचानक गायब हो गईं। फारुख ने आसपास के लोगों और रिश्तेदारों को यह कहकर गुमराह किया कि वह पत्नी और बच्चों के साथ शामली में किराये के मकान में रह रहा है। गांव में किसी ने भी शुरुआत में इस कहानी पर शक नहीं किया, क्योंकि घरेलू मामलों में दखल देने से लोग अक्सर बचते हैं।

पिता को हुई अनहोनी की आशंका

फारुख के पिता दाउद को जब कई दिनों तक बहू और पोतियों की कोई खबर नहीं मिली, तो उनके मन में शक पैदा हुआ। पारिवारिक दबाव और बढ़ती बेचैनी के बीच आखिरकार उन्होंने पुलिस को सूचना दी। यही वह मोड़ था, जहां से इस खौफनाक हत्याकांड की परतें खुलनी शुरू हुईं।

पुलिस पूछताछ और गुमराह करने की कोशिश

पुलिस ने जब फारुख से पूछताछ शुरू की, तो वह लगातार अलग-अलग कहानियां गढ़ता रहा। कभी वह बच्चों को रिश्तेदारी में भेजने की बात करता, तो कभी पत्नी के मायके जाने की। लेकिन उसके जवाबों में लगातार विरोधाभास दिखने लगा। पुलिस को शक हुआ कि मामला सिर्फ गुमशुदगी का नहीं, बल्कि इससे कहीं ज्यादा गंभीर है।

सख्ती से पूछताछ में टूटा आरोपी

कांधला पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की, तो फारुख टूट गया और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसके कबूलनामे ने पुलिस अधिकारियों को भी सन्न कर दिया। उसने स्वीकार किया कि बुर्का न पहनने के विवाद में उसने पहले से हत्या की योजना बनाई थी और सबूत मिटाने के लिए शवों को सेप्टिक टैंक में दफनाया।

अवैध तमंचे से की गई हत्या

पुलिस जांच में सामने आया कि फारुख ने कैराना से अवैध तमंचा और कारतूस खरीदे थे। उसने घर के आंगन में पहले से सेप्टिक टैंक खुदवाया, ताकि हत्या के बाद शवों को छिपाया जा सके। यह साफ करता है कि यह कोई अचानक गुस्से में की गई वारदात नहीं, बल्कि पूरी तरह से सुनियोजित अपराध था।

मायके से बुलाकर रची गई साजिश

घटना के समय ताहिरा अपने मायके में थी। फारुख ने उसे किसी बहाने घर बुलाया। पत्नी को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि वह अपने ही घर में मौत के मुंह में कदम रख रही है। यह पहलू इस हत्याकांड को और भी ज्यादा क्रूर और अमानवीय बनाता है।

नींद से जगाकर पत्नी को मारी गोली

8 दिसंबर की रात फारुख ने चाय के बहाने सो रही पत्नी को जगाया। जैसे ही ताहिरा उठी, उसने अवैध तमंचे से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। गोली की आवाज से पूरा घर दहल उठा, लेकिन बाहर किसी को भनक तक नहीं लगी।

बेटियों की आंखों के सामने टूटा भरोसा

मां की गोली लगने की आवाज सुनकर दोनों बेटियां जाग गईं। उन्होंने जो देखा, वह किसी भी इंसान को जिंदगी भर के लिए तोड़ देने के लिए काफी है। फारुख ने बड़ी बेटी आफरीन को भी गोली मार दी। छोटी बेटी सहरीन ने शायद बचने की कोशिश की, लेकिन आरोपी ने उसका गला घोंटकर हत्या कर दी।

सेप्टिक टैंक बना कब्रगाह

हत्या के बाद फारुख ने तीनों शवों को घर के आंगन में बने सेप्टिक टैंक में दफना दिया। ऊपर से मिट्टी और कचरा डालकर उसने सबूत मिटाने की पूरी कोशिश की। गांव वालों और रिश्तेदारों को शक न हो, इसके लिए वह सामान्य जीवन जीने का नाटक करता रहा।

झूठी कहानी से लोगों को किया गुमराह

हत्या के बाद फारुख लगातार यह कहता रहा कि वह पत्नी और बच्चों के साथ शामली में किराये के मकान में रह रहा है। मोबाइल फोन बंद रखने और सीमित संपर्क में रहने से उसने लोगों को भ्रम में रखा। लेकिन समय बीतने के साथ उसकी कहानी कमजोर पड़ती चली गई।

पुलिस की खुदाई और दिल दहला देने वाला दृश्य

मंगलवार देर शाम फारुख की निशानदेही पर पुलिस ने सेप्टिक टैंक की खुदाई कराई। जैसे ही मिट्टी हटाई गई, वहां से तीनों के शव बरामद हुए। यह दृश्य इतना भयावह था कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी और ग्रामीण भी स्तब्ध रह गए।

पुलिस अधिकारियों का बयान

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एनपी सिंह ने बताया कि ग्राम प्रधान द्वारा महिला और दो बच्चियों के लापता होने की सूचना दी गई थी। जांच के दौरान पति से पूछताछ की गई, जिसमें उसने हत्या की बात स्वीकार कर ली। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ हत्या, अवैध हथियार रखने और सबूत मिटाने जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

सामाजिक सोच पर उठते सवाल

यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि समाज में मौजूद उस जहरीली सोच को भी उजागर करता है, जहां महिलाओं की आजादी और पसंद को ‘इज्जत’ के तराजू पर तौला जाता है। बुर्का पहनना या न पहनना किसी का व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए, लेकिन जब यही फैसला मौत की वजह बन जाए, तो यह पूरे समाज के लिए आत्ममंथन का विषय है।

कानून और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने आरोपी फारुख को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मामले की विस्तृत जांच जारी है, जिसमें यह भी देखा जा रहा है कि अवैध हथियार कहां से और किसके जरिए खरीदे गए। साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

एक खौफनाक मिसाल

शामली का यह ट्रिपल मर्डर केस आने वाले समय में घरेलू हिंसा, कट्टरता और महिला अधिकारों पर होने वाली बहस में एक खौफनाक मिसाल के रूप में याद रखा जाएगा। यह घटना बताती है कि जब सोच पर कानून और इंसानियत भारी पड़ जाती है, तो उसका अंजाम कितना भयावह हो सकता है।

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