जयपुर में आधी रात हिंसा: मस्जिद अतिक्रमण विवाद में पुलिस पर पथराव, 12 महिलाएं समेत 75 हिरासत में, इंटरनेट बंद



जयपुर के चौमूं में मस्जिद अतिक्रमण विवाद ने लिया हिंसक रूप, पुलिस पर पथराव, 75 हिरासत में, इंटरनेट बंद, हालात तनावपूर्ण


जयपुर के चौमूं में आधी रात क्यों भड़का अचानक बवाल

राजस्थान की राजधानी जयपुर से सटे चौमूं कस्बे में गुरुवार और शुक्रवार की दरम्यानी रात जो हुआ, उसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। एक ऐसा इलाका, जो दिन में सामान्य नजर आता है, आधी रात को हिंसा, अफरा-तफरी और पुलिस कार्रवाई का केंद्र बन गया। वजह बनी कलंदरी मस्जिद से जुड़ा अतिक्रमण विवाद, जो लंबे समय से सुलग रहा था और आखिरकार देर रात भड़क उठा। मस्जिद के बाहर रखे पत्थरों और कथित अस्थायी ढांचे को हटाने की कार्रवाई के दौरान अचानक हालात बिगड़ गए और देखते ही देखते पुलिस पर पथराव शुरू हो गया।

अतिक्रमण का पुराना विवाद और बढ़ता तनाव

चौमूं इलाके में स्थित कलंदरी मस्जिद को लेकर अतिक्रमण का मुद्दा कोई नया नहीं है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अनुसार इस जगह को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें सामने आ चुकी थीं। कुछ लोगों का आरोप था कि सार्वजनिक रास्ते और आसपास की जमीन पर धीरे-धीरे कब्जा बढ़ाया जा रहा है। प्रशासन ने समय-समय पर नोटिस जारी किए और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन विवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। हालात उस वक्त ज्यादा संवेदनशील हो गए जब कुछ समय पहले एक पक्ष ने अपनी मर्जी से अतिक्रमण हटाने की बात कही, लेकिन बाद में फिर से उसी जगह लोहे के एंगल और अन्य सामान लगाकर ढांचे को स्थायी रूप देने की कोशिश शुरू हो गई।

पुलिस की कार्रवाई और अचानक भड़की हिंसा

गुरुवार आधी रात को पुलिस को सूचना मिली कि विवादित स्थल पर दोबारा निर्माण की कोशिश की जा रही है। सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और अवैध रूप से लगाए गए ढांचों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की। शुरुआत में माहौल शांत बताया जा रहा था, लेकिन कुछ ही देर में स्थिति बदल गई। अचानक भीड़ जमा हो गई और आरोप है कि समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हालात इतने तेजी से बिगड़े कि पुलिस को पीछे हटना पड़ा और आत्मरक्षा में आंसू गैस के गोले दागने पड़े।

पत्थरबाजी में घायल हुए पुलिसकर्मी

पथराव इतना जबरदस्त था कि आधा दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। किसी के सिर में चोट आई तो किसी के हाथ-पैर में। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी तरह खुद को बचाया और अतिरिक्त बल बुलाया गया। घायल पुलिसकर्मियों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। अधिकारियों के अनुसार सभी की हालत अब स्थिर बताई जा रही है, लेकिन इस घटना ने कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

75 लोग हिरासत में, 12 महिलाएं भी शामिल

हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने सख्त कदम उठाए। देर रात और सुबह तड़के तक चली कार्रवाई में करीब 75 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें करीब एक दर्जन महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ की जा रही है और वीडियो फुटेज, सीसीटीवी रिकॉर्डिंग और चश्मदीदों के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिन लोगों की भूमिका पथराव और हिंसा में सामने आएगी, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

चौमूं बस स्टैंड और आसपास का इलाका पुलिस छावनी में तब्दील

घटना के बाद एहतियात के तौर पर चौमूं बस स्टैंड और आसपास के संवेदनशील इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। अतिरिक्त जवानों के साथ-साथ आरएसी और विशेष दस्ते को भी मौके पर बुलाया गया। सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई और रातभर पुलिस गश्त जारी रही। प्रशासन का मकसद साफ था कि किसी भी कीमत पर हालात दोबारा न बिगड़ने पाए।

वरिष्ठ अधिकारी खुद संभाल रहे मोर्चा

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जयपुर पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी खुद मौके पर पहुंचे। स्पेशल ऑपरेशन कमिश्नर राहुल प्रकाश, अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर डॉ. राजीव पचार और मनीष अग्रवाल समेत कई बड़े अधिकारी रातभर चौमूं में डटे रहे। अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से बातचीत की, हालात का जायजा लिया और अधीनस्थ अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि कानून-व्यवस्था में किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए।

इंटरनेट सेवाएं बंद, अफवाहों पर लगाम की कोशिश

तनावपूर्ण हालात और अफवाहों के फैलने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दीं। आधिकारिक आदेश के मुताबिक चौमूं इलाके में 26 दिसंबर की सुबह 7 बजे से 27 दिसंबर की सुबह 7 बजे तक इंटरनेट बंद रहेगा। प्रशासन का मानना है कि सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ संदेश और अफवाहें फैलने से हालात और बिगड़ सकते हैं, इसलिए यह कदम जरूरी था।

डीसीपी हनुमान प्रसाद मीणा का बयान

वेस्ट जयपुर के डीसीपी हनुमान प्रसाद मीणा ने पूरे मामले को लेकर स्पष्ट बयान दिया है। उन्होंने बताया कि एक पक्ष ने पहले अपनी मर्जी से अतिक्रमण हटा दिया था, लेकिन बाद में कुछ लोगों ने दोबारा लोहे के एंगल लगाकर ढांचे को स्थायी बनाने की कोशिश की। जब पुलिस इस अवैध ढांचे को हटा रही थी, तभी कुछ लोगों ने अचानक पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। डीसीपी ने साफ कहा कि कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों में दहशत और अनिश्चितता

इस घटना के बाद चौमूं इलाके में रहने वाले आम लोग सहमे हुए हैं। रातभर चले बवाल, आंसू गैस और पुलिस की सख्त कार्रवाई से माहौल डरावना हो गया। कई दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे और लोग अनावश्यक रूप से घरों से बाहर निकलने से बचते नजर आए। अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित दिखे और इलाके में एक अजीब सी खामोशी छाई रही।

राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा

जयपुर के चौमूं में हुई इस हिंसा ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी चर्चा तेज कर दी है। विपक्षी दल प्रशासन की तैयारी पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ पक्ष का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। सामाजिक संगठनों की ओर से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने का आग्रह किया जा रहा है।

आगे क्या, हालात पर कड़ी नजर

फिलहाल प्रशासन का दावा है कि हालात काबू में हैं, लेकिन तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। पुलिस लगातार गश्त कर रही है और खुफिया तंत्र को भी अलर्ट पर रखा गया है। हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। इंटरनेट सेवाओं पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा भी स्थिति के अनुसार की जाएगी।

कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती

चौमूं की यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि छोटे से विवाद कैसे बड़ी हिंसा में बदल सकते हैं। अतिक्रमण जैसे मुद्दे अगर समय रहते और संवेदनशील तरीके से नहीं सुलझाए जाएं, तो वे सामाजिक तनाव और हिंसा का कारण बन सकते हैं। प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती शांति बहाल रखने, भरोसा कायम करने और यह सुनिश्चित करने की है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

जयपुर से लेकर पूरे राजस्थान में नजरें

जयपुर के चौमूं में हुई इस हिंसक घटना पर सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान की नजरें टिकी हुई हैं। लोग यह देखना चाहते हैं कि प्रशासन दोषियों के खिलाफ कितना सख्त रुख अपनाता है और हालात को स्थायी रूप से सामान्य करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। आने वाले दिन इस मामले में कई बड़े खुलासे और कानूनी कार्रवाई देखने को मिल सकती है, क्योंकि पुलिस जांच अभी शुरुआती दौर में है और कई पहलुओं की पड़ताल बाकी है।

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