मछलीशहर तहसील गेट पर अतिक्रमण और अवैध पार्किंग से भयावह जाम, पुलिस निष्क्रियता पर सवाल, एंबुलेंस व स्कूली बच्चे फँस रहे।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
मछलीशहर तहसील गेट पर यातायात का कोलैप्स: अतिक्रमण, अवैध पार्किंग और पुलिस की चुप्पी से जनता बेहाल
जाम का नया केंद्र बना मछलीशहर तहसील गेट, रोज़ाना तीन घंटे तक ठप हो जाती है आवाजाही
मछलीशहर, जौनपुर के तहसील गेट के सामने मुख्य मार्ग पर अब जाम कोई असामान्य घटना नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में शामिल एक दर्दनाक सच्चाई बन चुका है। प्रतिदिन ऐसा भीषण जाम लगता है कि कभी दो घंटे, कभी तीन घंटे तक सड़क पर वाहन इंच भर भी नहीं खिसकते। जनता के लिए यह समस्या केवल असुविधा नहीं, बल्कि प्रशासनिक ढांचे की विफलता का स्पष्ट उदाहरण बन चुकी है। आम नागरिक से लेकर व्यापारी, स्कूली छात्र से लेकर बुजुर्ग—हर कोई इस यातायात संकट का भुक्तभोगी है। जाम के कारण शहर का पूरा केंद्रीय मार्ग ठप हो जाता है और कई बार तो स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि लोग गाड़ियों से उतरकर पैदल रास्ता तय करने को मजबूर हो जाते हैं। मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण, अवैध पार्किंग और प्रशासन की बेरुखी से यह समस्या लगातार विकराल रूप लेती जा रही है।
नगर पंचायत और प्रशासन की लापरवाही उजागर, अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई न होने पर बढ़ता आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि यातायात व्यवस्था बिगड़ने की सबसे बड़ी वजह नगर पंचायत की उदासीनता है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई वर्षों से कागज़ों में ही सिमटी हुई है। सड़क के दोनों ओर ठेले वाले, खोमचे, थोक और खुदरा दुकानदारों ने मनमर्जी से जगह घेर रखी है। प्रशासन की ओर से कोई नियमित अभियान नहीं चलाया जा रहा जिसका परिणाम यह है कि अतिक्रमण दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। दुकानदारों द्वारा सड़क की जमीन को निजी संपत्ति की तरह उपयोग करना आम हो गया है। यह स्थिति न केवल सड़क को संकुचित करती है, बल्कि ट्रैफिक जाम की जड़ बन चुकी है। कई बार स्थानीय लोग नगर पंचायत से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई न होने के चलते समस्या जस की तस बनी हुई है।
दुकानदारों और ठेला संचालकों की मनमानी, वाहन हटाने पर मारपीट तक की नौबत
स्थानीय निवासियों ने बताया कि सड़क के दोनों तरफ बरसों से लगे ठेले और खोमचे अब स्थायी दुकान का रूप ले चुके हैं। कई बार जब लोग या यातायात कर्मी वाहन हटाने की बात कहते हैं, तो सामने वाले झगड़े पर उतर आते हैं। कई दुकानदार और संचालक सड़क पर कब्जा किए रखने को अपना अधिकार मानने लगे हैं। टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर चालक भी जैसे चाहें—वैसे वाहन खड़ा कर देते हैं, जिससे सड़क का वास्तविक उपयोग समाप्त होता जा रहा है। सड़क पर वाजिब जगह बच ही नहीं पाती। अवैध पार्किंग ने ट्रैफिक को इस कदर प्रभावित किया है कि सड़क के किनारों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं और बीच में सिर्फ एक छोटी पटरी बचती है, जिस पर दो दिशाओं से आने वाले वाहन भिड़ने लगते हैं।
ट्रैफिक पुलिस की अनुपस्थिति सबसे बड़ी वजह, नागरिकों ने उठाए गंभीर आरोप
नागरिकों का आरोप है कि पुलिस और ट्रैफिक विभाग की निष्क्रियता इस समस्या को और भयावह बना रही है। पूरे दिन ट्रैफिक पुलिस की कोई सक्रिय मौजूदगी नहीं दिखाई देती। लोग बिना किसी रोक-टोक के जहां चाहे वाहन खड़ा कर देते हैं। नियमों का पालन कोई नहीं करता, और पुलिस की चुप्पी आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। कई लोगों ने गुस्से में कहा कि यदि पुलिस अपने दायित्वों का पालन करती, तो मछलीशहर तहसील गेट पर इतना बड़ा जाम कभी न बनता। कुछ लोगों ने यह तक कहा कि यह स्थिति संवैधानिक व्यवस्था और पुलिस प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करती है और इसे कर्तव्यहीनता के दायरे में देखा जाना चाहिए।
स्कूली बच्चों और परीक्षार्थियों के लिए जानलेवा स्थिति, समय पर नहीं पहुँच पाते केंद्र
जाम की वजह से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं स्कूली बच्चे और परीक्षार्थी। सुबह के समय जब स्कूल जाने का वक्त होता है, सड़क पर इतनी भीड़ रहती है कि बच्चों को घंटों तक रास्ते में फंसे रहना पड़ता है। कई बार परीक्षा देने जा रहे छात्रों की परीक्षा तक छूट जाती है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा और समय पर पहुँचने की चिंता उन्हें हर दिन घबराहट में डाल देती है। परीक्षार्थी तनाव में आ जाते हैं और उनके भविष्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति किसी भी जिम्मेदार प्रशासन के लिए चेतावनी है कि शहर का यातायात ढांचा कितना कमजोर हो चुका है।
एंबुलेंस जाम में फँसने से मरीजों की जान पर संकट, अस्पताल तक पहुँचने में होने वाली देरी बनी समस्या
तहसील गेट के सामने लगने वाला भयानक जाम मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। कई बार एंबुलेंस जाम में फँस जाती है और घंटों तक आगे नहीं बढ़ पाती। एंबुलेंस में बैठे मरीज दर्द से तड़पते रहते हैं और अस्पताल पहुँचने में देरी उनके जीवन के लिए गंभीर खतरा बन जाती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी इस स्थिति से रोज़ाना परेशान होते हैं क्योंकि अस्पताल तक पहुँचने का रास्ता अक्सर अवरुद्ध रहता है। स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करने वाली यह स्थिति प्रशासन की लापरवाही का प्रत्यक्ष नमूना है।
स्थानीय व्यापारी भी परेशान, ग्राहक जाम में उलझते हैं और कारोबार प्रभावित होता है
जाम की समस्या सिर्फ आम नागरिकों को नहीं, बल्कि स्थानीय कारोबारियों को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। ग्राहक जाम में फंसकर दुकानों तक नहीं पहुंच पाते, जिससे व्यापारियों की रोज़ाना की आय प्रभावित होती है। कई दुकानदारों का कहना है कि लोग जाम से बचने के लिए इस मार्ग से गुजरना ही छोड़ देते हैं, जिसकी वजह से बाजार की चहल-पहल में भारी गिरावट आई है। व्यापारियों ने भी नगर पंचायत पर आरोप लगाया कि उचित व्यवस्था न होने से उनका व्यवसाय कठिन दौर से गुजर रहा है।
न्यायालय जैसी सख्ती की मांग, नागरिक बोले—अब बिना कड़े आदेश के नहीं सुधरेगी स्थिति
स्थानीय समाज का दुख और प्रशासन से उम्मीदें, जनता चाहती है जवाबदेही और ठोस कार्रवाई
क्षेत्रवासियों ने स्पष्ट कहा कि मछलीशहर तहसील गेट की यह समस्या न केवल यातायात अव्यवस्था है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की पराकाष्ठा है। जनता को उम्मीद है कि अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जल्द समाधान निकालेंगे। लोग चाहते हैं कि इस मार्ग को अतिक्रमण और अवैध पार्किंग से मुक्त किया जाए ताकि आम नागरिकों का जीवन सुचारू रूप से चल सके।
सीनियर रिपोर्टर टिप्पणी—जब प्रशासन अपने दायित्वों से विमुख हो जाए, तो सड़क भी ‘कानूनी संघर्ष’ का मैदान बन जाती है
मछलीशहर की यह स्थिति दर्शाती है कि जब प्रशासनिक मशीनरी अपने मूल कर्तव्यों से भटक जाती है, तो सार्वजनिक स्थान जनता के संघर्ष का केंद्र बन जाते हैं। यह समस्या केवल कार्रवाई से नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति और जवाबदेही से दूर की जा सकती है। आवश्यकता है एक ऐसी व्यवस्था की, जहाँ नियम सिर्फ कागज़ों में नहीं, बल्कि धरातल पर भी नज़र आएँ। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो एक दिन यह समस्या किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है, जिसकी जिम्मेदारी से कोई बच नहीं पाएगा।



0 टिप्पणियाँ
आपका विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है, कृपया अपनी राय नीचे लिखें।