मुरादाबाद में वेटरन क्रिकेट मैच के दौरान खिलाड़ी अहमर खां ने आखिरी गेंद पर टीम को जिताया, फिर मैदान पर ही हार्ट अटैक से मौत।
क्रिकेट की जीत और मौत का संगम: मुरादाबाद में दर्दनाक हादसा
रविवार को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के बिलारी कस्बे में उस समय मातम छा गया, जब एक वेटरन क्रिकेट मैच के दौरान अनुभवी क्रिकेटर अहमर खां की हार्ट अटैक से मौत हो गई। यह घटना न केवल खेल प्रेमियों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी गहरे सदमे का कारण बनी, क्योंकि यह एक ऐसा हादसा था जो खेल की जीत के जश्न को चंद सेकंड में मातम में तब्दील कर गया।
अंतिम गेंद, जीत का इशारा… और गिर पड़ा जीवन
स्थानीय चीनी मिल मैदान पर चल रहे यूपी वेटरन क्रिकेट एसोसिएशन के टूर्नामेंट में यह मैच खेला जा रहा था। 50 वर्षीय अहमर खां, एकता विहार कॉलोनी के निवासी थे और दिल्ली के प्रतिष्ठित सुहानी क्लब व उत्तर प्रदेश की वेटरन टीम के जाने-माने खिलाड़ी रहे हैं। रविवार को वे मैदान में उतरे, और अंतिम ओवर में मात्र 5 रन देकर अपनी टीम को 13 रन से जीत दिलाई। जब उन्होंने ओवर की आखिरी गेंद फेंकी और विरोधी बल्लेबाज आउट हुआ, उन्होंने हाथ उठाकर खुशी का इशारा किया।
लेकिन जीत के इस ऐतिहासिक क्षण के अगले ही पल, मैदान पर सब कुछ थम सा गया। अहमर खां अचानक पिच पर गिर पड़े। उनके गिरते ही साथी खिलाड़ी, दर्शक और आयोजक दौड़कर उनके पास पहुंचे। मौके पर मौजूद डॉक्टरों ने तत्काल CPR देकर उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी थी।
डॉक्टरी पुष्टि: हृदय गति रुकने से हुआ निधन
घटना के बाद उन्हें तुरंत पास के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट में बताया गया कि अहमर खां की मृत्यु हार्ट अटैक के चलते हुई। इस पूरी घटना की पुष्टि एसडीएम बिलारी और स्थानीय प्रशासन ने भी की।
मैच के दौरान मौजूद समाजवादी पार्टी के विधायक फहीम इरफान स्वयं कमेंट्री कर रहे थे और उन्होंने आंखों के सामने इस हृदय विदारक दृश्य को देखा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक खिलाड़ी की मौत नहीं, बल्कि खेल भावना की सबसे भावुक विदाई थी।
खेल से था जुनून, नौकरी में थे प्रोफेशनल
अहमर खां पेशे से एक दवा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) थे। लेकिन उनका दिल क्रिकेट के लिए धड़कता था। वे पिछले एक दशक से सक्रिय रूप से वेटरन क्रिकेट टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले रहे थे। उनका अनुशासन, गेंदबाज़ी का नियंत्रण, और खेल के प्रति समर्पण उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाता था। साथी खिलाड़ी उन्हें ‘क्रिकेट का सच्चा सिपाही’ कहते थे।
उनका जीवन इस बात का उदाहरण था कि पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच भी अगर किसी के भीतर जुनून जिंदा हो, तो वो किसी भी उम्र में खेल के मैदान का सितारा बन सकता है।
खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों में शोक की लहर
अहमर की आकस्मिक मौत की खबर जंगल में आग की तरह फैली। बिलारी ही नहीं, पूरे मुरादाबाद जिले और यूपी क्रिकेट सर्कल में शोक की लहर दौड़ गई। क्रिकेट जगत से जुड़े अनेक वरिष्ठ खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया और व्यक्तिगत बयान के ज़रिए संवेदना जताई। दिल्ली के कई क्रिकेट क्लबों से भी शोक संदेश आए। पीयूष चावला, जो खुद भारतीय क्रिकेट का जाना-पहचाना चेहरा हैं, उन्होंने भी अहमर खां के साथ कई मुकाबले खेले थे।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने परिजनों से मिलकर सांत्वना दी। प्रशासन ने मृतक परिवार को हरसंभव सहायता देने की बात कही है।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
जैसे ही यह दर्दनाक खबर उनके परिवार तक पहुंची, कोहराम मच गया। उनके परिजनों की स्थिति बेहद खराब है। पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार को विश्वास ही नहीं हो रहा कि जिस व्यक्ति ने सुबह मुस्कराते हुए अपने किट बैग में जर्सी रखी थी, वो अब कभी लौटकर नहीं आएगा।
स्थानीय प्रशासन की ओर से शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा गया। अंतिम संस्कार में क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
जीत के साथ मिली विदाई बनी मिसाल
क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ियों ने मैदान पर अपने आखिरी मैच खेले हैं, लेकिन ऐसा दुर्लभ उदाहरण कम ही देखने को मिलता है जब कोई खिलाड़ी अपने जीवन की आखिरी सांस मैदान पर ही ले। जीत का जश्न उनके नाम हो गया, लेकिन उस जीत में एक गहरा खालीपन भी रह गया। लोग कहते हैं कि अहमर खां ने वही किया जो उनका असली प्यार था—खेलना, और खेलते-खेलते ही इस दुनिया को अलविदा कहना।
स्थानीय टूर्नामेंट का आयोजन, लेकिन कोई नहीं था तैयार ऐसे मोड़ के लिए
यह टूर्नामेंट बिलारी के स्थानीय खेल प्रेमियों द्वारा बड़ी मेहनत से आयोजित किया गया था। आयोजनकर्ताओं का कहना है कि अहमर खां को विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित करने की योजना थी, क्योंकि वह वर्षों से इस टूर्नामेंट का हिस्सा रहे हैं और युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए थे। पर किसी को नहीं पता था कि ये उनकी विदाई बन जाएगी।
आयोजनकर्ता अब उनके नाम पर ट्रॉफी देने और अगला टूर्नामेंट ‘अहमर मेमोरियल कप’ के नाम पर करने की योजना बना रहे हैं। यह कदम उनके सम्मान को सदा जीवित रखने की कोशिश है।
दिल का दौरा और एथलीट्स: बढ़ती चिंता का विषय
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि बढ़ती उम्र में खेलते समय मेडिकल निगरानी और हार्ट हेल्थ की कितनी अहम भूमिका है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में कई युवा और वरिष्ठ खिलाड़ियों की मैदान पर मौत की घटनाएं सामने आई हैं। क्रिकेट हो या मैराथन, फुटबॉल हो या कबड्डी—दिल का दौरा अब खेलों में भी जानलेवा खतरा बनता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि खिलाड़ियों को नियमित ECG, स्ट्रेस टेस्ट और ब्लड प्रेशर की जांच करवानी चाहिए, खासकर वे जो 40 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। यह छोटी-सी सावधानी, किसी बड़े हादसे को टाल सकती है।
खिलाड़ी की आखिरी गेंद, आखिरी सांस—इतिहास में दर्ज हुआ एक नाम
अहमर खां की कहानी उन हजारों खिलाड़ियों को प्रेरणा देगी जो उम्र, जिम्मेदारियों और व्यस्तता के बावजूद अपने जुनून को जिंदा रखते हैं। उन्होंने साबित किया कि जुनून की कोई उम्र नहीं होती, और खेल केवल शौक नहीं—जीवनशैली होता है।
लेकिन साथ ही, यह कहानी एक चेतावनी भी है कि जुनून के साथ सुरक्षा और स्वास्थ्य की समझ भी जरूरी है। क्योंकि जीवन की अंतिम गेंद कब फेंकी जाएगी—कोई नहीं जानता।


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