इंदौर में दो छात्रों ने परीक्षा टालने के लिए प्रिंसिपल की मौत का फर्जी पत्र वायरल किया, पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया।
इंदौर में सनसनी: छात्रों ने रची परीक्षा टालने की साजिश, प्रिंसिपल की ‘मौत’ का फैलाया झूठ
मध्य प्रदेश के इंदौर से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दो छात्रों ने परीक्षा से बचने के लिए एक ऐसी साजिश रची जिसने न सिर्फ पूरे कॉलेज को हिलाकर रख दिया बल्कि समाज में भी गलत संदेश दिया। शासकीय होलकर साइंस कॉलेज के बीसीए के दो छात्रों ने ऑनलाइन परीक्षा टालने के इरादे से कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अनामिका जैन की ‘मौत’ की झूठी खबर सोशल मीडिया पर फैला दी। इस अफवाह के बाद कॉलेज में हड़कंप मच गया और कई लोग शोक व्यक्त करने उनके घर तक पहुंच गए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फर्जी पत्र
पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब एक फर्जी पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा। यह पत्र शासकीय होलकर साइंस कॉलेज के लेटरहेड जैसा बनाया गया था, जिसमें लिखा गया था कि प्राचार्य डॉ. अनामिका जैन के आकस्मिक निधन के कारण 15 और 16 अक्टूबर को आयोजित ऑनलाइन परीक्षाएं स्थगित की जा रही हैं। साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया कि सभी कक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं।
इस फर्जी पत्र पर "आवश्यक सूचना" शीर्षक था और ऐसा प्रतीत कराया गया मानो यह कॉलेज प्रशासन की ओर से जारी किया गया हो। पत्र की भाषा, फॉर्मेटिंग और स्टाइल इतनी वास्तविक लग रही थी कि किसी को भी उस पर शक नहीं हुआ। परिणामस्वरूप कॉलेज से जुड़े लोग और कई अभिभावक तक शोक जताने प्रिंसिपल के घर पहुंच गए, जहां उन्हें सच्चाई का पता चलने पर गहरा झटका लगा।
प्रिंसिपल ने की शिकायत, पुलिस ने दर्ज किया मामला
इस चौंकाने वाली घटना की जानकारी मिलते ही प्राचार्य डॉ. अनामिका जैन ने भंवरकुआं पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि इस फर्जी पत्र के कारण वह और उनका परिवार मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। प्रिंसिपल ने कहा कि यह न केवल उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का प्रयास है, बल्कि शासकीय कार्यों में बाधा डालने की भी गंभीर साजिश है। उन्होंने मांग की कि पुलिस आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे ताकि आगे कोई ऐसा दुस्साहस न कर सके।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने बीसीए तृतीय सेमेस्टर के दो छात्रों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(4) के तहत मामला दर्ज किया है। यह धारा किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जानबूझकर झूठे दस्तावेज तैयार करने और प्रचारित करने से संबंधित है। इस अपराध में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
कॉलेज प्रशासन भी आया हरकत में
प्रिंसिपल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद कॉलेज प्रशासन भी सतर्क हो गया है। कॉलेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फर्जी पत्र तैयार करने के लिए जिस लेटरहेड का उपयोग किया गया, वह हूबहू कॉलेज के असली लेटरहेड जैसा था। यह एक गंभीर साइबर अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि इससे न केवल संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा, बल्कि छात्रों और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।
कॉलेज प्रशासन अब इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या छात्रों को किसी बाहरी व्यक्ति या पूर्व छात्रों द्वारा उकसाया गया था। साइबर एक्सपर्ट्स की सहायता से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि फर्जी पत्र सबसे पहले कहां से वायरल हुआ और इसके पीछे असल मास्टरमाइंड कौन है।
प्रिंसिपल को पहले भी मिल चुकी हैं धमकियां
प्राचार्य डॉ. अनामिका जैन ने मीडिया से बातचीत में यह भी संकेत दिए कि यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से कुछ असामाजिक तत्व उन्हें परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं। कभी ईमेल के जरिए धमकी दी जाती है तो कभी फर्जी अफवाहें फैलाकर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता है।
हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारों में यह स्पष्ट किया कि इस पूरी घटना की गहराई में कोई और बड़ा नेटवर्क हो सकता है जो उन्हें प्रिंसिपल पद से हटवाना चाहता है या कॉलेज में अनुशासन भंग करना चाहता है।
पुलिस की कार्रवाई और कानूनी प्रावधान
भंवरकुआं थाने के प्रभारी राजकुमार यादव ने बताया कि प्रिंसिपल की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों छात्रों की पहचान कर ली गई है। दोनों से पूछताछ की जा रही है और जल्द ही उन्हें हिरासत में लिया जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(4) के तहत यदि आरोपी दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें तीन साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। पुलिस तकनीकी जांच में जुट गई है और सोशल मीडिया के माध्यम से यह पता लगाया जा रहा है कि इस फर्जी पत्र को किस-किसने शेयर किया था और किस IP एड्रेस से यह सबसे पहले वायरल किया गया।
समाज में गूंजा मामला, उठी सख्त सजा की मांग
इस घटना के बाद समाज के विभिन्न वर्गों से भी प्रतिक्रिया आने लगी है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने इसे बेहद निंदनीय बताया है और कहा है कि यह शिक्षा की मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। छात्रों को शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए न कि शॉर्टकट अपनाकर इस प्रकार की गैरकानूनी हरकतों में शामिल होना चाहिए।
सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई यूजर्स ने तो यह तक कहा कि अगर ऐसे छात्रों को सख्त सजा नहीं दी गई, तो भविष्य में और छात्र भी इस तरह की साजिशों में शामिल हो सकते हैं। इससे शिक्षा व्यवस्था और समाज दोनों पर विपरीत असर पड़ेगा।
शिक्षा का मंदिर बने षड्यंत्र का केंद्र?
यह घटना एक बहुत ही गंभीर और चिंतनशील मुद्दा उठाती है कि क्या आज के शिक्षण संस्थान, जहां विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण होना चाहिए, वहां साजिशों और अफवाहों का अड्डा बनते जा रहे हैं? अगर छात्र इस स्तर तक गिर सकते हैं कि एक शिक्षक की मौत की झूठी खबर फैला दें, तो यह केवल कानून का ही नहीं बल्कि नैतिकता का भी बड़ा उल्लंघन है।
इस घटना ने ना केवल प्रिंसिपल के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया, बल्कि पूरे कॉलेज समुदाय को झकझोर कर रख दिया। इसके अलावा, यह सवाल भी खड़ा करता है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग किस हद तक बढ़ चुका है और इसके लिए किस हद तक तकनीकी निगरानी और डिजिटल एजुकेशन जरूरी है।

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