योगी सरकार यूपी के 11 किलों और महलों को होटल-संग्रहालय में बदलेगी, PPP मॉडल से विरासत संवारने की तैयारी शुरू।
योगी सरकार का मास्टर प्लान: 11 विरासत भवनों और किलों को मिलेगा नया जीवन
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के लिए बड़ा कदम उठाया है। खंडहर में तब्दील हो रहे राज्य के 11 पुराने किलों और ऐतिहासिक भवनों को अब पर्यटन के नए केंद्रों में बदला जाएगा। इन धरोहरों का कायाकल्प कर उन्हें होटल, म्यूजियम और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे ना केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
पर्यटन विभाग ने इस काम के लिए एजेंसियों से Request For Proposal (RFP) यानी अनुरोध प्रस्ताव मांगे हैं। इस योजना को Public Private Partnership (PPP Model) के तहत लागू किया जाएगा। एजेंसी इन विरासत स्थलों का डिज़ाइन बनाएगी, निर्माण करेगी, निवेश करेगी, संचालन करेगी और फिर सरकार को हैंडओवर करेगी।
कौन-कौन से किले और भवन होंगे शामिल? यहां देखिए पूरी लिस्ट
पर्यटन विभाग के अनुसार इस योजना में प्रदेश के 11 प्रमुख विरासत भवन और किले शामिल किए गए हैं। इनकी लिस्ट इस प्रकार है:
- ललितपुर का तालबेहट किला
- बांदा का रनगढ़ किला
- बांदा का भुरागढ़ किला
- गोण्डा की वजीरगंज बारादरी
- लखनऊ का आलमबाग भवन
- लखनऊ का गुलिस्तान-ए-एरम
- लखनऊ का दर्शन विलास
- कानपुर की टिकैत राय बारादरी
- महोबा का मस्तानी महल
- महोबा का सेनापति महल
- झांसी का तहरौली किला
- मथुरा का सीताराम महल (कोटवान किला)
इन सभी स्थानों की अपनी अलग ऐतिहासिक पहचान है। इनमें से कई बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित हैं, जहां पर्यटन के नए अवसरों से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
विरासत में पर्यटन की नई संभावनाएं: होटल, संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र बनेंगे
उत्तर प्रदेश के ये ऐतिहासिक किले और भवन अपनी बेजोड़ वास्तुकला और गौरवशाली इतिहास के लिए जाने जाते हैं। अब इन्हें आधुनिक सुविधाओं के साथ फिर से संवारा जाएगा। योजनाओं के मुताबिक इन किलों और महलों को Heritage Hotel, Cultural Centre और Museum के रूप में बदला जाएगा। इससे पर्यटक यहां रुक सकेंगे और ऐतिहासिक धरोहरों का वास्तविक अनुभव ले सकेंगे।
पर्यटन विभाग का मानना है कि इस कदम से न केवल विरासत का संरक्षण होगा, बल्कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में Rural Tourism को भी बढ़ावा मिलेगा।
रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
योगी सरकार की इस योजना से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। इन विरासत स्थलों में स्थानीय गाइड, होटल स्टाफ, सुरक्षाकर्मी, कैफेटेरिया संचालक, सफाई कर्मचारी और पर्यटन से जुड़ी कई सेवाओं में नौकरियों के अवसर खुलेंगे।
इको टूरिज्म और धार्मिक पर्यटन के बाद अब विरासत पर्यटन पर फोकस
योगी सरकार पहले से ही अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों के विकास पर विशेष जोर दे रही है। 2024 में उत्तर प्रदेश ने रिकॉर्ड 65 करोड़ पर्यटकों की मेजबानी की थी। अब राज्य सरकार की नजर Heritage Tourism पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इको टूरिज्म, धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों के विकास के लिए भी ठोस योजनाएं लागू की जा रही हैं।
PPP मॉडल से होगा किलों का कायाकल्प, जानिए कैसे होगा काम
पर्यटन विभाग के अनुसार, यह पूरा प्रोजेक्ट Public Private Partnership (PPP Model) के तहत संचालित होगा। इसका मतलब है कि निजी कंपनियां इन विरासत स्थलों में निवेश करेंगी। वे इन धरोहरों का पुनरोद्धार करेंगी, होटल-संग्रहालय बनाएंगी, संचालन करेंगी और फिर तय समय के बाद इसे सरकार को सौंप देंगी।
इस मॉडल से सरकार पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा और धरोहरों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।
उत्तर प्रदेश बनेगा विरासत पर्यटन का हब
इस योजना के बाद उत्तर प्रदेश को India Heritage Tourism Hub के रूप में विकसित करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इससे विदेशी और घरेलू पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।
क्या कहती है सरकार?
राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, "पर्यटन के जरिए हम न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेंगे बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी नई पहचान देंगे। इन विरासत भवनों का कायाकल्प ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की दिशा में बड़ा कदम है।"
पर्यटन विभाग का कहना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और गांव-देहात में भी पर्यटन से आमदनी के नए रास्ते खुलेंगे।
यूपी में पर्यटन का नया चेहरा
उत्तर प्रदेश में ये योजना किलों, महलों और बारादरी जैसी ऐतिहासिक संरचनाओं को सहेजने के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने की भी दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। आने वाले समय में इन स्थानों पर जब पर्यटक ठहरेंगे तो न केवल इतिहास का अनुभव करेंगे बल्कि स्थानीय संस्कृति, खानपान और हस्तशिल्प का भी आनंद उठा सकेंगे।
UP Tourism Development Authority के अधिकारी मानते हैं कि इस योजना से उत्तर प्रदेश पर्यटन के नक्शे पर एक नई पहचान बनाएगा।


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