मछलीशहर में चल रही भागवत कथा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, व्यास बृजभूषण शरण महाराज ने दी भक्ति की अमृतवाणी।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन: भक्ति का महासंगम मछलीशहर में
जौनपुर जनपद के मछलीशहर कस्बे में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन का शुभारंभ भक्तिभाव से हुआ। व्यास पीठ पर विराजमान पूज्य बृजभूषण शरण महाराज ने जैसे ही कथा प्रारंभ की, वातावरण में दिव्यता फैल गई। उन्होंने कहा, "आप सब पर ठाकुर जी की असीम कृपा है, तभी आप इस कथा का रसपान कर पा रहे हैं।"
कथा स्थल श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बन गया था। सैकड़ों की संख्या में भक्त जन प्रभु के नाम में डूबे दिखे। जैसे-जैसे व्यास महाराज के श्रीमुख से श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन हुआ, उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध हो उठा।
श्रीकृष्ण भक्ति ही जीवन का परम उद्देश्य: व्यास बृजभूषण शरण महाराज
प्यासे बनकर सुनिए कथा, मिलेगा आध्यात्मिक अमृत
कथा में महाराज ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि भागवत कथा को केवल मनोरंजन समझकर न सुनें, बल्कि एक जिज्ञासु, एक प्यासे साधक की तरह कथा में आएं।
"यदि आप कुछ सीखने के उद्देश्य से कथा सुनेंगे, तो यह श्रीमद्भागवत आपको खाली नहीं लौटने देगी। यह कथा आपको न केवल शांति देगी, बल्कि आपके जीवन का लक्ष्य भी स्पष्ट करेगी।"
विषय वासना से हटकर भक्ति की ओर बढ़े मानवता
भक्ति की बयार में भीगा मछलीशहर, श्रद्धालुओं की भारी भीड़
मछलीशहर कस्बे में आयोजित इस सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में रोजाना श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। आज कथा स्थल पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। दूर-दूर से आए श्रद्धालु कथा स्थल पर घंटों पहले पहुंच गए थे।
कथा प्रारंभ होने से पूर्व आयोजिका प्रेमा देवी अग्रहरि ने व्यास महाराज का फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया। मंच पर उनके साथ कमल प्रदीप, राजकुमार अग्रहरि, कुमार सिंह, अनिल कुमार पांडेय जैसे गणमान्यजन उपस्थित रहे।
हर कथा में बजते रहे श्रीकृष्ण के जयकारे
पूरे कार्यक्रम के दौरान वातावरण ‘हरे राम हरे कृष्ण’ और ‘जय श्री राधे’ के नारों से गूंजता रहा। भक्तों ने संकीर्तन, भजन और आरती में भाग लेकर पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
कथा के अंत में व्यास महाराज ने सबको जीवन में नियमित रूप से श्रीमद् भागवत पढ़ने व सुनने की प्रेरणा दी और कहा कि यही एक साधन है जो मनुष्य को लोक-परलोक दोनों में कल्याण प्रदान करता है।
कथा स्थल बना आस्था और शांति का केंद्र
कथा का आयोजन जिस भव्यता और अनुशासन के साथ किया जा रहा है, वह काबिल-ए-तारीफ है। सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम हैं, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। पूरे कस्बे में भक्ति और आध्यात्म का माहौल बना हुआ है।
इस आयोजन ने मछलीशहर को एक बार फिर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र में ला खड़ा किया है।
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