“कमिश्नर साहब का PRO निकला ठग !” विधवा महिला से बेटे की नौकरी के नाम पर ₹16 लाख ठग लिए, अब नहीं दे रहा पैसा, न नौकरी!



वाराणसी पुलिस PRO ने महिला से नौकरी दिलाने के नाम पर ₹16 लाख लिए, अब पैसे भी गायब और नौकरी भी नहीं मिली।


कमिश्नर के PRO ने विधवा से नौकरी के नाम पर ₹16 लाख ऐंठे, अब बनी फरियादी

उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर वाराणसी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे पुलिस विभाग को कटघरे में ला खड़ा किया है। यहां पुलिस कमिश्नर के पर्सनल रिलेशन ऑफिसर (PRO) दीपक राणावत पर मैनपुरी की एक विधवा महिला ने बेटे को नौकरी दिलाने के नाम पर ₹16 लाख रुपये ठगने का गंभीर आरोप लगाया है। महिला ने आरोप लगाया है कि न तो उसके बेटे को नौकरी मिली और न ही पैसे वापस हुए। मामला पुलिस कमिश्नर तक पहुंचा, जहां जांच के आदेश दिए गए हैं।

विधवा मां का दर्द: ‘ब्याज पर पैसे उठाए, अब रोज दरवाज़ा खटखटा रहे हैं कर्ज़दाता’

पीड़िता अनीता यादव, जो कि मैनपुरी की निवासी हैं और एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका के तौर पर काम करती हैं, उन्होंने बताया कि उन्होंने अगस्त-सितंबर 2024 के बीच दीपक राणावत को ₹16 लाख रुपये दिए थे। यह पैसा उन्होंने 5% मासिक ब्याज पर उधार लेकर किसी तरह इकट्ठा किया था, ताकि उनके बेटे को पुलिस विभाग में नौकरी मिल सके। लेकिन जब न नौकरी मिली, न पैसा वापस आया, तो उनके पास पुलिस कमिश्नर से शिकायत करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।

पैसा लिया होटल में, आया संदीप नामक ‘दलाल’

महिला के अनुसार, दीपक राणावत ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह लोक सेवा आयोग से जुड़े एक शख्स संदीप के माध्यम से नौकरी पक्का करवा देंगे। दीपक ने संदीप को लोक सेवा आयोग का कर्मचारी बताकर पहचान कराई और दो किस्तों में आठ-आठ लाख रुपये मथुरा के एक होटल में संदीप को दिलवाए।

PRO ने कहा- “मैं पुलिस विभाग से लगवाऊंगा नौकरी, नहीं तो संदीप दूसरे विभाग से करा देगा”

अनीता यादव ने बताया कि जब पैसे दिए जा रहे थे, तब दीपक राणावत ने आश्वासन दिया था कि पुलिस विभाग में कई कोटे होते हैं—शहीद कोटा, सैनिक कोटा, महिला कोटा इत्यादि—किसी एक में नौकरी जरूर लग जाएगी। अगर यहां नहीं लगी तो संदीप दूसरे विभाग में सेटिंग कर देगा। लेकिन वादों का सिलसिला वहीं थम गया, नौकरी भी नहीं लगी और पैसे भी नहीं लौटाए गए।

फोन पर नहीं बात, सामने भी आने से बच रहे PRO

जब महिला ने कई बार दीपक राणावत से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। महिला ने आरोप लगाया कि PRO अब सामने आने से भी बच रहे हैं। जब काफी परेशान होकर वह वाराणसी पहुंचीं, तो उन्होंने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की और पूरी कहानी बयां की।

पुलिस कमिश्नर बोले- “जांच होगी, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे”

पुलिस कमिश्नर ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया और एडीसीपी क्राइम को जांच सौंप दी है। उनका साफ कहना है कि दोषी चाहे कोई भी हो, उस पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि संदीप नामक व्यक्ति की भूमिका की भी बारीकी से जांच की जाएगी।

“मैं विधवा हूं, प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हूं… अब पैसा कहां से लौटाऊं?”

अनीता यादव की कहानी आज हजारों परेशान परिवारों की दास्तान बन चुकी है। उन्होंने कहा,

“मैं एक विधवा हूं, मेरे पास इतनी हैसियत नहीं थी लेकिन बेटे की नौकरी लग जाए, इसी आस में कर्ज़ लेकर पैसे दिए। अब लोग रोज़ पैसा मांगने घर आते हैं। बताइए, मैं कहां जाऊं?”

विभागीय चुप्पी पर उठे सवाल

मामला उजागर होने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या एक PRO इतनी बड़ी रकम ले सकता है, वो भी बिना किसी विभागीय जानकारी के? क्या पूरे पुलिस विभाग में ऐसा ‘जॉब सिंडिकेट’ चल रहा है, जिसके जरिये भोले-भाले लोगों को ठगा जा रहा है?

क्या होगा अब आगे?

फिलहाल जांच शुरू हो चुकी है। PRO दीपक राणावत अपने पद पर अभी भी बने हुए हैं, जो कि एक और सवाल खड़ा करता है—क्या जांच पूरी होने तक उन्हें पद से हटाया नहीं जाना चाहिए?

पीड़िता की अंतिम गुहार: “अब भी न्याय चाहिए, चाहे देर से मिले”

अनीता यादव ने मीडिया से अपील की कि

“मैं चाहती हूं कि मेरे साथ जो हुआ वो किसी और महिला के साथ न हो। मैं न्याय चाहती हूं। अगर मेरे पैसे वापस नहीं मिले और बेटे को नौकरी नहीं मिली तो मैं आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाऊंगी।”

यह पूरा मामला पुलिस विभाग की आंतरिक नैतिकता और सिस्टम की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पीड़िता के बयान, ठग लिए गए पैसे और विभागीय चुप्पी ने इस केस को और भी संवेदनशील बना दिया है। अब देखना यह होगा कि जांच में क्या सामने आता है और क्या वाकई एक विधवा को न्याय मिलेगा?

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