वाराणसी के दालमंडी में ध्वस्तीकरण की बड़ी कार्रवाई में 13 दुकानें ध्वस्त, दुकानदारों ने प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया।
वाराणसी के दालमंडी में ध्वस्तीकरण से मचा हड़कंप
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ऐतिहासिक दालमंडी इलाके में शुक्रवार शाम भारी पुलिस बल की मौजूदगी में प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। इस कार्रवाई के तहत लक्ष्मी कटरा क्षेत्र स्थित भवन संख्या 43/140 को हैमर और ड्रिल मशीन से तोड़ दिया गया। इस बहुचर्चित कार्रवाई में करीब 13 दुकानों को एक साथ जमींदोज कर दिया गया, जिससे इलाके में अफरातफरी का माहौल बन गया। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई वैधानिक नोटिस और उचित प्रक्रिया के तहत की गई है, जबकि किराएदारों का आरोप है कि उन्हें सामान तक निकालने की मोहलत नहीं दी गई।
पुराने बाजार में सदमे का माहौल
दालमंडी वाराणसी का एक बेहद पुराना और व्यस्त बाजार माना जाता है, जहां पीढ़ियों से लोग कारोबार कर रहे हैं। यहां के लक्ष्मी कटरा क्षेत्र में करीब 80 साल पुरानी दुकानें थीं, जिनमें मोबाइल एसेसरीज और इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री होती थी। शुक्रवार शाम करीब छह बजे जब PWD और नगर प्रशासन की टीम पहुंची, तो कई दुकानदार अपनी दुकान बंद करके घर जा चुके थे। अचानक बुलडोजर और हैमर मशीनें चलने लगीं तो लोग दौड़ते हुए वापस आए, लेकिन तब तक कई दुकानें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं।
किराएदारों ने लगाया मिलीभगत का आरोप
किरायेदारों ने प्रशासन और मकान मालिक पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। मोबाइल एसेसरी की दुकान चलाने वाले मोहम्मद शोएब ने बताया कि मकान मालिक ने उनसे दुकान के लिए 35 लाख रुपये लिए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें यह कहकर हटा दिया कि संपत्ति पर कब्जा अवैध है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से कुछ घंटे की मोहलत मांगी ताकि सामान निकाल सकें, लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी। “अब हमारा सब कुछ खत्म हो गया है, घर चलाने के लिए कुछ नहीं बचा,” शोएब ने कहा।
हुसैन अली बोले- “ये वर्ग विशेष के खिलाफ कार्रवाई”
1958 से ‘AK Watch’ नाम की दुकान चलाने वाले हुसैन अली ने इस पूरी कार्रवाई को प्रशासन की गुंडई बताया। उनका कहना था कि “न तो नोटिस मिला, न वकील को बुलाने की मोहलत दी गई, और सीधे बुलडोजर चला दिया गया।” उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई एक वर्ग विशेष को टारगेट करने के मकसद से की गई है। जब मलबा गिरने लगा, तो एक बुजुर्ग महिला जोर-जोर से रोने लगीं, जिन्हें लोगों ने समझाकर वहां से हटाया। इस पूरे मंजर को देखकर बाजार के दूसरे दुकानदारों में भी भय और गुस्से का माहौल फैल गया।
प्रशासन की ओर से दी गई सफाई
प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि यह ध्वस्तीकरण कार्रवाई पूरी तरह से वैध तरीके से की गई है। PWD अधिकारियों के अनुसार, संबंधित भवन लंबे समय से विवादित था और अदालत के आदेश के बाद ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। बताया गया कि मकान मालिक पीयूष ओझा और उनके तीन हिस्सेदारों को पहले ही एक करोड़ दस लाख रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है। इसी राशि में मोबाइल एसेसरी की 13 दुकानें शामिल थीं, जो लक्ष्मी कटरा के नाम से जानी जाती थीं। अधिकारियों ने यह भी कहा कि नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका था और पर्याप्त समय दिया गया था।
दुकानदारों ने जताया गुस्सा
दालमंडी के व्यापारियों ने कहा कि यह कार्रवाई बेहद जल्दबाजी में की गई और किसी भी किराएदार की बात नहीं सुनी गई। दुकानदारों ने बताया कि कई परिवारों की रोजी-रोटी इन दुकानों से चलती थी। “हम लोग दशकों से यहां व्यापार कर रहे थे, हमारे बच्चे यही पले-बढ़े हैं, अब हम सड़क पर हैं,” एक व्यापारी ने कहा। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र वाराणसी के व्यापारिक नक्शे पर बहुत अहम स्थान रखता है, और अचानक की गई इस कार्रवाई ने पूरे बाजार को दहला दिया।
ध्वस्तीकरण के बाद बाजार में सन्नाटा
कार्रवाई पूरी होने के बाद गोविंदपुरा क्षेत्र का वह इलाका जो कभी रौनक से भरा रहता था, अब मलबे का मैदान बन गया है। प्रशासन की टीम देर रात तक मलबा हटाने का काम करती रही। वहीं पुलिस ने किसी भी तरह के विरोध या बवाल को रोकने के लिए इलाके में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया। कार्रवाई के दौरान कुछ युवकों ने नारेबाजी की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें मौके से हटा दिया।
मकान मालिक पर भी उठे सवाल
किराएदारों का कहना है कि मकान मालिक ने दुकानों के किराए और सुरक्षा राशि के नाम पर उनसे लाखों रुपये लिए थे। “हमने हर महीने किराया दिया, बिजली का बिल भी चुकाया, फिर भी हमें बिना सूचना निकाल दिया गया,” दुकानदारों ने कहा। कई लोगों ने दावा किया कि प्रशासन और मकान मालिक के बीच पहले से कोई डील तय थी, जिसके तहत यह पूरी कार्रवाई की गई।
कार्रवाई की टाइमलाइन
जानकारी के अनुसार, दालमंडी क्षेत्र में ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 29 अक्टूबर से शुरू की गई थी। हालांकि बीच में कुछ दिनों तक कार्रवाई रोकी गई, लेकिन 8 नवंबर को चौरसिया पान भंडार के बाद 9 नवंबर को लक्ष्मी कटरा पर बुलडोजर पहुंच गया। प्रशासनिक रिकॉर्ड के मुताबिक, यह कार्रवाई PWD की योजना के तहत की गई, जिसका उद्देश्य पुराने और विवादित निर्माणों को हटाना बताया गया।
वाराणसी के व्यापारी संगठनों ने उठाई आवाज
स्थानीय व्यापारी संघों ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि वे इसके खिलाफ अदालत जाएंगे। वाराणसी व्यापारी महासंघ के प्रतिनिधि ने कहा कि “बिना नोटिस और बिना कोर्ट के अंतिम आदेश के इस तरह दुकानों को गिराना सीधा कानून का उल्लंघन है।” उन्होंने बताया कि जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ ज्ञापन सौंपा जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ितों को राहत या मुआवजा नहीं मिला
ध्वस्तीकरण से प्रभावित किरायेदारों को अब तक किसी भी तरह की राहत नहीं दी गई है। प्रशासन ने साफ कर दिया कि मुआवजा केवल संपत्ति मालिकों को मिलेगा, न कि किरायेदारों को। यह बात सुनते ही किराएदारों में आक्रोश फैल गया। कई लोगों ने कहा कि “मुआवजा तो मालिक खा गया, और हम अपना सब कुछ गंवा बैठे।” स्थानीय समाजसेवी संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि जो लोग दशकों से इन दुकानों में व्यापार कर रहे थे, उन्हें वैकल्पिक दुकान या मुआवजा दिया जाए।
सोशल मीडिया पर भी छिड़ी बहस
दालमंडी ध्वस्तीकरण की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं। कई यूजर्स ने प्रशासन की कार्रवाई को “अन्यायपूर्ण” बताया, वहीं कुछ लोगों ने कहा कि “अगर अवैध निर्माण था तो कार्रवाई सही है।” ट्विटर और फेसबुक पर इस घटना से जुड़ी पोस्ट्स हजारों की संख्या में शेयर की गई हैं। वाराणसी प्रशासन ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
आगे की जांच और संभावित कार्रवाई
प्रशासन ने संकेत दिया है कि दालमंडी क्षेत्र में अन्य पुराने भवनों की भी जांच की जाएगी। जिन इमारतों में अवैध या खतरनाक निर्माण पाया जाएगा, उन्हें भी ध्वस्त किया जा सकता है। वहीं व्यापारी वर्ग का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द सुनवाई नहीं की तो वे सामूहिक प्रदर्शन करेंगे।


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