कानपुर में 5 बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा देकर शव का देहदान किया, अंतिम इच्छा पूरी कर समाज को भावुक संदेश दिया।
कानपुर में बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज, पिता की अंतिम इच्छा कर दी पूरी
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से एक बेहद भावुक करने वाली खबर सामने आई है। यहां पांच बेटियों ने अपने पिता की मौत के बाद न सिर्फ उनकी अर्थी को कंधा दिया, बल्कि उनकी अंतिम इच्छा को भी पूरा करते हुए शव का देहदान मेडिकल कॉलेज को कर दिया। यह मामला शहर के अशोकनगर इलाके का है, जहां आईआईटी से रिटायर्ड आर के तिवारी के निधन के बाद बेटियों ने ऐसी मिसाल कायम की कि पूरा शहर देखता रह गया।
लंबी बीमारी के बाद हुआ निधन, बेटियों ने संभाली अंतिम यात्रा
जानकारी के अनुसार, अशोकनगर निवासी आर के तिवारी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। शुक्रवार देर शाम उन्होंने अपने घर पर अंतिम सांस ली। निधन की सूचना मिलते ही घर में मातम छा गया, लेकिन उनकी पांचों बेटियों प्रियंका, पूनम, गीतांजलि, वसुधा और भावना ने खुद को संभालते हुए पिता की अंतिम यात्रा की पूरी जिम्मेदारी उठाई।
पांचों बेटियों ने दिया कंधा, निभाई हर रस्म
पिता की अंतिम यात्रा में पांचों बेटियों ने बेटों की भूमिका निभाई। चार बेटियों ने अर्थी को कंधा दिया, वहीं पांचवीं बेटी ढपली बजाकर नम आंखों से पिता को श्रद्धांजलि देती रही। मोहल्ले के लोगों ने इस दृश्य को देखकर कहा कि यह सच्ची संतान धर्म की मिसाल है।
पिता ने कहा था- बेटियां बेटों से कम नहीं, बेटियों ने कर दिखाया
आर के तिवारी अपनी बेटियों को हमेशा बेटों के बराबर मानते थे। वो अक्सर कहा करते थे कि मेरी बेटियां किसी बेटे से कम नहीं हैं। बेटियों ने पिता की इस सोच को साकार कर दिखाया। उन्होंने समाज को यह मजबूत संदेश दिया कि बेटियां अगर चाहें तो किसी भी जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं।
मेडिकल कॉलेज पहुंचाया शव, देहदान कर दी अंतिम विदाई
बेटियों ने अपने पिता की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उनका शव देहदान के लिए कानपुर मेडिकल कॉलेज को सौंपा। इसके लिए उन्होंने युग दधीचि संस्था के संस्थापक मनोज सेंगर से संपर्क किया। संस्था ने पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला से समन्वय कर देहदान को सफल बनाया।
युग दधीचि संस्था ने निभाई भूमिका, बेटियों के जज्बे को किया सलाम
युग दधीचि संस्था के संस्थापक मनोज सेंगर ने बताया कि उन्हें बेटियों का फोन आया था कि पिता की अंतिम इच्छा शरीर का दान करना था। उन्होंने तत्काल मेडिकल कॉलेज के संबंधित विभाग से संपर्क कर सभी कागजात और सहमति पत्र पूरे कर शव को कॉलेज को सौंपा। उन्होंने कहा कि देहदान समाज में एक बड़ा संदेश देता है, और आर के तिवारी व उनकी बेटियों ने इसे अमल में लाकर प्रेरणा दी है।
मेडिकल कॉलेज ने दी श्रद्धांजलि, बताया – देहदान सबसे बड़ा दान
मेडिकल कॉलेज की ओर से आर के तिवारी के शव को प्राप्त करते समय एक विशेष सभा का आयोजन किया गया। कॉलेज प्रशासन और छात्र-छात्राओं ने मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। कॉलेज प्रशासन ने कहा कि यह देहदान आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा का स्रोत बनेगा।
303वां देहदान, संस्था ने जताया आभार
मनोज सेंगर ने बताया कि यह संस्था का 303वां देहदान है। उन्होंने कहा कि आर के तिवारी और उनकी बेटियों ने जो मिसाल कायम की है, वह आने वाले समय में कई परिवारों को देहदान के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने बेटियों के साहस, संवेदनशीलता और संस्कार की सराहना करते हुए कहा कि यह घटना समाज में बेटियों की भूमिका को नई दृष्टि देती है।
समाज में जागरूकता की मिसाल बनीं पांचों बेटियां
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल समाज में बेटियों की ताकत को उजागर किया बल्कि देहदान जैसी महान परंपरा को भी प्रोत्साहित किया है। आर के तिवारी की पांचों बेटियों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी कर गर्व है। उन्होंने यह भी अपील की कि ज्यादा से ज्यादा लोग देहदान की पहल करें ताकि समाज में मेडिकल शिक्षा और रिसर्च को मजबूती मिल सके।


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