मऊगंज तहसीलदार बीके पटेल ने किसान की कॉलर पकड़कर गाली-गलौज की। वीडियो वायरल होने पर रीवा कमिश्नर ने उन्हें सस्पेंड किया।
मऊगंज तहसीलदार का किसान से दुर्व्यवहार, वीडियो वायरल होने पर कार्रवाई
मध्य प्रदेश के रीवा संभाग के मऊगंज जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने प्रशासनिक अमले की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां के तहसीलदार बीके पटेल ने जमीन विवाद सुलझाने के दौरान एक किसान से न केवल गाली-गलौज की बल्कि उसका कॉलर पकड़कर सार्वजनिक रूप से अपमानित भी किया। इस घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, प्रदेशभर में हड़कंप मच गया और मामला गरमा गया। दबाव बढ़ने पर रीवा कमिश्नर बीएस जामोद ने तत्काल प्रभाव से तहसीलदार को निलंबित कर दिया।
गनिगवां गांव में जमीन विवाद से शुरू हुआ मामला
यह पूरा मामला मऊगंज तहसील के देवतालाब उप तहसील अंतर्गत गनिगवां गांव का है। गांव के दो प्रजापति परिवारों के बीच भूमि को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था, जो कि अदालत में भी लंबित था। कोर्ट के आदेश के बाद 25 सितंबर को प्रशासनिक टीम मौके पर कब्जा दिलाने पहुंची थी। इसी दौरान विवाद को सुलझाने के प्रयास में पहुंचे तहसीलदार बीके पटेल का गुस्सा अचानक भड़क उठा और उन्होंने किसान सुषमेश पांडे के साथ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए उसकी कॉलर पकड़ ली।
वीडियो वायरल होते ही प्रशासनिक हलकों में मचा हड़कंप
गांव में मौजूद किसी व्यक्ति ने तहसीलदार और किसान के बीच हुई इस गरमा-गरमी को अपने मोबाइल में कैद कर लिया और देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में तहसीलदार को किसान को गालियां देते और कॉलर पकड़कर झकझोरते साफ देखा जा सकता है। घटना सामने आते ही प्रशासनिक हलकों से लेकर आम जनता में भी आक्रोश फैल गया। लोग लगातार अधिकारियों से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग करने लगे।
कमिश्नर ने बताया गंभीर कदाचार, की तत्काल कार्रवाई
रीवा कमिश्नर बीएस जामोद ने वायरल वीडियो को बेहद गंभीरता से लेते हुए इसे घोर आपत्तिजनक और गंभीर कदाचार की श्रेणी में माना। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री की स्पष्ट मंशा है कि कोई भी अधिकारी आम जनता से दुर्व्यवहार नहीं करेगा और यदि ऐसा होता है तो कठोर कदम उठाए जाएंगे। इसी दिशा में तहसीलदार बीके पटेल को तत्काल निलंबित कर दिया गया है और उन्हें मऊगंज कलेक्ट्रेट कार्यालय से अटैच कर दिया गया है।
प्रशासनिक अमले की साख पर उठे सवाल
इस घटना ने न केवल तहसीलदार की कार्यशैली बल्कि प्रशासनिक अमले की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता के बीच यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि जब शिकायतों और विवादों के निपटारे के लिए जिम्मेदार अधिकारी ही इस तरह का व्यवहार करेंगे तो न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि तहसीलदार की इस हरकत ने सरकारी अमले की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया है।
प्रदेश की राजनीति में भी गूंजी घटना
मऊगंज की यह घटना प्रशासनिक गलियारों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी सुर्खियां बटोरने लगी। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता और दबंगई का स्पष्ट उदाहरण है। वहीं सत्ता पक्ष ने कमिश्नर द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि सरकार जनता के सम्मान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी।
किसान वर्ग में गुस्सा और असंतोष
किसानों के साथ हुए दुर्व्यवहार की यह घटना प्रदेशभर में किसान संगठनों और किसानों के बीच आक्रोश का कारण बन गई है। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि एक किसान, जो पहले से ही अपनी जमीन के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहा था, उसे इस तरह सार्वजनिक रूप से अपमानित करना बेहद शर्मनाक है।
सरकारी अमले के लिए सबक
मऊगंज तहसीलदार की इस हरकत ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को यह सख्त संदेश दिया है कि अब जनता के साथ अभद्रता और दबंगई के मामले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। यह घटना निश्चित रूप से अन्य अधिकारियों के लिए भी एक सबक है कि आम जनता के साथ धैर्य और मर्यादा का पालन करते हुए ही काम करना होगा।
मऊगंज तहसीलदार बीके पटेल द्वारा किसान के साथ किया गया दुर्व्यवहार केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं बल्कि शासन और जनता के बीच के भरोसे को चोट पहुंचाने वाली घटना है। वीडियो के वायरल होने से यह मामला और अधिक गंभीर हो गया क्योंकि जनता ने अपनी आंखों से अधिकारी का असली चेहरा देखा। रीवा कमिश्नर की त्वरित कार्रवाई ने जहां कुछ हद तक जनता का विश्वास बहाल करने का प्रयास किया है, वहीं यह घटना आने वाले समय में प्रशासनिक व्यवहार और जवाबदेही पर भी गहरी छाप छोड़ जाएगी।


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