मध्य प्रदेश में पहली बार हेलिकॉप्टर से पकड़ी जाएंगी नीलगाय और हिरण: अफ्रीकी टीम करेगी रेस्क्यू ऑपरेशन, किसानों को मिलेगी फसल नुकसान से राहत !


शाजापुर में हेलिकॉप्टर से नीलगाय और हिरण पकड़ने आएगी अफ्रीकी टीम, 15 अक्टूबर से वन विभाग शुरू करेगा बड़ा रेस्क्यू अभियान।

किसानों को नीलगाय और हिरण से राहत देने की बड़ी तैयारी

मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में किसानों की फसलें नीलगाय और हिरण के झुंडों से लगातार तबाह हो रही थीं। लंबे समय से ग्रामीण इस समस्या से जूझ रहे थे और प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे थे। अब राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए एक अनोखी योजना को मंजूरी दी है।
वन विभाग 15 अक्टूबर से एक विशेष “वन्यजीव रेस्क्यू अभियान” शुरू करने जा रहा है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका से आई विशेषज्ञ टीम हेलिकॉप्टर की मदद से इन जानवरों को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर भेजेगी।

अफ्रीका से आई विशेष टीम करेगी ऑपरेशन

वन विभाग के अनुसार, इस अभियान के लिए दक्षिण अफ्रीका की वाइल्डलाइफ रेस्क्यू टीम को बुलाया गया है। यह टीम आधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस है। उनका अनुभव वन्यजीवों को बिना नुकसान पहुंचाए पकड़ने में है।
टीम के सदस्य हेलिकॉप्टर की मदद से नीलगाय और हिरणों का लोकेशन ट्रैक करेंगे, फिर उन्हें डार्ट गन से बेहोश करके विशेष वाहनों के जरिए जंगलों या आरक्षित क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा। यह तरीका पूरी तरह वैज्ञानिक और पर्यावरण-अनुकूल माना जाता है।

15 अक्टूबर से शुरू होगा अभियान, पांच गांवों से शुरुआत

यह अनोखा ऑपरेशन 15 अक्टूबर से शाजापुर के पोलायकलां क्षेत्र में शुरू होगा। वन विभाग के अनुसार, पहले चरण में पांच गांव — इमलीखेड़ा, भानियाखेड़ी, डुंगलाय, उमरसिंघी और अरनियाकला — को शामिल किया गया है।
14 अक्टूबर को अफ्रीकी टीम शाजापुर पहुंचेगी, और अगले ही दिन से ऑपरेशन शुरू किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि पहले चरण की सफलता के बाद इस अभियान को अन्य प्रभावित इलाकों में भी बढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर मिला हरी झंडा

यह पहल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शुरू की गई है। विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था और किसानों की परेशानी को मुख्यमंत्री के सामने रखा था।
मुख्यमंत्री ने तुरंत इस पर संज्ञान लेते हुए वन विभाग को कार्रवाई का आदेश दिया। अब विभाग ने इस दिशा में पूरी तैयारी कर ली है।

किसानों की फसलें बन रहीं थीं वन्यजीवों का भोजन

शाजापुर, अकोदिया और पोलायकलां इलाकों में नीलगाय और हिरणों के झुंड बड़ी संख्या में देखे जाते हैं। ये झुंड रात के समय खेतों में घुसकर सोयाबीन, गेहूं और चने जैसी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार उन्होंने इन झुंडों को भगाने की कोशिश की, लेकिन जानवर बार-बार लौट आते हैं। इस वजह से किसानों को हर साल लाखों रुपये का नुकसान होता है।

वन विभाग ने बनाई विशेष रणनीति

वन विभाग ने इस ऑपरेशन को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और ग्राम समितियों के साथ समन्वय किया है।
प्रत्येक गांव में नोडल अधिकारी तैनात किए जाएंगे, जो अफ्रीकी विशेषज्ञ टीम और स्थानीय वनकर्मियों के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी करेंगे।
अभियान के दौरान ड्रोन कैमरे भी लगाए जाएंगे ताकि जानवरों की वास्तविक स्थिति और मूवमेंट पर नजर रखी जा सके।

विधायक ने की ग्रामीणों से सहयोग की अपील

कालापीपल विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान में वन विभाग और विदेशी विशेषज्ञों का पूरा सहयोग करें। उन्होंने कहा, “यह किसानों के लिए राहत का बड़ा कदम है। अगर किसी गांव में हिरण या नीलगायों का झुंड दिखाई दे तो तत्काल सूचना दें ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।”

उन्होंने यह भी कहा कि अफ्रीका से आने वाली टीम आधुनिक तकनीक से लैस है, इसलिए अभियान को बिना किसी हानि के पूरा किया जाएगा।

हेलिकॉप्टर से पकड़ने का वैज्ञानिक तरीका

दक्षिण अफ्रीका में पिछले कई वर्षों से “एरियल वाइल्डलाइफ रेस्क्यू” तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके तहत हेलिकॉप्टर से ऊपर से जानवरों का पीछा किया जाता है और डार्ट गन से हल्के ट्रैंक्विलाइज़र (बेहोशी की दवा) के जरिए उन्हें नियंत्रित किया जाता है।
फिर पशु चिकित्सक टीम मौके पर पहुंचकर उनकी जांच करती है और उन्हें वन्य अभयारण्य या रिजर्व फॉरेस्ट में छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी भी जानवर को चोट नहीं पहुंचती।

किसानों में राहत की उम्मीद

इस पहल से किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। वर्षों से लगातार फसल बर्बादी झेल रहे किसान अब आशावान हैं कि यह वैज्ञानिक तरीका उनके खेतों को वन्यजीवों से सुरक्षित रखेगा।
कई किसानों ने कहा कि नीलगाय और हिरणों का झुंड फसल काटने के बाद भी खेतों में घूमता रहता है, जिससे अगली बुवाई तक का नुकसान होता है। अब उम्मीद है कि यह समस्या खत्म होगी।

वन्यजीव संरक्षण पर भी पड़ेगा सकारात्मक असर

विशेषज्ञों के अनुसार, यह अभियान न केवल किसानों को राहत देगा बल्कि वन्यजीव संरक्षण में भी मदद करेगा।
नीलगाय और हिरणों को मानव बस्तियों से दूर सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष कम होगा और इन जानवरों की प्राकृतिक आवास में सुरक्षा सुनिश्चित होगी।


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