यज्ञ के बीच पहुंचे तीन असली शेर! पूरा समय देखते रहे पूजा, किसी को छुआ तक नहीं – भक्त बोले ‘मां की माया’




जूनागढ़ में विजयदशमी पर यज्ञ के दौरान तीन शेर मंदिर में बैठे रहे, ब्राह्मण बिना डरे पूजा करते रहे, शेर लौट गए जंगल


जूनागढ़ में विजयदशमी पर दिखा अद्भुत नजारा, खोडियार माता मंदिर में चमत्कार जैसा दृश्य

गुजरात के जूनागढ़ जिले में विजयदशमी के दिन वह दृश्य सामने आया जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया। गिरनार पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध खोडियार माता मंदिर में यज्ञ चल रहा था और यज्ञ के बीचोंबीच तीन असली शेर मंदिर परिसर में आकर बैठ गए। यह घटना इतनी विचित्र और चमत्कारिक थी कि जिसने भी देखी, वह दंग रह गया। लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि जंगली शेर शांत भाव से मंदिर में बैठकर यज्ञ देख रहे हैं और किसी को नुकसान नहीं पहुँचा रहे।

मां खोडियार के मंदिर में यज्ञ के दौरान पहुंचे तीन शेर

यह घटना शुक्रवार दोपहर की बताई जा रही है जब विजयदशमी के मौके पर खोडियार माता मंदिर में भव्य यज्ञ का आयोजन चल रहा था। यज्ञ स्थल पर ब्राह्मण वेद मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे और भक्तजन श्रद्धा से पूजा में लीन थे। इसी दौरान अचानक तीन शेर जंगल की ओर से मंदिर की दिशा में आए। वहां मौजूद लोग कुछ क्षणों के लिए सन्न रह गए, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि शेरों ने किसी पर हमला नहीं किया।

शेरों की शांति देख भक्त हुए नतमस्तक

मंदिर परिसर में मौजूद लोगों के मुताबिक, शेर यज्ञ कुंड से कुछ दूरी पर आकर बैठ गए। वे न तो दहाड़े, न ही किसी प्रकार की आक्रामक हरकत की। वे शांत मुद्रा में बैठे रहे, जैसे किसी दैवीय शक्ति ने उन्हें वहां रुकने का संकेत दिया हो। ब्राह्मणों ने भी अपना यज्ञ जारी रखा और बिना भय के पूरे विधि-विधान से पूजा पूरी की। यज्ञ के अंत तक शेर वहीं बैठे रहे और जैसे ही हवन समाप्त हुआ, तीनों शेर धीरे-धीरे जंगल की दिशा में लौट गए।

वीडियो बना सोशल मीडिया पर वायरल

मौके पर मौजूद एक व्यक्ति ने इस पूरे दृश्य का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। देखते ही देखते वीडियो वायरल हो गया और पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। लोग वीडियो देखकर इसे भक्ति और शक्ति का चमत्कार बता रहे हैं। कई लोगों ने इसे मां खोडियार की कृपा बताया कि उनकी उपस्थिति में हिंसक जानवर भी शांत होकर बैठ गए।

वन विभाग ने भी दी जानकारी

जूनागढ़ वन विभाग के डीसीएफ (Deputy Conservator of Forest) ने बताया कि गिर वन क्षेत्र में शेरों का घूमना आम बात है। यह मंदिर गिर अभयारण्य के समीप स्थित है, इसलिए शेर अक्सर इस इलाके में दिखाई देते हैं। अधिकारियों के अनुसार, संभवतः शेरों ने यज्ञ के दौरान गूंजते मंत्रों की आवाज सुनी होगी और उत्सुकतावश वहां पहुंचे होंगे। परंतु उन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया, जिससे पता चलता है कि स्थिति पूरी तरह शांत रही।

भक्त बोले – मां की माया, नहीं कोई संयोग

जूनागढ़ और आसपास के क्षेत्रों में इस घटना को लेकर धार्मिक श्रद्धा का माहौल है। कई भक्तों का कहना है कि यह कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि मां खोडियार की कृपा है। उनका मानना है कि शेर स्वयं ‘मां शेरावाली’ के वाहन हैं और विजयदशमी के दिन माता के दर्शन करने पहुंचे थे। सोशल मीडिया पर भी ऐसे ही संदेश वायरल हो रहे हैं कि ‘मां की भक्ति में इतनी शक्ति होती है कि हिंसक जीव भी शांति का प्रतीक बन जाते हैं।’

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्या कहता है वन विभाग

जहां भक्त इसे चमत्कार बता रहे हैं, वहीं विशेषज्ञ इसे एक स्वाभाविक घटना मानते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि गिर क्षेत्र में शेर अक्सर पानी, भोजन या सुगंध के कारण मानव बस्तियों के आसपास आ जाते हैं। संभवतः यज्ञ में उपयोग होने वाले घी, धूप या हवन सामग्री की गंध ने उन्हें आकर्षित किया हो। हालांकि यह दुर्लभ संयोग है कि शेरों ने आक्रामकता नहीं दिखाई।

वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं दो हिस्सों में बंटी दिखीं। एक वर्ग इसे धार्मिक चमत्कार कह रहा है तो दूसरा इसे वन्यजीवों के शांत स्वभाव का उदाहरण बता रहा है। कुछ यूजर्स ने लिखा, “मां खोडियार के मंदिर में शेरों का आना, यह दैवीय संकेत है।” जबकि कुछ ने कहा, “प्रकृति में संतुलन का यह सुंदर उदाहरण है कि जब मनुष्य और पशु दोनों शांत रहें, तो हिंसा का कोई स्थान नहीं रहता।”

बिना डर के पूजा करते रहे ब्राह्मण

यज्ञ कर रहे पंडितों का कहना है कि जब उन्होंने देखा कि शेर पास आकर बैठ गए हैं, तो उनके मन में क्षणिक भय जरूर आया, लेकिन उन्होंने मां खोडियार से प्रार्थना की और अपना काम जारी रखा। उनका विश्वास था कि देवी की कृपा से कोई अनहोनी नहीं होगी। और हुआ भी ऐसा ही — शेरों ने वहां मौजूद किसी व्यक्ति को छुआ तक नहीं। यह दृश्य उपस्थित लोगों के लिए आजीवन यादगार बन गया।

लोगों ने मां शेरावाली से जोड़ा प्रतीकात्मक अर्थ

भारत में देवी दुर्गा को ‘सिंहवाहिनी’ कहा जाता है यानी वह शेर पर सवार होती हैं। इस दृष्टि से भी यह घटना भक्तों के लिए विशेष प्रतीक बन गई। कई लोगों ने कहा कि विजयदशमी, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का पर्व है, उस दिन शेरों का इस प्रकार शांत होकर उपस्थित होना देवी के आशीर्वाद का संकेत है। यह घटना आध्यात्मिकता और वन्यजीव संरक्षण दोनों के संदेश देती है।

प्रशासन ने लोगों से की अपील

स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि ऐसे घटनाक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की उत्तेजना या भीड़ न जुटाएं। जंगली जानवरों से दूरी बनाए रखना ही सुरक्षा का सबसे बड़ा नियम है। वीडियो बनाने के बजाय लोगों को तुरंत वन विभाग को सूचना देनी चाहिए ताकि जानवर सुरक्षित रूप से अपने क्षेत्र में लौट सकें।

गिरनार क्षेत्र और शेरों का प्राकृतिक व्यवहार

गिरनार पर्वत और उसके आस-पास के जंगल गिर राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा हैं, जो एशियाई शेरों (Asiatic Lions) का प्राकृतिक आवास है। यहां लगभग 700 से अधिक शेर रहते हैं और अक्सर शाम या रात के समय मंदिरों के आसपास देखे जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि शेर इंसानों से तब तक दूर रहते हैं जब तक उन्हें खतरा महसूस नहीं होता।

इस घटना ने दिलाया ‘मनुष्य और प्रकृति’ के संतुलन का संदेश

जूनागढ़ की यह घटना सिर्फ धार्मिक या चमत्कारिक दृष्टि से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह दिखाती है कि जब इंसान प्रकृति का सम्मान करता है और शांति बनाए रखता है, तो हिंसक प्राणी भी अहिंसा का व्यवहार कर सकते हैं। यज्ञ स्थल पर न कोई शोर, न अफरा-तफरी — सब कुछ शांत और संतुलित रहा। यही संतुलन भारत की संस्कृति की पहचान है।

वायरल वीडियो ने दी देशभर में चर्चा को हवा

वीडियो वायरल होने के बाद कई न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पेजों ने इसे दिखाया। कुछ ने इसे ‘जूनागढ़ का चमत्कार’ बताया तो कुछ ने ‘गिरनार की आध्यात्मिक घटना’। लोग इसे लगातार शेयर कर रहे हैं और इस पर कमेंट्स कर रहे हैं — कोई इसे भक्ति की शक्ति बता रहा है तो कोई विज्ञान का अजूबा।

वन्यजीव सुरक्षा को लेकर चेतावनी

हालांकि वन विभाग ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि किसी भी जंगली जानवर के करीब जाना खतरनाक हो सकता है। भले ही इस घटना में शेर शांत थे, परंतु यह आवश्यक नहीं कि हर बार ऐसा ही हो। इसलिए श्रद्धा के साथ-साथ सावधानी रखना भी जरूरी है।

मां खोडियार मंदिर की मान्यता

खोडियार माता मंदिर गुजरात का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां रोज़ाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि माता अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। इस मंदिर के आसपास का इलाका प्राकृतिक रूप से सुंदर है और गिरनार की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। विजयदशमी पर यहां विशेष पूजा-अर्चना और यज्ञ का आयोजन होता है।

श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, मंदिर बना आकर्षण केंद्र

इस घटना के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ और बढ़ गई है। लोग शेरों की उपस्थिति को शुभ संकेत मानकर दर्शन करने पहुंच रहे हैं। स्थानीय पुजारी बताते हैं कि माता के दरबार में यह पहली बार हुआ है जब इतने नजदीक से तीन शेर आए और फिर शांति से लौट गए।

जूनागढ़ की इस घटना ने यह संदेश दिया है कि भक्ति में सचमुच शक्ति है — वह हिंसक जीव को भी शांत कर सकती है। चाहे इसे संयोग कहें या आस्था, लेकिन इसने पूरे देश में श्रद्धा, विज्ञान और प्रकृति के अनोखे संतुलन की चर्चा छेड़ दी है। गिरनार के खोडियार माता मंदिर में शेरों का शांत भाव से बैठना आने वाले वर्षों तक लोगों के लिए यादगार रहेगा।

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