ग्वालियर में बच्चों की एंटीबायोटिक सिरप में कीड़े निकलने से मचा हड़कंप, स्वास्थ्य विभाग ने पूरे बैच की सप्लाई पर लगाई रोक।
बच्चों की सेहत पर खतरा: ग्वालियर में सिरप से निकले कीड़े, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। जिला अस्पताल मुरार में एक महिला जब अपने बीमार बच्चे को लेकर इलाज के लिए पहुंची, तो उसे एजिथ्रोमाइसीन ओरल सस्पेंशन सिरप दिया गया। लेकिन जब उसने सिरप की बोतल खोली, तो उसमें काले रंग का कीड़े जैसा अजीब तत्व नजर आया। यह देख महिला घबरा गई और तत्काल इसकी सूचना सिविल सर्जन को दी। इस घटना ने पूरे मेडिकल महकमे में हड़कंप मचा दिया है और अब स्वास्थ्य विभाग सिरप की गुणवत्ता को लेकर सख्त कदम उठाने में जुट गया है।
एक बोतल ने खोली पूरी सप्लाई की पोल: सिरप में मिली गंदगी से स्वास्थ्य विभाग सकते में
गौरतलब है कि एजिथ्रोमाइसीन सिरप आमतौर पर बच्चों को वायरल इन्फेक्शन और बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में दी जाती है। यह सिरप विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों और दवा वितरण केंद्रों से मुफ्त में वितरित की जाती है। लेकिन जिस सिरप को बच्चों की सेहत सुधारने के लिए इस्तेमाल किया जाना था, उसमें इस तरह की गंदगी मिलना पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। महिला द्वारा दिखाई गई सिरप की बोतल में जो काले कीड़े जैसी चीजें मिलीं, वे साफ तौर पर मिलावटी या दूषित बैच की ओर इशारा कर रही थीं।
ड्रग डिपार्टमेंट की त्वरित कार्रवाई: सप्लाई पर तत्काल प्रभाव से लगाई रोक
घटना की गंभीरता को देखते हुए ड्रग डिपार्टमेंट ने बिना देर किए मामले को संज्ञान में लिया। ड्रग इंस्पेक्टर अनुभूति शर्मा के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया और जिला अस्पताल मुरार के दवा स्टोर में पहुंचकर सिरप के सैंपल कलेक्ट किए गए। एजिथ्रोमाइसीन सिरप की सप्लाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए पूरे बैच को रिकॉल करने का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं, जिन-जिन वितरण केंद्रों पर यह सिरप भेजा गया था, वहां से भी रिकॉल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
भोपाल से आई थी संदिग्ध सप्लाई: पूरे मध्य प्रदेश में अलर्ट
प्राथमिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि यह सिरप भोपाल स्थित एक सरकारी स्टोर से सप्लाई की गई थी। इसका मतलब है कि सिर्फ ग्वालियर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में यह सिरप भेजी गई हो सकती है। ऐसे में बैच नंबर के आधार पर पूरी सप्लाई चेन को ट्रेस किया जा रहा है ताकि जिन जिलों में यह सिरप भेजी गई है, वहां अलर्ट जारी कर उसकी वितरण प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सके। स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस दूषित दवा से कोई अन्य बच्चा प्रभावित न हो।
सिविल सर्जन की पुष्टि: महिला की शिकायत सही, जांच जारी
सिविल सर्जन डॉ. आरके शर्मा ने मीडिया को बताया कि महिला की शिकायत को गंभीरता से लिया गया है। सिरप की बोतल को जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया है और जांच रिपोर्ट आने तक एजिथ्रोमाइसीन सिरप की सप्लाई को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि जांच रिपोर्ट में सिरप में कीटाणु या मिलावट की पुष्टि होती है तो दवा निर्माता कंपनी और सप्लाई चैन के जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संभावित खतरे: बच्चों में संक्रमण का बढ़ता खतरा
सिरप में कीड़े मिलना कोई मामूली बात नहीं है। यह सीधे-सीधे बच्चों की सेहत और जीवन से खिलवाड़ है। यदि किसी बच्चे ने यह दूषित सिरप पी लिया होता, तो गंभीर संक्रमण, एलर्जी या यहां तक कि जानलेवा परिणाम भी हो सकते थे। यही वजह है कि इस तरह के मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एजिथ्रोमाइसीन जैसी एंटीबायोटिक दवाएं बहुत ही सटीक तरीके से तैयार की जाती हैं और इनके निर्माण में बेहद साफ-सफाई और स्टरलाइजेशन की जरूरत होती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की संभावित प्रतिक्रिया और राज्य स्तरीय समीक्षा
इस घटना के सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की नजर भी इस पर पड़ चुकी है। सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट तलब की है और यह पूछा है कि इस सिरप को किस कंपनी से खरीदा गया था, किन शर्तों के तहत सप्लाई हुई थी, और किन जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे वितरित करने की अनुमति दी थी। साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या सप्लाई से पहले इस दवा की लैब टेस्टिंग कराई गई थी या नहीं।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले: कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हुई थीं बच्चों की मौतें
यह पहला मौका नहीं है जब बच्चों की दवा को लेकर ऐसा मामला सामने आया हो। इससे पहले भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप में खतरनाक तत्व मिलने की वजह से कुछ बच्चों की जान चली गई थी। उस समय भी सप्लाई रोकने और कंपनी पर कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब तक व्यवस्था में कोई बड़ा सुधार नजर नहीं आता। सवाल यही उठता है कि क्या हमारी सरकारी दवा सप्लाई व्यवस्था इतनी लचर हो चुकी है कि बच्चों की जान से भी खिलवाड़ हो रहा है?
दवा निर्माता कंपनी पर कार्रवाई के संकेत, लाइसेंस हो सकता है रद्द
ड्रग डिपार्टमेंट की ओर से यह स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि यदि जांच में सिरप दूषित पाई जाती है, तो निर्माता कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और इसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता व ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। इसके अलावा यदि सप्लाई में शामिल किसी सरकारी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है, तो उस पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
लोगों में फैला डर और आक्रोश: बच्चों की दवा में कीड़े देख मचा हाहाकार
ग्वालियर समेत आसपास के क्षेत्रों में इस घटना के बाद लोगों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। बच्चों के अभिभावकों में डर व्याप्त है कि कहीं उनके बच्चों को भी वही सिरप न दी गई हो। अस्पतालों में अभिभावक लगातार दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल कर रहे हैं और डॉक्टरों से सुरक्षित विकल्प देने की मांग कर रहे हैं।

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