बारिश में भी नहीं थमा उत्साह: मछलीशहर में गूंजा ‘जय श्रीराम’, चारों भाइयों के मिलन पर भावुक हुए भक्त – भरत मिलाप मेला संपन्न



मछलीशहर में बारिश के बीच भरत मिलाप मेला धूमधाम से संपन्न, चारों भाइयों के मिलन पर भक्तों की आंखों से छलके आंसू

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट


मछलीशहर में भक्तिमय वातावरण के बीच भरत मिलाप मेला संपन्न

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मछलीशहर नगर में शुक्रवार रात धार्मिक उत्साह और भक्ति के रंग में सराबोर भरत मिलाप मेला धूमधाम से मनाया गया। देर रात तक चलने वाले इस आयोजन में बारिश की बूंदों ने भी श्रद्धालुओं के जोश को ठंडा नहीं किया। रामलीला के मंचन के बाद जब भरत और भगवान श्रीराम का मिलन हुआ तो वातावरण में ‘जय श्रीराम’ के गगनभेदी नारे गूंज उठे। नगरवासियों ने भावविभोर होकर इस ऐतिहासिक क्षण को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया और कुछ की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

चारों भाइयों के मिलन का दृश्य बना आकर्षण का केंद्र

नगर के सराय मोहल्ले में बने भव्य मंच पर जब भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मिलन हुआ तो ऐसा लगा मानो त्रेता युग की झलक साक्षात उतर आई हो। मंच पर चारों भाइयों के आलिंगन का दृश्य देखते ही भीड़ में मौजूद हर व्यक्ति भावनाओं से भर गया। हर तरफ से ‘जय श्रीराम’, ‘भरत मिलाप अमर रहे’ के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो उठा। भगवान श्रीराम, माता सीता और चारों भाइयों की आरती उतारी गई, जिसके बाद भक्तों ने आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद ग्रहण किया।

सौ साल पुरानी परंपरा का निर्वहन

मछलीशहर में आदर्श रामलीला समिति द्वारा सन 1913 से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। हर वर्ष दशमी के दिन रावण का पुतला दहन होने के बाद एकादशी को भरत मिलाप का भव्य आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी लगातार हो रही बारिश के बावजूद कार्यक्रम पूरी रात जारी रहा। यह परंपरा न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि स्थानीय संस्कृति और एकता का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।

नगर सजा दुल्हन की तरह, कलाकारों ने बांधा समां

भरत मिलाप के अवसर पर पूरे नगर को दीपों, झालरों और रोशनी से दुल्हन की तरह सजाया गया था। सराय, मंगल बाजार, शादीगंज, चुंगी चौराहा, जंघई पड़ाव, सुजानगंज चौराहा, बरईपार चौराहा और रोडवेज पर आकर्षक मंच बनाए गए। इन मंचों पर कलाकारों ने भगवान श्रीराम के जीवन के विभिन्न प्रसंगों का जीवंत मंचन कर लोगों का मन मोह लिया। दर्शकों ने कलाकारों को तालियों की गड़गड़ाहट और जयकारों से सम्मानित किया। आयोजकों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को पुरस्कार और सम्मान भी प्रदान किया।

बारिश के बावजूद भक्तों का उत्साह चरम पर

शुक्रवार सुबह से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने आयोजन को थोड़ी चुनौती जरूर दी, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था इतनी प्रबल थी कि कोई भी पीछे नहीं हटा। रात के समय जैसे ही मंच पर भरत मिलाप का दृश्य प्रारंभ हुआ, लोग छतरियों और प्लास्टिक शीट के नीचे भीगते हुए नारे लगाते रहे। भक्ति और भावनाओं का संगम इस तरह देखने को मिला कि कई बुजुर्ग भक्त अपने अनुभव साझा करते हुए बोले—“ऐसा दृश्य जीवन में बार-बार नहीं देखने को मिलता।”

प्रशासन ने रखा सुरक्षा पर विशेष ध्यान

मेले के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी। कार्यक्रम स्थल पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कुमार सौरभ, अधिशासी अधिकारी, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) आतिश कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी प्रतिमा वर्मा और प्रभारी निरीक्षक विनीत रॉय खुद मौजूद रहे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग की गई थी ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।

समिति और सामाजिक संगठनों की रही अहम भूमिका

आयोजन की सफलता में महासमिति के मुख्य न्यासी दिनेश चंद्र सिन्हा, अध्यक्ष शिशिर कुमार गुप्ता, कृपा शंकर श्रीवास्तव, राकेश जायसवाल, राज कुमार पटवा, रवि पटवा, राजेश उमर वैश्य, संतोष जायसवाल, मनोज जायसवाल और राजेश अग्रहरि जैसे प्रमुख लोगों की भूमिका सराहनीय रही। नगर के कई स्वयंसेवी संगठनों ने भी व्यवस्था संभालने और श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने में सक्रिय योगदान दिया।

भक्तों की आंखों में छलके भावनाओं के आंसू

जब मंच पर चारों भाइयों का मिलन हुआ, तब वहां मौजूद हजारों की भीड़ ने एक साथ सिर झुकाकर प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा प्रकट की। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर किसी के चेहरे पर भक्ति और आनंद की झलक दिखाई दी। मंच पर जब भरत ने श्रीराम के चरणों में शीश झुकाया, तो माहौल में एक पल को सन्नाटा छा गया। उसी क्षण दर्शकों के आंसू बह निकले, और पूरा नगर राममय हो उठा।

धार्मिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

मछलीशहर का भरत मिलाप मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुका है। यहां हर समुदाय और वर्ग के लोग शामिल होकर मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। यह आयोजन स्थानीय परंपरा और भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल प्रस्तुत करता है। इस बार भी नगर में विभिन्न वर्गों के लोगों ने आयोजन की तैयारी और सजावट में सहयोग दिया।



रामलीला के मंचन से लेकर रावण दहन तक का अद्भुत सफर

आदर्श रामलीला समिति द्वारा दशमी के दिन रावण दहन का आयोजन किया गया था, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। उसी उत्सव का समापन एकादशी के भरत मिलाप से होता है, जो प्रतीक है प्रेम, क्षमा और धर्म की विजय का। यह आयोजन त्रेता युग की उस घटना की याद दिलाता है, जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे और उनके भाई भरत ने भावनाओं से अभिभूत होकर उनका स्वागत किया था।

श्रद्धालुओं के लिए रहे विशेष इंतज़ाम

नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और पेयजल की पूरी व्यवस्था की। जगह-जगह प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाए गए ताकि भीड़ में किसी को कोई दिक्कत न हो। कई सामाजिक संस्थाओं ने भी प्रसाद और जल वितरण की व्यवस्था की।

डिजिटल युग में परंपरा की झलक

रोचक बात यह रही कि इस बार का भरत मिलाप सोशल मीडिया पर भी छाया रहा। लोगों ने मंचन की लाइव स्ट्रीमिंग फेसबुक और यूट्यूब पर साझा की। वीडियो और फोटो रातभर वायरल होते रहे, जिससे देशभर के लोग मछलीशहर के इस ऐतिहासिक आयोजन से जुड़ गए। इसने यह साबित कर दिया कि परंपरा और तकनीक का संगम एक नया अध्याय रच रहा है।



भक्ति, परंपरा और संस्कृति का अद्भुत संगम

भरत मिलाप मेला मछलीशहर की पहचान बन चुका है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का वह हिस्सा है जो हर वर्ष नई ऊर्जा के साथ नगरवासियों को जोड़ता है। बारिश, ठंड या किसी भी कठिनाई के बावजूद यहां की आस्था कभी नहीं डगमगाती। यही कारण है कि इस बार भी श्रद्धालु देर रात तक कार्यक्रम में डटे रहे और ‘जय श्रीराम’ की गूंज से आसमान तक गूंज उठा।

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