हर महीने 5 लाख रुपये उड़ाकर बनाता था IAS का भौकाल, 15 लोगों का स्टाफ, गाड़ियों का काफिला और गर्लफ्रेंड्स… गोरखपुर के फर्जी IAS गौरव कुमार उर्फ ललित किशोर की पूरी काली कहानी


गोरखपुर के फर्जी IAS गौरव कुमार की पूरी कहानी, 5 लाख मासिक भौकाल, करोड़ों की ठगी, गनर, गर्लफ्रेंड और पुलिस खुलासे


गोरखपुर में फर्जी IAS का भंडाफोड़, शहर में मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सामने आई फर्जी IAS अधिकारी गौरव कुमार उर्फ ललित किशोर की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। एक ऐसा शख्स, जिसने खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा का अफसर बताकर न सिर्फ प्रशासनिक गलियारों में रौब जमाया, बल्कि ठेकेदारों, बिल्डरों और आम लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद अब हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं, जो यह बताते हैं कि किस तरह एक मजदूर का बेटा सालों तक सिस्टम की आंखों में धूल झोंकता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी।

हर महीने 5 लाख रुपये सिर्फ भौकाल पर खर्च

पुलिस जांच में सामने आया है कि फर्जी IAS गौरव कुमार हर महीने करीब 5 लाख रुपये सिर्फ अपने तथाकथित प्रोटोकॉल और भौकाल पर खर्च करता था। महंगी गाड़ियां, ड्राइवर, निजी सुरक्षा गार्ड, स्टाफ और लग्जरी लाइफस्टाइल उसकी पहचान बन चुकी थी। शहर में जब उसका काफिला निकलता था, तो लोग सच में उसे किसी बड़े अफसर से कम नहीं समझते थे। यही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी, जिससे वह लोगों को अपने जाल में फंसाता चला गया।

12 से 15 लोगों का निजी स्टाफ, किराए के गनर और एजेंसियां

गौरव कुमार ने अपने आसपास 12 से 15 लोगों की एक पूरी टीम खड़ी कर रखी थी। ये लोग ड्राइवर, पर्सनल असिस्टेंट, सिक्योरिटी और ऑफिस स्टाफ के तौर पर काम करते थे। पुलिस के अनुसार, उसने अलग-अलग निजी एजेंसियों से गनर और सुरक्षाकर्मी किराए पर हायर कर रखे थे। यही कारण था कि उसका काफिला किसी असली IAS अधिकारी की तरह दिखता था और आम आदमी तो दूर, कई लोग उसे देखकर सवाल उठाने की हिम्मत तक नहीं करते थे।

गोरखपुर के गुलरिया में किराए का मकान, घर ही बना रखा था ऑफिस

फर्जी IAS गौरव ने गोरखपुर के गुलरिया थाना क्षेत्र के झुगीया बाजार में 20 हजार रुपये महीने के किराए पर एक मकान लिया था। यही उसका ठिकाना था, जहां वह अपने परिवार और स्टाफ के साथ रहता था। इसी मकान को उसने अपना कथित सरकारी ऑफिस भी बना रखा था। घर के बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में बोर्ड लगा था, जिस पर लिखा था “IAS गौरव कुमार सिंह।” इस बोर्ड को देखकर आने-जाने वाले लोग सहज ही यह मान लेते थे कि यहां कोई बड़ा अफसर रहता है।

घर के बाहर लगी रहती थी लोगों की लाइन

स्थानीय लोगों के अनुसार, गौरव के घर के बाहर रोजाना लोगों की भीड़ लगी रहती थी। कोई जमीन का काम लेकर आता था, तो कोई सरकारी टेंडर और ठेके की सिफारिश के लिए। वह बहुत कम बोलता था, लेकिन उसका अंदाज इतना प्रभावशाली था कि सामने वाला खुद ही उसे बड़ा अधिकारी मान लेता था। कई बार वह अपनी पोस्टिंग कभी बेंगलुरु तो कभी किसी और बड़े शहर में बताता था। 15 से 20 दिन वह घर आता था और फिर किसी कथित मीटिंग या ड्यूटी का बहाना बनाकर गायब हो जाता था।

मजदूर का बेटा और करोड़ों की ठगी का खेल

सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक मजदूर का बेटा इतनी शानदार लाइफस्टाइल कैसे जी रहा था। पुलिस जांच में पता चला है कि गौरव कुमार उर्फ ललित किशोर मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में उसने छोटे-मोटे काम किए, लेकिन धीरे-धीरे उसने खुद को IAS अफसर बताना शुरू कर दिया। एक बार जब लोगों ने उसकी बातों पर भरोसा कर लिया, तो उसके लिए ठगी का रास्ता खुलता चला गया।

प्रशासनिक अफसरों से भी निकलवा लेता था काम

जांच में यह भी सामने आया है कि गौरव सिर्फ आम लोगों को ही नहीं, बल्कि कई बार असली प्रशासनिक अधिकारियों से भी अपना काम निकलवा लेता था। वह खुद को किसी बड़े अफसर का करीबी बताकर या झूठे रौब के दम पर सरकारी दफ्तरों में एंट्री कर लेता था। कई बार तो लोग यह समझ ही नहीं पाते थे कि सामने खड़ा शख्स असली अफसर है या नकली। यही भ्रम उसकी सबसे बड़ी ढाल बना रहा।

ठेकेदारों और बिल्डरों को बनाया निशाना

फर्जी IAS गौरव कुमार का सबसे बड़ा टारगेट ठेकेदार और बिल्डर हुआ करते थे। सरकारी टेंडर, बड़े प्रोजेक्ट और भुगतान की फाइलें पास कराने के नाम पर वह उनसे मोटी रकम वसूलता था। पुलिस के अनुसार, कई ठेकेदार और बिल्डर उसके झांसे में आकर करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं। जब कोई पैसा वापस मांगता था, तो वह अपने रौब और कथित ताकत का इस्तेमाल कर उसे धमकाता था।

बिहार के ठेकेदार से 70 लाख की ठगी

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, बिहार के मोकामा जिले के रहने वाले ठेकेदार मुकुंद माधव से गौरव ने सरकारी टेंडर दिलाने के नाम पर 70 लाख रुपये लिए थे। जब काफी समय बीतने के बाद भी काम नहीं हुआ और ठेकेदार ने पैसा वापस मांगा, तो आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दे डाली। डर के मारे ठेकेदार कुछ समय तक चुप रहा, लेकिन बाद में उसने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई। यही मामला गौरव की गिरफ्तारी की एक बड़ी वजह बना।

गर्लफ्रेंड्स, होटल पार्टियां और लग्जरी शौक

फर्जी IAS की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। पुलिस को गौरव के मोबाइल फोन से कई युवतियों के साथ चैट के सबूत मिले हैं, जिन्हें उसकी गर्लफ्रेंड बताया जा रहा है। वह गोरखपुर के महंगे होटलों में पार्टियां करता था, जहां ये गर्लफ्रेंड्स भी मौजूद रहती थीं। लग्जरी कारें, महंगे कपड़े, ब्रांडेड घड़ियां और आलीशान लाइफस्टाइल उसके शौक का हिस्सा थे। यह सब वह ठगी के पैसों से चला रहा था।

10 दिसंबर को हुई गिरफ्तारी, पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी

गोरखपुर पुलिस को फर्जी IAS गौरव की तलाश काफी समय से थी। 10 दिसंबर को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद जब उससे पूछताछ शुरू हुई, तो एक के बाद एक कई बड़े खुलासे होते चले गए। पुलिस अब उसके नेटवर्क, पैसों के लेन-देन और ठगी के अन्य मामलों की भी जांच कर रही है।

कैसे सालों तक सिस्टम को देता रहा चकमा

यह मामला सिर्फ एक फर्जी अफसर की गिरफ्तारी भर नहीं है, बल्कि सिस्टम की बड़ी चूक को भी उजागर करता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर इतने सालों तक गौरव कुमार खुद को IAS बताकर कैसे घूमता रहा और किसी ने उसकी सच्चाई क्यों नहीं जांची। उसकी लग्जरी लाइफ, गनर, स्टाफ और रौब ने लोगों को इतना प्रभावित कर दिया कि किसी ने सवाल उठाना जरूरी ही नहीं समझा।

पुलिस जांच जारी, और भी नाम सामने आने की उम्मीद

गोरखपुर पुलिस अब इस पूरे मामले को गंभीरता से खंगाल रही है। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि कहीं उसके साथ कोई और लोग तो शामिल नहीं थे। जिन एजेंसियों से उसने गनर और स्टाफ हायर किए थे, उनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है। पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस फर्जी IAS कांड से जुड़े और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

फर्जी अफसरों से सावधान रहने की जरूरत

गौरव कुमार उर्फ ललित किशोर का मामला समाज के लिए एक बड़ा सबक है। सिर्फ वेशभूषा, रौब और गाड़ियों के काफिले को देखकर किसी को अफसर मान लेना कितना खतरनाक हो सकता है, यह इस कहानी से साफ हो जाता है। पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी तो है ही, लेकिन आम लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई और फर्जी अफसर इस तरह का भौकाल बनाकर लोगों की गाढ़ी कमाई न लूट सके।

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