मुरादाबाद में घर के अंदर चल रहे फर्जी पेट्रोल पंप का भंडाफोड़, 950 लीटर डीजल बरामद, आरोपी पर FIR, सुरक्षा पर सवाल
मुरादाबाद में उजागर हुआ चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसने प्रशासनिक तंत्र, सुरक्षा व्यवस्था और आम लोगों की आंखें खोल दी हैं। यहां एक शख्स ने अपने घर को ही अवैध रूप से पेट्रोल पंप में तब्दील कर दिया था। यह कोई मामूली ड्रम या चोरी-छिपे बिक्री का मामला नहीं था, बल्कि पूरी तरह से योजनाबद्ध, हाईटेक और प्रोफेशनल अंदाज में चल रहा अवैध डीजल पंप था। घर के अंदर बाकायदा डिस्पेंसिंग मशीन, नोजल, टैंक और कंप्यूटर से निकलने वाली रसीदें मौजूद थीं। बाहर से देखने पर किसी को अंदाजा भी नहीं होता कि यह एक रिहायशी मकान नहीं बल्कि अवैध ईंधन कारोबार का अड्डा है।
मूंढापांडे के भैयानगला गांव में घर बना अवैध पंप
यह सनसनीखेज मामला मुरादाबाद के मूंढापांडे थाना क्षेत्र के भैयानगला गांव का है। गांव के बीचोबीच स्थित एक घर में लंबे समय से डीजल की खुलेआम बिक्री की जा रही थी। स्थानीय लोगों के लिए यह सब सामान्य हो चुका था। किसान, वाहन चालक और डीजल खरीदने वाले लोग यहां आते, तेल भरवाते और बदले में उन्हें कंप्यूटर से निकली पक्की रसीद भी दी जाती थी। इस पूरे सिस्टम को देखकर किसी को शक ही नहीं होता था कि यह सब अवैध है।
गोपनीय सूचना से खुला राज
जिला आपूर्ति विभाग को जब इस अवैध गतिविधि की गोपनीय सूचना मिली तो शुरुआत में अधिकारी भी हैरान रह गए। सूचना इतनी गंभीर थी कि इसे नजरअंदाज करना संभव नहीं था। इसके बाद आपूर्ति विभाग ने पूरे मामले की जांच की रणनीति बनाई। सीधे छापा मारने की बजाय पहले यह तय किया गया कि सूचना की सत्यता की पुष्टि की जाए। इसके लिए विभाग ने एक डमी ग्राहक भेजा, जिसने मौके पर जाकर डीजल खरीदा। जब उसे बाकायदा मशीन से तेल मिला और कंप्यूटर जनित रसीद थमा दी गई, तभी अधिकारियों को यकीन हो गया कि मामला बेहद संगीन है।
छापेमारी में सामने आया हाईटेक सेटअप
पुख्ता सबूत मिलने के बाद आपूर्ति विभाग की टीम ने पुलिस के सहयोग से छापा मारा। जैसे ही टीम घर के अंदर दाखिल हुई, वहां का नजारा देखकर सभी अधिकारी सन्न रह गए। घर के भीतर पेट्रोल पंपों की तरह भारी टैंक लगाए गए थे, जिनसे पाइप और नोजल जुड़े हुए थे। एक आधुनिक डिस्पेंसिंग यूनिट लगी थी, जो देखने में बिल्कुल असली पेट्रोल पंप की मशीन जैसी थी। वहीं पास में कंप्यूटर और प्रिंटर रखा था, जिससे बिक्री की रसीदें निकाली जा रही थीं। यह कोई तात्कालिक या अस्थायी इंतजाम नहीं था, बल्कि लंबे समय से चल रहा सुनियोजित कारोबार था।
950 लीटर डीजल बरामद, मशीन सीज
छापेमारी के दौरान टीम ने मौके से करीब 950 लीटर डीजल बरामद किया। यह मात्रा अपने आप में बेहद खतरनाक मानी जाती है, खासकर तब जब इसे रिहायशी इलाके में बिना किसी सुरक्षा मानक के रखा गया हो। आपूर्ति विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए डिस्पेंसिंग मशीन और अन्य उपकरणों को सीज कर दिया। डीजल को भी जब्त कर लिया गया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बिना लाइसेंस, बिना एनओसी और बिना सुरक्षा इंतजामों के इस तरह का भंडारण किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता था।
आरोपी तनवीर के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर
इस पूरे अवैध कारोबार का मास्टरमाइंड तनवीर बताया जा रहा है, जो उसी घर में रहता था और उसी के जरिए यह फर्जी पेट्रोल पंप चलाया जा रहा था। छापेमारी के समय आरोपी कोई भी वैध दस्तावेज, लाइसेंस या जिलाधिकारी द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बाद आपूर्ति विभाग की तहरीर पर थाना मूंढापांडे में आरोपी के खिलाफ सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी से गहन पूछताछ की जा रही है।
कहां से आता था इतना डीजल, सबसे बड़ा सवाल
अब इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आरोपी इतनी बड़ी मात्रा में डीजल आखिर कहां से लाता था। क्या किसी बड़े पेट्रोल पंप से चोरी-छिपे सप्लाई हो रही थी या फिर किसी संगठित गिरोह का हिस्सा था यह पूरा नेटवर्क। पुलिस और आपूर्ति विभाग इस एंगल से भी जांच कर रहे हैं कि कहीं यह अवैध डीजल किसी ट्रांसपोर्ट माफिया, सरकारी सप्लाई चेन या औद्योगिक स्रोत से तो नहीं आ रहा था। यदि ऐसा पाया गया तो इस मामले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
कब से चल रहा था अवैध कारोबार
जांच एजेंसियों के सामने दूसरा बड़ा सवाल यह है कि यह अवैध पेट्रोल पंप आखिर कितने समय से संचालित हो रहा था। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह कोई नया सेटअप नहीं था, बल्कि काफी समय से सक्रिय था। स्थानीय लोगों का आना-जाना, नियमित बिक्री और रसीदों का मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि यह कारोबार महीनों, बल्कि संभव है वर्षों से चल रहा हो। अब विभाग पुराने रिकॉर्ड, जब्त रसीदों और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा है, ताकि सही अवधि का पता लगाया जा सके।
रिहायशी इलाके में ‘टाइम बम’ जैसी स्थिति
इस पूरे मामले ने सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस इलाके में यह अवैध पंप चल रहा था, वहां आसपास घर, बच्चे, बुजुर्ग और आम लोग रहते हैं। बिना किसी अग्निशमन व्यवस्था, बिना सुरक्षा मानकों और बिना अनुमति के इतनी बड़ी मात्रा में ज्वलनशील पदार्थ का भंडारण किसी भी समय बड़े विस्फोट या आगजनी का कारण बन सकता था। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी कारण से चिंगारी भी लग जाती तो पूरा इलाका इसकी चपेट में आ सकता था।
मिलावट की आशंका भी जांच के दायरे में
अधिकारियों को इस बात की भी आशंका है कि अधिक मुनाफा कमाने के लिए डीजल में मिलावट की जा रही हो सकती है। अवैध कारोबारों में यह आम बात मानी जाती है कि लागत कम करने और मुनाफा बढ़ाने के लिए ईंधन में केमिकल या अन्य पदार्थ मिलाए जाते हैं। इसी आशंका के चलते मौके से डीजल के सैंपल लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो सकेगा कि डीजल शुद्ध था या उसमें किसी तरह की मिलावट की गई थी।
कंप्यूटर रसीदों ने खोली पोल
इस मामले की सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि आरोपी ग्राहकों को कंप्यूटर जनित रसीदें दे रहा था। यह दिखाता है कि वह अपने अवैध कारोबार को पूरी तरह वैध और भरोसेमंद दिखाना चाहता था। रसीदों पर मात्रा, कीमत और तारीख तक दर्ज होती थी। इससे ग्राहकों का भरोसा भी बनता था और किसी को शक भी नहीं होता था। इन्हीं रसीदों को अब जांच का अहम सबूत माना जा रहा है, क्योंकि इनके जरिए बिक्री का पूरा हिसाब सामने आ सकता है।
प्रशासनिक सतर्कता पर उठे सवाल
इस घटना ने प्रशासनिक सतर्कता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इतने लंबे समय तक एक रिहायशी इलाके में अवैध पेट्रोल पंप कैसे चलता रहा और किसी विभाग को भनक तक नहीं लगी। स्थानीय स्तर पर राजस्व, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि अधिकारी फिलहाल इस पर खुलकर कुछ कहने से बच रहे हैं, लेकिन आंतरिक जांच की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा।
पुलिस और आपूर्ति विभाग की संयुक्त जांच
फिलहाल इस मामले की जांच पुलिस और आपूर्ति विभाग संयुक्त रूप से कर रहे हैं। आरोपी के बैंक खातों, संपत्ति और लेन-देन की भी जांच की जा रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस अवैध कारोबार से कितनी कमाई हुई और वह पैसा कहां लगाया गया। यदि आय से अधिक संपत्ति या अवैध वित्तीय लेन-देन सामने आता है, तो आरोपी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
आगे और खुलासों की उम्मीद
मुरादाबाद का यह फर्जी पेट्रोल पंप मामला फिलहाल यहीं खत्म होता नहीं दिख रहा है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे नए खुलासे होने की संभावना है। यह भी मुमकिन है कि इस अवैध कारोबार के पीछे एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा हो। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।
आम लोगों के लिए सबक और चेतावनी
यह घटना आम लोगों के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है। सस्ते या सुविधाजनक दिखने वाले अवैध स्रोतों से ईंधन खरीदना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि जानलेवा भी हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे केवल अधिकृत पेट्रोल पंपों से ही ईंधन खरीदें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित विभाग को दें। मुरादाबाद का यह मामला बताता है कि लालच और लापरवाही मिलकर कैसे पूरे इलाके को खतरे में डाल सकते हैं।


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