बरेली में मुस्लिम युवती महक ने सनातन धर्म अपनाकर ऋषि राय से की शादी, बोली- हलाला और मामा की नजरों से तंग आ चुकी थी।
उत्तराखंड से बरेली तक का सफर: जब दर्द ने धर्म बदलने को मजबूर किया
उत्तराखंड की रहने वाली महक नाम की मुस्लिम युवती ने अपने जीवन में इतना अत्याचार झेला कि उसे न सिर्फ अपने परिवार से बल्कि अपने मजहब से भी नाता तोड़ना पड़ा। महक अब महादेवी बन चुकी है, और उसने बरेली निवासी ऋषि राय से विवाह कर लिया है। सनातन धर्म को अपनाते वक्त उसकी आंखों में न आंसू थे, न डर… सिर्फ सम्मान और सुरक्षा की भावना थी।
बचपन में बिछड़ गया पिता, मां ने कर ली दूसरी शादी
महक के जीवन की त्रासदी उस वक्त शुरू हुई जब उसके पिता का देहांत हो गया। बचपन ही वो दौर होता है जब एक लड़की को बाप की छांव की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। लेकिन किस्मत ने कुछ और ही लिख रखा था। उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली और यहीं से महक की ज़िंदगी में अंधेरा गहराने लगा।
सौतेला बाप और मामा बन गए ‘दरिंदे’, रिश्ते बने नर्क
मां के दूसरे पति ने महक के साथ गंदी हरकतें शुरू कर दीं। वह नाबालिग थी, समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा है। जब यह सब सहना मुश्किल हो गया तो वह अपने ननिहाल चली गई। लेकिन वहां भी मामा की नजरें उसके शरीर को नापती रहीं। हालात इतने बिगड़ गए कि मामा खुद महक से शादी करना चाहता था।
“मैं इंसान हूं, किसी की जागीर नहीं” - महक ने तोड़ा रिश्ता, चुना नया रास्ता
महक ने आत्मसम्मान के लिए सभी रिश्तों से दूरी बना ली। उसने ठान लिया कि अब वह किसी भी कुप्रथा या रिश्तों की कैद में नहीं रहेगी। महक उत्तर प्रदेश के बरेली आ गई, जहां पहले से ही उसकी पहचान ऋषि राय से थी। ऋषि ने उसे सहारा दिया, साथ दिया और प्रेम दिया।
तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह ने डराया, सनातन ने अपनाया
महक बताती है कि इस्लामिक प्रथाओं जैसे तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह ने उसे हमेशा डराया। वह हर वक्त सहमी-सहमी सी रहती थी, उसे अपने जीवन पर खुद का नियंत्रण ही नहीं था। लेकिन हिंदू धर्म में उसे वह शांति और सुरक्षा मिली जिसकी वह हकदार थी।
गंगाजल और गोमूत्र से हुआ शुद्धिकरण, वैदिक रीति से लिए सात फेरे
महक और ऋषि बरेली के प्रसिद्ध पंडित केके शंखधार के पास पहुंचे। पंडित ने वैदिक विधि से महक का शुद्धिकरण कराया। गंगाजल और गोमूत्र से अभिषेक कर महक को धर्म परिवर्तन की दीक्षा दी गई। इसके बाद दोनों ने विधिवत विवाह किया, जिसमें मांग में सिंदूर भरा गया और मंगलसूत्र पहनाया गया।
अब डर नहीं, सिर्फ भरोसा है
महक कहती है, “अब मुझे किसी बात का डर नहीं लगता। मैं ऋषि के साथ खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं। अगर कोई हमें अलग करने की कोशिश करेगा, तो हम जान दे देंगे, लेकिन एक-दूसरे से जुदा नहीं होंगे।”
तीन साल की दोस्ती, एक जीवन का फैसला
महक और ऋषि की मुलाकात तीन साल पहले बरेली के बाकरगंज इलाके में हुई थी। दोनों की बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती में बदली और फिर प्यार में तब्दील हो गई। महक ने ऋषि को अपनी ज़िंदगी की कड़वी सच्चाई बताई, जिसे जानकर भी ऋषि ने उसे पूरी तरह स्वीकार किया।
अब वो ‘महक’ नहीं, महादेवी है!
धर्म परिवर्तन के बाद महक ने अपना नया नाम "महादेवी" रख लिया है। वह अब एक पूर्ण हिंदू महिला के रूप में अपने वैवाहिक जीवन की नई शुरुआत कर चुकी है। वह कहती है, “मुझे अब पहली बार जीने का एहसास हो रहा है।”
महक की अपील: लड़कियों को डरकर नहीं, लड़कर जीना चाहिए
महक आज उन तमाम मुस्लिम लड़कियों की आवाज बनना चाहती है जो घर की चारदीवारी में घुट रही हैं। वह कहती है, “हमें धर्म से ज्यादा ज़रूरी आत्मसम्मान और स्वतंत्रता होती है। अगर कोई धर्म या परिवार तुम्हें इंसान नहीं समझता, तो ऐसे रिश्ते छोड़ देना ही बेहतर है।”
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