जब "दरुओं" को एतराज नहीं तो सरकार काहे परेशान


लो भैया मध्यप्रदेश आबकारी विभाग के सबसे दमदार और जुगाड़ू अफसर जबलपुर के सहायक आयुक्त "दुबे जी" आखिरकार सस्पेंड हो ही गए ,वैसे दुबे जी की शिकायतें तो लंबे अरसे से चल रही थी लेकिन उनका खूंटा इतना मजबूत था कि पूरा डिपार्टमेंट उसे उखाड़ नहीं पा रहा था ,लेकिन इस बार दुबे जी गच्चा खा गए सरकार ने देखा कि दारू के ठेकेदार ज्यादा दाम पर दारु बेच रहे हैं और उससे दरुओं को भारी परेशानी हो रही है सो चुपचाप सरकार ने जांच करवा ली और जांच में पता लगा कि ये सब तो अपने दुबे जी की सरपरस्ती में चल रहा था ,बस इस खुफिया रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने दुबे जी को सस्पेंड कर दिया, लेकिन इस मामले में अपन दुबे जी के साथ खड़े हैं, अपना मानना यह है कि देखो भाई दरुओं को तो दारु पीना है उनके लिए तो दारू ही सब कुछ है भले ही वह कितने दामों पर क्यों ना मिले, फिर महंगाई तो हर जगह  है, पेट्रोल ₹110 रुपैया लीटर मिल रहा है उसके बाद भी लोग भरवा रहे हैं कोई "चूं चपाट" नहीं कर रहा क्योंकि उसके बिना काम नहीं चलता यही हाल होता है दरुओंं का, अगर दारू न पिएं तो उनके हाथ पैर काम नहीं करते, मन में घबराहट सी होने लगती है ,और दिमाग में बेचैनी सी छाने लगती है कुछ भी न तो अच्छा लगता है और न बुरा ,ऐसा लगता है जैसे जिंदगी थम गई हो और जैसे ही दो चार पैग या एकाध पौवा अंदर जाता है पूरी दुनिया रंगीन दिखाई देने लगती है, तो जब दरुओं को कोई एतराज नहीं है दारू के दाम बढ़ने का या ठेकेदारों द्वारा ज्यादा पैसे लेने का तो फिर सरकार काहे को परेशान हो रही है । आपने तो ठेका दे दिया जितना ठेके के लिए पैसा चाहिए था वो भी ठेकेदारों ने दे दिया अब ठेकेदार अपने हिसाब से तो बिक्री करेगा, जिसको पीना है आए पिए और जिसको लगता है कि नहीं दाम ज्यादा है तो वह दारू छोड़ के एकदम "साधु" बन जाए, लेकिन ठेकेदार भी जानते हैं कि  दरूआ तो बना ही है दारू पीने के लिए, दारू के दाम कितने ही बढ़ जाएं  लेकिन उसे पीना है तो पीना है, वैसे अपनी  सरकार को एक और सलाह है कि देखो आप भले ही सरकार हो लेकिन "दुबेजी" से पंगा मत लेना क्योंकि दुबे जी का जुगाड़ कोई छोटा मोटा तो है नहीं कितनी शिकायतें होती रहती है लेकिन उनके माथे पर आज तक आज तक अपन ने शिकन नहीं देखी, उनका मानना है "कोयले की कोठरी" में बैठे हैं तो दाग तो लगना ही है लेकिन इन दागों की उन्होंने ना कभी परवाह की है और ना कभी इन दागों को धोने की कोशिश भी की ।अपन तो डंके की चोट पे कह रहे हैं कि दुबे जी को ज्यादा दिनों तक आप "बंधक" बना कर नहीं रख सकते,  दो चार ही महीने की बात है दुबे जी ऐसा जुगाड़ लगाएंगे, ऐसा जुगाड़ लगाएंगे कि सारे बड़े अफसर जिन्होंने उन्हें सस्पेंड किया है वहीं उन्हें बकायदा बहाल करके फिर एक बार बड़ी जिम्मेदारी देंगे और दुबे जी मस्त होकर फिर अपने काम में लग जायेंगे।

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