मुरैना में सरकारी स्कूल का चपरासी 7000 में भ्रूण लिंग जांच करता पकड़ा गया, पुलिस ने पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन जब्त की।
मुरैना में चौंकाने वाला खुलासा: स्कूल का चपरासी बना 'अल्ट्रासाउंड एक्सपर्ट'
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने ना केवल कानून व्यवस्था बल्कि चिकित्सा प्रणाली की जड़ों को भी हिलाकर रख दिया है। एक सरकारी स्कूल में कार्यरत चपरासी गैरकानूनी तरीके से भ्रूण लिंग की जांच कर रहा था और इसके एवज में लोगों से 7 से 10 हजार रुपये वसूलता था।
यह मामला तब उजागर हुआ जब महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) और पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी के पास से पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन, जैल, मोबाइल और नकदी जब्त की गई। पुलिस के अनुसार आरोपी अब तक 50 से अधिक महिलाओं के भ्रूण का लिंग परीक्षण कर चुका था।
ऑपरेशन का खुलासा: गर्भवती बनकर पहुंची सुपरवाइजर, चपरासी पकड़ा गया
WCD विभाग को लंबे समय से यह संदेह था कि इलाके में भ्रूण लिंग परीक्षण का अवैध कारोबार चल रहा है। प्रेमनगर क्षेत्र में लगातार जन्म पंजीकरण और प्रसव में अंतर के आंकड़ों ने जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया था। इसी कड़ी में शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर को गर्भवती महिला बनाकर जाल में फंसाने की योजना बनाई गई।
सुपरवाइजर ने आरोपी से संपर्क कर भ्रूण जांच की इच्छा जताई। आरोपी ने महिला को सोलंकी पेट्रोल पंप के पास बुलाया और वहां से स्कूटी पर बिठाकर 300 मीटर दूर ममता कुशवाहा के घर ले गया। वहां आरोपी महिला के पेट में जैल लगाकर अल्ट्रासाउंड की तैयारी कर ही रहा था कि तभी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
7 हजार में बताता था 'बेटा है या बेटी': खुलेआम हो रहा था लिंग परीक्षण
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि आरोपी सरकारी स्कूल में चपरासी था, जो न तो कोई मेडिकल डिग्री रखता है और न ही चिकित्सा क्षेत्र का कोई अनुभव। फिर भी वह खुलेआम भ्रूण लिंग की जांच करता था।
बताया गया कि उसने प्रत्येक महिला से 7 से 10 हजार रुपये लिए और मोबाइल पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन का प्रयोग कर जांच करता था। आरोपी का नेटवर्क कितना बड़ा है, इसके बारे में पुलिस गहन जांच में जुट गई है।
दलाल का बड़ा रोल: मुख्य आरोपी गिरफ्तार, दलाल फरार
इस अपराध में आरोपी अकेला नहीं था। एक दलाल भी इसमें शामिल था, जो गर्भवती महिलाओं को आरोपी के पास भेजता था और सौदेबाजी करवाता था। फिलहाल यह दलाल फरार है, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि यह गैंग लंबे समय से इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहा था।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी प्रेमनगर के सरकारी स्कूल में चपरासी के रूप में कार्यरत था। वह स्कूटी से महिलाओं को ले जाकर एक महिला के घर में जांच करता था। उस महिला का नाम ममता कुशवाहा बताया गया है, जो इस गैरकानूनी कार्य में अपनी जगह मुहैया कराती थी।
पुलिस ने जब्त किया सबूत: अल्ट्रासाउंड मशीन से लेकर मोबाइल तक
पुलिस टीम ने मौके से पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन, अल्ट्रासाउंड जैल, दो बाइक, सात हजार रुपये नकद और दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। पुलिस इस बात की तह तक जाने में जुटी है कि आरोपी को यह मशीन कहां से मिली और वह कैसे इसे ऑपरेट करना सीख गया।
डब्ल्यूसीडी की अधिकारी डॉ. बिंदु सिंघल, जो ग्वालियर सिविल अस्पताल की मेडिसिन विशेषज्ञ हैं, ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया केवल पैसे के लिए की जा रही थी और यह न केवल गैरकानूनी है बल्कि नैतिक रूप से भी बेहद शर्मनाक है।
50 से ज्यादा महिलाओं की जांच का खुलासा, कई और गिरफ्तारियां संभव
अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी ने करीब 50 से ज्यादा महिलाओं के भ्रूण की लिंग जांच की थी। यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि पूरा एक संगठित गिरोह इस अवैध कार्य को अंजाम दे रहा था।
जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इन महिलाओं की डिलीवरी अस्पताल में हुई थी या फिर अवैध रूप से गर्भपात कराए गए। साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि इस गिरोह के तार किन डॉक्टरों या अस्पतालों से जुड़े हो सकते हैं।
भ्रूण हत्या पर सख्त कानून, फिर भी क्यों नहीं रुकते ऐसे मामले?
भारत में भ्रूण लिंग परीक्षण और लिंग आधारित गर्भपात कानूनन अपराध है। PCPNDT एक्ट के तहत ऐसे मामलों में सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में ऐसे मामले सामने आते रहते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, समाज में बेटा-बेटी को लेकर जो भेदभाव है, वह इस तरह की आपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है। मुरैना का यह मामला भी उसी मानसिकता को उजागर करता है, जहां चपरासी तक भ्रूण लिंग जांच के खेल में शामिल है और लोग पैसे खर्च कर यह जानना चाहते हैं कि गर्भ में बेटा है या बेटी।
प्रशासन का एक्शन: आरोपी को भेजा गया जेल, गिरोह पर शिकंजा कसने की तैयारी
पुलिस ने आरोपी चपरासी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है और अदालत में पेश करने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। वहीं, पुलिस उस दलाल की तलाश कर रही है जो आरोपी को ग्राहक दिलाता था।
इसके अलावा पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इस गिरोह में और कोई सरकारी अधिकारी, निजी डॉक्टर या नर्सिंग होम शामिल हैं।
समाज और सिस्टम के लिए खतरे की घंटी
मुरैना का यह मामला केवल एक अपराध नहीं बल्कि समाज और सरकारी व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। एक सरकारी कर्मचारी द्वारा इस प्रकार का संगीन अपराध यह दर्शाता है कि हमारी निगरानी प्रणाली में कितनी बड़ी खामियां हैं।
यह समय है कि सरकार न केवल ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी रखे, बल्कि लिंग भेद की मानसिकता को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाए।


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