जौनपुर में समाजसेवी ने डीएम ऑफिस के सामने आत्मदाह का किया प्रयास, प्रेमा हॉस्पिटल पर नाबालिग गर्भपात और बच्चों की तस्करी के गंभीर आरोप



जौनपुर में समाजसेवी ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर आत्मदाह की कोशिश की, प्रेमा हॉस्पिटल पर नाबालिगों के अवैध गर्भपात और बच्चों की तस्करी का आरोप लगाया

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट


घटना का पूरा विवरण

जौनपुर – सोमवार दोपहर करीब 12 बजे खेतासराय क्षेत्र के रुधौली गांव निवासी समाजसेवी जेपी राठौर ने अचानक जिलाधिकारी कार्यालय के सामने सार्वजनिक रूप से अपने ऊपर तेल छिड़क लिया और आत्मदाह करने का प्रयास किया। घटना स्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए उन्हें रोक लिया, जिससे आत्महत्या की संभावना टल गई।

समाजसेवी के इस कदम ने प्रशासन और चिकित्सा व्यवस्था दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने दावा किया है कि रसूलाबाद क्षेत्र स्थित प्रेमा हॉस्पिटल में नाबालिग बच्चियों का अवैध गर्भपात कराया जाता है। इसके अलावा उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ पर धमकी देने और बच्चों की तस्करी के आरोप लगाए हैं।

एसपी कार्यालय द्वारा जारी प्रारंभिक सूचना में कहा गया है कि जेपी राठौर को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इस मामले की त्वरित जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।

आरोपों की विवरण

समाजसेवी राठौर ने आरोप लगाया कि अस्पताल की अंदरूनी गुप्त गतिविधियाँ वर्षों से हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नाबालिग बच्चियों को भर्ती कराया जाता है और उनके अवैध गर्भपात किए जाते हैं। वह यह भी आरोप लगाते हैं कि इस कृत्य का विरोध करने पर अस्पताल का स्टाफ और डॉक्टरों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।

उन्होंने कहा कि अस्पताल संचालक बच्चों की तस्करी में भी शामिल हैं। राठौर का दावा है कि वे इस पूरे कारोबार की जानकारी जुटा चुके हैं और कई गवाहों का हवाला दे सकते हैं।

प्रशासन की कार्रवाई

पुलिस ने बताया कि राठौर को हिरासत में लेकर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। प्रथम दृष्टया इस घटना को आत्मदाह की محاولة के रूप में माना गया है। पुलिस ने कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच का प्रस्ताव रखा गया है।

जिलाधिकारी कार्यालय ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि जितनी जल्दी हो सके मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल पर लगे आरोप सत्य पाए जाते हैं तो स्वास्थ्य विभाग एवं चिकित्सा पटल पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रतिक्रिया

अस्वस्थ्य विभाग एवं प्रेमा हॉस्पिटल की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान सार्वजनिक नहीं किया गया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और अपना पक्ष तैयार कर रहा है।

प्रेमा हॉस्पिटल की चुप्पी इस तरह के आरोपों की संवेदनशीलता को और बढ़ा रही है। यदि वे समय रहते जवाब नहीं देते हैं, तो जनता और मीडिया दबाव में वृद्धि हो सकती है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया

घटना की सूचना मिलते ही सामाजिक संगठनों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में हलचल मच गई। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी व अन्य स्थानीय राजनीतिक दलों ने इसे स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता और प्रशासन की अनदेखी की ओर संकेत माना है।

कुछ पत्रकारों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस मामले को ‘स्वास्थ्य घोटाला’ के रूप में पेश किया है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या ऐसी गंभीर शिकायतों को अभी तक नकारा जा रहा था।

ज्ञात तथ्य एवं अनसुलझे प्रश्न

मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं:

  • समाजसेवी ने सार्वजनिक आत्मदाह प्रयास किया और तुरंत हिरासत में लिया गया
  • उन्होंने अस्पताल पर नाबालिग गर्भपात, धमकी व बच्चों की तस्करी के आरोप लगाए
  • प्रशासन ने जांच का प्रस्ताव रखा है लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से विरोधाभासी या कोई सार्वजनिक सफाई नहीं आई

लेकिन कई प्रश्न अभी अनुत्तरित हैं:
– क्या आरोपों के समर्थन में दस्तावेज या गवाह मौजूद हैं?
– अस्पताल प्रबंधन का पक्ष क्या है?
– क्या स्वास्थ्य विभाग ने पहले किसी शिकायत दर्ज की थी?
– जांच प्रक्रिया कितनी पारदर्शी होगी?



जौनपुर की यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की हताशा नहीं बल्कि लंबे समय की शिकायतों और कथित बुनियादी विफलताओं का प्रतीक बनती जा रही है। जब आरोप इतने गंभीर हों—नाबालिगों का अवैध गर्भपात, चिकित्सा धमकी, बच्चों की तस्करी—तो सिर्फ जांच ही हल नहीं है, बल्कि जवाबदेही की मांग स्वाभाविक हो जाती है।

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