मुरैना में शराब माफियाओं का तांडव! चाचा-भतीजे ने अवैध शराब रोकी, माफियाओं ने सीने में मारी गोली, दोनों की मौत।
मुरैना में माफियाओं का खूनी खेल: चाचा-भतीजे को गोलियों से छलनी कर दी जान
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से सोमवार सुबह जो खबर आई, उसने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। जिले के सिहोनिया थाना क्षेत्र में शराब माफियाओं ने दिनदहाड़े चाचा और भतीजे को गोलियों से भून डाला। ये दोनों कोई आम नागरिक नहीं थे, बल्कि खुद सरकारी शराब दुकानों से जुड़े थे। लेकिन उन्होंने जैसे ही अवैध शराब की गाड़ी को रोकने की कोशिश की, वैसे ही माफियाओं ने उन्हें गोली मार दी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
वारदात सिहोनिया के भाईखा का पुरा पुलिया के पास की है, जहां महेंद्र भदौरिया और उनके भतीजे सौरभ भदौरिया ने अपनी बोलेरो गाड़ी से रास्ता रोककर अवैध शराब से लदी गाड़ी को पकड़ने की कोशिश की। लेकिन बदले में उन्हें गोली मिल गई—वो भी सीने में। गोली लगते ही दोनों वहीं ढेर हो गए। इस वारदात के बाद न सिर्फ घटनास्थल बल्कि जिला अस्पताल में भी तनाव का माहौल बन गया।
शराब की जंग में बहा खून, तंत्र मौन!
मृतक महेंद्र भदौरिया और सौरभ भदौरिया आबकारी विभाग की ठेकों का संचालन करते थे। उन्हें पुख्ता जानकारी मिली थी कि अवैध शराब की खेप गोपी-पंचोली गांव की ओर जा रही है। उन्होंने रास्ता रोकने की हिम्मत दिखाई, लेकिन माफियाओं ने किसी सिनेमा के खलनायक की तरह फायरिंग शुरू कर दी।
इतनी बर्बरता के बाद भी माफिया बेखौफ हैं। मुरैना जैसे जिलों में शराब माफिया लगातार सरकारी सिस्टम को खुली चुनौती देते दिख रहे हैं। हाल ही में बानमोर थाने की पुलिस ने भी हाईवे पर चलती कार से 5 पेटी बीयर और 19 पेटी देशी शराब पकड़ी थी। लेकिन कोई बड़ा सरगना अब तक गिरफ्त में नहीं आया है।
पोस्टमार्टम हाउस बना गवाह, प्रशासन मौन
चाचा-भतीजे के शव जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाए गए हैं, लेकिन उनके परिजनों और समर्थकों में आक्रोश है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है, क्योंकि लोगों की नाराजगी प्रशासन की निष्क्रियता पर है।
शराब माफिया का नेटवर्क इतना मजबूत और भयावह हो चुका है कि अब पुलिस, ठेकेदार या आम आदमी में से कोई भी सुरक्षित नहीं है। मुरैना में यह घटना इस बात का सबूत है कि अवैध शराब के धंधे ने कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे दी है।
अब देखना है कि मुरैना की यह डबल मर्डर की घटना प्रदेश सरकार को कोई ठोस कदम उठाने को मजबूर करती है या फिर यह केस भी बाकी मामलों की तरह सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह जाएगा।
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