सोनप्रयाग से केदारनाथ अब 40 मिनट में! ₹4081 करोड़ का रोपवे प्रोजेक्ट शुरू, जानिए कहां लगेंगे 22 टावर और 50 गोंडोला



केदारनाथ के लिए अब पैदल नहीं! ₹4081 करोड़ से बन रहा है रोपवे, 50 गोंडोला, 22 टावर और 5 स्टेशन से तय होगा सफर


सोनप्रयाग से केदारनाथ तक अब नहीं करनी होगी 10 घंटे की पैदल यात्रा

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित श्रद्धालुओं के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ तक की लंबी और कठिन यात्रा अब आसान होने जा रही है। केंद्र सरकार और उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने संयुक्त रूप से एक हाईटेक रोपवे परियोजना की घोषणा की है, जिसके तहत सोनप्रयाग से लेकर सीधे केदारनाथ धाम तक गोंडोला रोपवे बनाया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत ₹4081 करोड़ आंकी गई है और इसका उद्देश्य है तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और समय की बचत सुनिश्चित करना।

इस परियोजना के पूरा होने के बाद अब श्रद्धालुओं को लगभग 21 किलोमीटर की पैदल या खच्चर यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। इसके स्थान पर 12.9 किलोमीटर की रोपवे यात्रा से मात्र 40 मिनट में केदारनाथ पहुंचा जा सकेगा, जो अब तक औसतन 8 से 10 घंटे की कठिन चढ़ाई में लगता है।


मार्च-अप्रैल 2026 से होगा निर्माण कार्य, 2032 तक पूरा होने का लक्ष्य

सरकारी दस्तावेजों और अदाणी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना की शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 नवंबर 2022 को किया गया था। मार्च 2023 में केंद्रीय कैबिनेट ने इसे आधिकारिक स्वीकृति प्रदान कर दी थी। इसके बाद अदाणी ग्रुप को परियोजना सौंप दी गई है जो अब इसका नया तकनीकी सर्वे करने जा रहा है।

निर्माण कार्य की शुरुआत वर्ष 2026 के मार्च या अप्रैल से संभावित मानी जा रही है और इसे वर्ष 2032 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले इस मार्ग का प्रारंभिक सर्वे तीन वर्ष पूर्व किया जा चुका है। यह परियोजना भारत की अब तक की सबसे ऊंची और चुनौतीपूर्ण रोपवे परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है।


दुनिया की पहली ट्राई-केबिल डिटैचेबल सिस्टम तकनीक भारत में

इस गोंडोला रोपवे में ट्राई-केबिल डिटैचेबल सिस्टम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि विश्व स्तर पर सबसे अत्याधुनिक और सुरक्षित तकनीक मानी जाती है। इसके तहत कुल 50 आधुनिक गोंडोला लगाए जाएंगे। प्रत्येक गोंडोला में 36 श्रद्धालुओं के बैठने की सुविधा होगी।

इन रोपवे गोंडोला को प्रतिदिन 11 घंटे तक संचालन में रखा जाएगा और इनकी सहायता से प्रतिघंटा लगभग 1800 श्रद्धालु सोनप्रयाग से केदारनाथ और वापस यात्रा कर सकेंगे। इस सिस्टम से ना केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि तीर्थ यात्रा को अत्यंत सहज और आरामदायक बनाया जाएगा।


22 टावर और 5 प्रमुख स्टेशन तय करेंगे पूरी यात्रा

गोंडोला रोपवे परियोजना के अंतर्गत कुल 22 ऊंचे टावर और 5 प्रमुख स्टेशन बनाए जाएंगे। ये स्टेशन होंगे: सोनप्रयाग, गौरीकुंड, चिरबासा, लिनचोली और केदारधाम। इनमें से चिरबासा और लिनचोली को तकनीकी स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें आपातकालीन स्थिति में भी उपयोग किया जा सकेगा।

इन स्टेशनों की खास बात यह है कि यात्रियों को आपात सहायता, फर्स्ट एड, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स और बैठने की समुचित सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पूरे मार्ग को इको-फ्रेंडली बनाया जाएगा।


पर्यटन, रोजगार और स्थानीय विकास में आएगा बड़ा बदलाव

यह परियोजना केवल तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रुद्रप्रयाग क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था को एक नया बल देने वाली साबित हो सकती है। रोपवे के निर्माण से जहां पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा होगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार, होटल, रेस्टोरेंट, टूर गाइड, लॉजिस्टिक्स, खच्चर सेवा, दुकान संचालन और अन्य क्षेत्रों में लाभ होगा।

यह क्षेत्र वर्ष भर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है जिससे मौसम आधारित सीमित आय का संकट दूर होगा। रुद्रप्रयाग जिले के लिए यह परियोजना एक आर्थिक क्रांति का आधार बन सकती है।


यात्रियों की सुरक्षा रहेगी सर्वोपरि, हर स्टेशन पर रहेंगे आपात रिस्पॉन्स सेंटर

अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सभी गोंडोलों में कैमरे, GPS ट्रैकर, ऑक्सीजन सिलेंडर और आपातकालीन रेस्क्यू उपकरण मौजूद रहेंगे। चिरबासा और लिनचोली जैसे तकनीकी स्टेशनों पर हाई अलर्ट स्थिति में मेडिकल टीम व बचाव दल भी तैनात रहेगा। हर स्टेशन पर यात्रियों के लिए सुलभ जल, शौचालय, दवा केंद्र और आराम गृह की व्यवस्था की जाएगी।


सरकार और अदाणी समूह की साझेदारी में ऐतिहासिक पहल

इस पूरे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी भारत सरकार ने अदाणी समूह को सौंपी है। यह साझेदारी देश की पहली उस प्रकार की सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP Model) परियोजनाओं में से एक होगी, जो सीधे एक धार्मिक-पर्यटन क्षेत्र में इस स्तर पर क्रियान्वित की जा रही है।

अदाणी समूह ने पहले ही विभिन्न पर्वतीय राज्यों में सफल रोपवे प्रोजेक्ट्स को अंजाम दिया है, जिससे इस परियोजना को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह और उम्मीद दोनों है। पर्यावरण मंत्रालय से भी इसे अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मिल चुका है और स्थानीय प्रशासन व वन विभाग की मंजूरियां भी मिल रही हैं।


केदारनाथ यात्रा के भविष्य की झलक: सुरक्षित, तेज़ और सुविधा सम्पन्न

केदारनाथ धाम की यह रोपवे परियोजना भारत की आध्यात्मिक यात्रा संस्कृति में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देती है। भविष्य में यह रोपवे उत्तराखंड की सभी धार्मिक यात्राओं के लिए एक मानक बन सकता है।

जिस तरह से आज अमरनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवाएं और वैष्णो देवी में रोपवे यात्रियों की सुविधा को बढ़ा रहे हैं, ठीक उसी प्रकार अब केदारनाथ यात्रा भी भविष्य की तेज़, सुरक्षित और पर्यावरणीय दृष्टि से संतुलित यात्रा बन जाएगी।

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