कानपुर में शादीशुदा प्रेमिका ने प्रेमी की हत्या का किया खुलासा, बोली- ‘उसने मेरी बेटी के साथ गलत हरकत…’ जंगल से मिला कंकाल


कानपुर में युवक की हत्या उसकी शादीशुदा प्रेमिका ने की। आरोप- बेटी पर गलत नजर। 49 दिन बाद जंगल से कंकाल मिला, कोर्ट में पेशी जारी


घटना की शुरुआत और मौत के बाद फैला सन्नाटा

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में सामने आई हत्या की यह कहानी सिर्फ अपराध का अध्याय नहीं है, बल्कि इंसानी रिश्तों के अंधेरे पक्ष का वह सच भी है, जिससे पूरा गांव कांप उठा है। 49 दिनों से जिस युवक की लापता होने की खबर गांव में चर्चा का विषय बनी हुई थी, उसका सच तब सामने आया जब पुलिस ने एक घने जंगल से युवक का कंकाल बरामद किया। यह कोई साधारण मौत नहीं थी, यह हत्या थी और हत्यारिन वही महिला निकली, जिसके साथ युवक का पिछले चार साल से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। मामला कानपुर के रसूलाबाद कोतवाली क्षेत्र के रौतापुर कला गांव का है, जहां रहने वाले 35 वर्षीय विवाहिता लक्ष्मीदेवी गौतम को पुलिस ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

लापता युवक की पहचान गोरेलाल के रूप में हुई, जो गांव का ही रहने वाला था। उसकी अचानक गुमशुदगी ने परिवार को तोड़ दिया था और पिता रामस्वरूप रोज पुलिस स्टेशन और अस्पतालों के चक्कर लगाते हुए अपने बेटे की तलाश में दर-बदर भटक रहे थे। खोज-बीन और दौड़-धूप के बाद परिवार की उम्मीदें धूमिल होने लगी थीं, लेकिन पुलिस ने इस मामले की परत दर परत खोलकर अंत में वो सच खोज निकाला, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

चार साल से चल रहा था प्रेम संबंध, गांव में खूब होती थी चर्चा

जांच से पता चला कि मृतक गोरेलाल और आरोपी लक्ष्मीदेवी के बीच पिछले चार वर्षों से प्रेम संबंध चल रहे थे। दोनों का रिश्ता छुपा नहीं था और गांव में उनके बारे में बातें होती थीं। लक्ष्मीदेवी शादीशुदा है और उसके घर में पांच बेटियां और एक बेटा है। इन सबके बीच प्रेम प्रसंग जारी रहा। दोनों अक्सर मिलते, बातें करते और कई बार लोगों की निगाहों में भी आ जाते। गांव के बड़े-बुजुर्गों ने इस रिश्ते को गलत बताते हुए दोनों को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन इसका असर नहीं हुआ।

धीरे-धीरे मामला बदलने लगा। पुलिस के अनुसार रिश्ते में गहराई और नजदीकियों के साथ साथ तनाव भी पैदा हो गया था। एक ओर गोरेलाल इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता था तो दूसरी ओर लक्ष्मी अपनी घरेलू जिम्मेदारियों और समाज की नजरों में फंसी थी। ऐसे में दोनों के बीच विवाद भी शुरू हो गया। हालांकि कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यह रिश्ता इतना खतरनाक मोड़ ले लेगा।

बेटी पर गलत नजर डालने से बदला दिशा

शुरुआती जांच में पुलिस को यह पता चला कि हत्या प्रेम प्रसंग की वजह से नहीं, बल्कि मृतक की कथित हरकतों की वजह से हुई। पूछताछ में आरोपी लक्ष्मी ने वो बात कही, जिसने पूरे मामले को नए एंगल पर ला दिया। लक्ष्मी का दावा है कि गोरेलाल की नीयत उसकी 13 वर्षीय बड़ी बेटी पर खराब हो गई थी। वह बच्ची पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालने लगा था और ऐसा न होने पर लक्ष्मी के बेटे को जान से मारने की धमकी देता था।

लक्ष्मी ने पुलिस को बताया कि एक दिन तो हद ही हो गई, जब उसने अपनी आंखों के सामने गोरेलाल को बच्ची के साथ गलत हरकत करते हुए पकड़ लिया। यह दृश्य देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने तुरंत उससे यह संबंध खत्म करने की बात कही, लेकिन गोरेलाल ने उसके ऊपर दबाव डालकर धमकियां देनी शुरू कर दीं।

लक्ष्मी ने पुलिस को बताया कि वह अपने बेटे और बेटियों को खतरे में नहीं छोड़ सकती थी। वह मानसिक दबाव में आ चुकी थी, इस डर ने उसे हत्या के रास्ते पर धकेल दिया।

हत्या की प्लानिंग और एक दिन पहले की गतिविधियां

हत्या कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था। पुलिस के अनुसार 31 अक्टूबर की रात लक्ष्मी ने अपने भतीजे ईशू को साथ मिलाकर हत्या की योजना बनाई। जांच में यह भी सामने आया कि ईशू को भी इस बात की जानकारी थी कि गोरेलाल बच्ची पर गलत नजर रखता था, इसलिए वह भी हत्या में शामिल हो गया।

वारदात वाले दिन लक्ष्मी ने गोरेलाल को यह कहकर बुलाया कि उसके मायके में एक लड़की है, जिससे वह गोरेलाल की शादी करा देगी। शादी की बात सुनकर गोरेलाल फौरन तैयार हो गया और दोनों साथ शाह निवादा पहुंचे। यहां ईशू पहले से मौजूद था। उसने शराब की बोतलें रखीं और गोरेलाल को लगातार शराब पिलाई।

जब शराब का नशा चढ़ता गया, गोरेलाल का शरीर सुस्त पड़ गया और वह बेहोशी जैसी हालत में गिर गया। उसी समय दोनों ने मिलकर गमछे से उसका गला दबा दिया। पुलिस का कहना है कि यह सब प्लान के तहत हुआ। ईशू ने शव उठाने में मदद की और बाद में दोनों ने मिलकर शव को घसीटते हुए घर से करीब 300 मीटर दूर घने जंगल में फेंक दिया।

रात भर दोनों इस बात को लेकर डरे रहे कि कहीं कोई उन्हें देख न ले। लेकिन जंगल का इलाका निर्जन था और किसी को भनक नहीं लगी।

घर और गांव में फैली थी बेचैनी

1 नवंबर की सुबह जब गोरेलाल घर नहीं लौटा तो घरवालों ने पहले आसपास खोज की। फिर रिश्तेदारों, दोस्तों, गांव वालों से पूछताछ शुरू हुई। किसी ने उसे आखिरी बार शराब पीते देखा था। किसी ने कहा वह बाइक पर शाह निवादा की ओर गया। लेकिन इसके अलावा कोई सुराग नहीं मिल सका।

2 नवंबर को पिता रामस्वरूप ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल्स और गांव वालों के बयान जुटाना शुरू कर दिया। जांच जब लक्ष्मी के पास पहुंची तो शक गहराया। पुलिस ने लक्ष्मी के कॉल रिकॉर्ड चेक किए और पता चला कि हत्या के दिन वह और गोरेलाल लगातार बातचीत में थे।

यही से पुलिस को बड़ा सुराग मिला।

पुलिस ने कठोरता से किया सामना, आरोपी टूट गई

पुलिस हिरासत में लक्ष्मी से कई घंटे तक पूछताछ हुई। शुरुआत में उसने खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार वह टूट गई और सब कुछ बता दिया। उसने मृतक की बेटी से जुड़े दावे सामने रखे और पूरी हत्या की कहानी स्वीकार कर ली।

इसके बाद पुलिस कार्रवाई तेज हुई और जंगल में खोजबीन की गई। जमीन खोदकर पुलिस को अंदर हड्डियों का ढांचा मिला, जो बाद में फॉरेंसिक जांच में गोरेलाल का कंकाल साबित हुआ। जंगल में फैले कपड़े, टुकड़े, हड्डियां और मिट्टी के निशान सबूत बन गए।

अदालत में पेशी और गांव में चर्चा

आरोपी लक्ष्मी और उसके भतीजे ईशू को कोर्ट में पेश किया गया। दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गांव में इस घटना की चर्चा जोरों पर है। कोई इसे बेटी की सुरक्षा का मामला बता रहा है तो कोई इसे रिश्तों की क्रूरता में बदलती कहानी।

उधर मृतक का परिवार सदमे में है। उनका कहना है कि आरोपी झूठ बोल रही है और यह हत्या लालच और जलन के कारण हुई। परिवार ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की आगे की जांच

मृतक की हड्डियों को पोस्टमार्टम और डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है। पुलिस फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या हत्या से पहले मारपीट हुई थी, क्या किसी और की भूमिका है, क्या मोबाइल फोन से अतिरिक्त सबूत मिल सकते हैं।

पुलिस ने मृतक की मोबाइल लोकेशन, शराब की बोतलों और जमीन से प्राप्त सामान को सील किया है।

मृतक का परिवार और गांव के हालात

मृतक के माता-पिता बदहवास हैं। पिता रामस्वरूप रोते हुए कहते हैं कि उन्होंने अपने बेटे को कभी गलत काम करते हुए नहीं देखा था। मां की हालत बेहद खराब है। गांव में पुलिस की मौजूदगी बनी हुई है और हर कोई इस घटना की चर्चा करते नहीं थक रहा।

इस घटना ने उठाए कई बड़े सवाल

यह खबर न सिर्फ कानपुर बल्कि पूरे प्रदेश में गूंज रही है। सवाल यह भी है कि क्या इंसान अपने निजी रिश्तों में इतना अंधा हो सकता है कि हत्या उसकी मंजिल बन जाए? समाज, रिश्ते, सम्मान, शक और सुरक्षा के बीच यह कहानी इंसानी मनोविज्ञान की गहराइयों को झकझोर देती है।

कानपुर की यह हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मौत की कहानी नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास, अपराध और भय के मिश्रण से बनी वह तस्वीर है, जिसमें हर किरदार अपने स्तर पर टूटा हुआ दिखाई देता है। पुलिस आगे की जांच में जुटी है और कंकाल का डीएनए मिलान इस केस की दिशा और परिणाम दोनों तय करेगा। गांव अब भी सदमे में है और मृतक का परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है।

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