22 साल पुराना गुनाह बना काल! DM से बदतमीजी का केस, BJP के दो पूर्व विधायक अब सलाखों के पीछे


2003 में DM से बदसलूकी का मामला, अब 22 साल बाद बस्ती में BJP के दो पूर्व विधायक सहित 6 को 3 साल की जेल।



सियासी साजिश या सच्ची सज़ा? कोर्ट ने 22 साल पुराने केस में सुनाया बड़ा फैसला
बस्ती के एमपीएमएलए कोर्ट ने 2003 के एमएलसी चुनाव के दौरान हुई मारपीट के मामले में दो पूर्व भाजपा विधायकों सहित छह लोगों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। ये फैसला उस मामले में आया जिसमें तत्कालीन डीएम अनिल कुमार द्वितीय के साथ अभद्रता की गई थी।

कौन-कौन फंसे शिकंजे में? BJP के नेताओं के साथ 6 को मिली सजा
जिन लोगों को कोर्ट ने सजा सुनाई है, उनमें शामिल हैं—पूर्व बीजेपी विधायक संजय जयसवाल, पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख त्र्यंबक पाठक, पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेश सिंह, अशोक सिंह और इरफान। सभी को पुलिस ने कोर्ट के आदेश के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

शुरुआत कहां से हुई थी? जानें 2003 के उस दिन की पूरी कहानी
यह मामला 3 दिसंबर 2003 का है, जब बस्ती में एमएलसी चुनाव के मतगणना के दौरान सपा प्रत्याशी कंचना सिंह ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाया था। आरोपों के बाद डीएम के साथ अभद्र व्यवहार किया गया, जिसकी शिकायत तत्कालीन एडीएम श्रीश दुबे ने दर्ज कराई थी।

शिकायत से सज़ा तक: 22 साल बाद भी नहीं भूला न्याय का रास्ता
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दर्ज हुए इस केस में पहले कुल 8 लोगों पर मुकदमा चला था। ट्रायल के दौरान दो की मौत हो गई और बाकी 6 ने लोअर कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को चुनौती दी थी। लेकिन एमपीएमएलए कोर्ट ने अब उस सजा को बरकरार रखा है।

DM की गरिमा पर हमला पड़ा भारी, राजनीतिक ताकत नहीं आई काम
यह केस इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि इसमें तत्कालीन जिलाधिकारी के सम्मान से जुड़ा मामला था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बदसलूकी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, चाहे आरोपी कितनी भी राजनीतिक पहुंच रखते हों।

कंचना सिंह की मौत के बाद भी मामला पहुंचा अंजाम तक
इस केस की खास बात यह रही कि मुख्य शिकायतकर्ता समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी कंचना सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। फिर भी कोर्ट ने गवाहों और सबूतों के आधार पर सभी आरोपियों को सजा सुनाई, जो न्याय व्यवस्था की सख्ती को दर्शाता है।

राजनीति में रसूख नहीं, कानून का डंडा सबसे ऊपर
इस फैसले से यह साफ हो गया है कि चाहे कोई कितना भी रसूखदार क्यों न हो, कानून के सामने सभी बराबर हैं। पूर्व विधायक हों या ब्लॉक प्रमुख, अगर उन्होंने अपराध किया है तो सज़ा जरूर मिलेगी।

क्या आगे जाएगी सुप्रीम कोर्ट? दोषियों के पास क्या है विकल्प
हालांकि दोषियों के वकील अब हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन जब तक ऊपरी कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलती, सभी को जेल में रहना होगा।

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