उदयपुर में DSP सूर्यवीर सिंह का वीडियो वायरल, मुआवजा मांगने वालों को दी लाठीचार्ज की धमकी और गालियां, पुलिस पर पथराव के बाद हंगामा
उदयपुर में सड़क हादसे से मचा बवाल, DSP का गुस्सा चढ़ा सिर पर
राजस्थान के उदयपुर जिले के सायला थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक सड़क हादसे ने पूरे इलाके में तनाव का माहौल पैदा कर दिया. एक कार ने बाइक सवार को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही युवक की मौत हो गई. हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग करते हुए सड़क जाम कर दी और पुलिस पर भी पथराव कर दिया. माहौल तेजी से बिगड़ता जा रहा था तभी मौके पर पहुंचे डीएसपी सूर्यवीर सिंह ने हालात संभालने के बजाय खुद आग में घी डालने जैसा काम कर दिया
धरने पर बैठे लोगों से गाली-गलौज, लाठीचार्ज की धमकी
जैसे ही डीएसपी सूर्यवीर सिंह घटनास्थल पर पहुंचे, उन्होंने भीड़ से बातचीत करने के बजाय आक्रोशित स्वर में गालियां देनी शुरू कर दीं. उनका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की धमकी देते हुए कहते नजर आ रहे हैं—“पांच मिनट में सड़क खाली करो, वरना डंडा चलेगा”. इस दौरान उन्होंने कई अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया जिससे धरने पर बैठे लोगों में और ज्यादा गुस्सा फैल गया
वायरल वीडियो ने बढ़ाया बवाल, पुलिस पर उठे सवाल
घटना का वीडियो सामने आते ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. वीडियो में साफ दिखाई देता है कि डीएसपी सूर्यवीर सिंह न केवल प्रदर्शनकारियों को धमका रहे हैं बल्कि उन्हें लाठीचार्ज की चेतावनी भी दे रहे हैं. इससे जनता और पुलिस के बीच विश्वास की खाई और चौड़ी हो गई है. सोशल मीडिया पर लोग लगातार पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं और उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं
सड़क जाम और पथराव के बाद 29 लोगों की गिरफ्तारी
उदयपुर पुलिस ने बताया कि सड़क जाम और पथराव के बाद हालात को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने पड़े. इस दौरान 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 50 बाइक व 2 कारें जब्त की गईं. डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़ ने बताया कि इन पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पुलिस पर हमला करने और कानून व्यवस्था भंग करने जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. हालांकि लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने पहले ही संवेदनशीलता से बात की होती तो हालात इतने बिगड़ते नहीं
आनंदपाल एनकाउंटर केस से जुड़ा विवादित नाम
डीएसपी सूर्यवीर सिंह का नाम कोई नया नहीं है. वे पहले भी विवादों में रह चुके हैं. दरअसल वे बहुचर्चित आनंदपाल एनकाउंटर केस में भी आरोपी पुलिस अधिकारी रह चुके हैं. 24 जून 2017 को हुए इस एनकाउंटर में सूर्यवीर सिंह एसओजी में इंस्पेक्टर के पद पर थे. जोधपुर की अदालत ने बाद में इस एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी थी और सूर्यवीर सिंह सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था
ग्रामीणों का आरोप, "मदद मांगने पर मिली गालियां"
धरने पर बैठे ग्रामीणों का आरोप है कि वे सिर्फ मुआवजे और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे. लेकिन पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. ग्रामीणों का कहना है कि डीएसपी सूर्यवीर सिंह ने न सिर्फ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया बल्कि “मार-पीट की धमकी” भी दी. एक ग्रामीण ने कहा कि “हम न्याय मांग रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें अपराधी की तरह ट्रीट किया.” यह बयान सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है
वीडियो वायरल होने के बाद मचा हड़कंप
गाली-गलौज और धमकी का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. वीडियो में डीएसपी का बर्ताव देखकर लोग हैरान रह गए. कई सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस पर सख्त नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि पुलिस की वर्दी का मतलब जनता को डराना नहीं, बल्कि उनकी रक्षा करना है. उधर, उदयपुर रेंज के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है
प्रशासन की सफाई और जनता की नाराजगी
पुलिस प्रशासन की ओर से कहा गया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा पहले पथराव किया गया था, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए. भीड़ हिंसक हो चुकी थी, इसलिए डीएसपी ने सख्ती दिखाई. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुलिस ने शुरुआत में शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत की होती तो मामला इतना नहीं बिगड़ता. वीडियो में दिख रही भाषा और रवैये से जनता का भरोसा टूट रहा है, जो पुलिस की छवि पर सवाल खड़ा करता है
DSP की पुरानी छवि और विवादों की परतें
डीएसपी सूर्यवीर सिंह का नाम पहले भी कई बार विवादों में आ चुका है. आनंदपाल एनकाउंटर के बाद उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. बाद में वे उदयपुर जिले में पदस्थापित हुए, लेकिन उनका नाम अब फिर से विवादों के केंद्र में है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके व्यवहार में अक्सर रौब झलकता है और वे जनता से सख्ती से पेश आते हैं. यही रवैया इस बार भी सामने आया और वीडियो ने आग में घी डालने का काम किया
जनता के गुस्से के बीच पुलिस विभाग की रणनीति
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या डीएसपी सूर्यवीर सिंह के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई होगी या नहीं. वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और रिपोर्ट आने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे. फिलहाल विभाग अंदरूनी समीक्षा में जुटा है कि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में कैसे रोका जाए. पुलिस विभाग ने भीड़ नियंत्रण के SOP को फिर से रिव्यू करने का फैसला किया है
वीडियो के फॉरेंसिक परीक्षण की तैयारी
जिला पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वायरल वीडियो का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वीडियो में कोई एडिटिंग या छेड़छाड़ नहीं की गई है. जांच के बाद रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी. पुलिस ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि वीडियो के प्रसार से स्थिति और न बिगड़े, इसके लिए साइबर सेल सक्रिय है
न्याय और जिम्मेदारी पर बहस
यह पूरा मामला न केवल एक वीडियो या एक अधिकारी के व्यवहार का है, बल्कि उस सोच का प्रतीक है जो पुलिस और जनता के बीच संवाद की कमी को उजागर करता है. जिस पुलिस पर जनता भरोसा करती है, जब वही अपनी वर्दी का रौब दिखाने लगे, तो व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है. इस घटना ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि “क्या जनता की आवाज उठाना अपराध है?”


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