लखनऊ में उग्र भीड़ का पुलिस पर हमला: सफाईकर्मी की मौत के आरोपी को छोड़े जाने से बवाल, थाने पर पथराव और लाठीचार्ज




लखनऊ में सफाईकर्मी की मौत के आरोपी की रिहाई पर भड़की भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, 10 पुलिसकर्मी घायल, पुलिस ने किया लाठीचार्ज


लखनऊ में भड़की भीड़ ने पुलिस पर बोला हमला, सफाईकर्मी की मौत के मामले ने लिया उग्र रूप

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में शुक्रवार की रात उस वक्त हालात बिगड़ गए जब एक सफाईकर्मी की मौत के मामले में हिरासत में लिए गए संदिग्ध आरोपी को पुलिस ने छोड़ दिया। इस निर्णय ने स्थानीय जनता के गुस्से को भड़का दिया और देखते ही देखते सैकड़ों लोग थाने के बाहर जुट गए। लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि वह दबाव में आकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शन तेज हुआ तो भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया, जिससे पूरा इलाका युद्धभूमि बन गया

सफाईकर्मी की रहस्यमयी मौत से भड़का गुस्सा

घटना की शुरुआत सुशांत गोल्फ सिटी के एक सोसाइटी परिसर में हुई, जहां एक सफाईकर्मी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मृतक की पहचान 32 वर्षीय शिवराम के रूप में हुई थी, जो पिछले छह वर्षों से सोसाइटी में सफाई का काम कर रहा था। गुरुवार की रात शिवराम की लाश उसके क्वार्टर के बाहर पड़ी मिली। परिजनों ने आरोप लगाया कि शिवराम के साथ मारपीट की गई थी और उसकी हत्या को आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है। इसके बाद स्थानीय लोगों ने आरोपी सोसाइटी प्रबंधन के एक कर्मचारी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था

आरोपी की रिहाई ने बढ़ाया विवाद

लोगों को उम्मीद थी कि पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी, लेकिन शुक्रवार दोपहर यह खबर फैल गई कि आरोपी को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है। जैसे ही यह जानकारी मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों तक पहुंची, गुस्सा फूट पड़ा। देखते ही देखते सैकड़ों लोग थाने के बाहर एकत्र हो गए। महिलाएं और पुरुष दोनों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। “हत्यारे को गिरफ्तार करो” और “पुलिस दोषियों को बचा रही है” जैसे नारे हवा में गूंजने लगे।

प्रदर्शन से हिंसा तक का सफर

शुरुआत में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। लेकिन जब पुलिस अधिकारियों ने लोगों को शांत कराने की कोशिश की और बताया कि जांच जारी है, तो भीड़ और उग्र हो गई। कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि अधिकारी पैसे लेकर मामले को रफा-दफा कर रहे हैं। स्थिति तब बिगड़ी जब एक पुलिसकर्मी और एक महिला प्रदर्शनकारी के बीच झड़प हो गई। इसके बाद भीड़ ने एकजुट होकर पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया।

महिलाओं ने भी संभाली मोर्चेबंदी

हैरान करने वाली बात यह रही कि इस हिंसक प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। चश्मदीदों के अनुसार, महिलाओं ने पुलिसकर्मियों पर थप्पड़ मारे, लात-घूंसे चलाए और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की। कई पुलिसकर्मी बचने के लिए थाने के अंदर भागे, जबकि कुछ बाहर की भीड़ में फंस गए।

पथराव और पुलिसकर्मियों की घायल अवस्था

जैसे-जैसे भीड़ का आक्रोश बढ़ता गया, स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर पथराव करना शुरू कर दिया। थाने के बाहर खड़ी तीन पुलिस गाड़ियों के शीशे टूट गए। पथराव में थाना प्रभारी समेत लगभग दस पुलिसकर्मी घायल हो गए। कुछ जवानों को सिर और कंधे पर गंभीर चोटें आईं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस ने किया लाठीचार्ज, हालात हुए काबू में

भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जैसे ही पुलिस ने लाठियां चलाईं, भगदड़ मच गई। कई लोग गिर पड़े, कई भागते समय घायल हो गए। पुलिस ने मौके पर अतिरिक्त बल बुलाकर इलाके को चारों ओर से घेर लिया। देर रात तक पुलिस गश्त जारी रही और तनावपूर्ण माहौल में स्थानीय लोगों को घरों में रहने की अपील की गई।

इलाके में तनाव, प्रशासन ने दी चेतावनी

घटना के बाद पूरे सुशांत गोल्फ सिटी इलाके में तनाव का माहौल है। पुलिस ने कहा है कि किसी भी तरह की अफवाह पर विश्वास न किया जाए। अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है और वरिष्ठ अधिकारी हालात पर नजर रखे हुए हैं। प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की है और चेतावनी दी है कि हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस का बयान और जांच की दिशा

डीसीपी साउथ जोन लखनऊ ने बताया कि पुलिस ने किसी आरोपी को छोड़ा नहीं है, बल्कि प्रारंभिक पूछताछ के बाद जांच आगे बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि भीड़ ने गलतफहमी में हमला किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराया जा चुका है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, पुलिस ने हिंसा और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।

मृतक के परिवार का आरोप और मांग

मृतक के परिजनों का कहना है कि शिवराम की हत्या की गई है। उनका आरोप है कि सोसाइटी के सुरक्षा प्रभारी और सफाई ठेकेदार ने उसके साथ मारपीट की थी। परिवार ने मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है और कहा है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी, वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि थाने के बाहर भीड़ पुलिसकर्मियों को घेरकर मारपीट कर रही है। कुछ महिलाएं पुलिसकर्मियों को गालियां देती नजर आ रही हैं जबकि दूसरी ओर कुछ युवक थाने के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे हैं। इस वीडियो ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

विपक्ष ने उठाए सवाल, सरकार पर हमला

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि “यह घटना साबित करती है कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।” वहीं कांग्रेस ने मांग की है कि मृतक सफाईकर्मी के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।

प्रशासन ने शांति बहाली के लिए की पहल

शनिवार सुबह से प्रशासन ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। अधिकारियों ने स्थानीय प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मृतक के परिजनों से बातचीत की। पुलिस ने कहा कि वे दोषियों को नहीं बचा रही, बल्कि सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। मृतक के परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा भी दिया गया है।

थाने के बाहर अब भी मौजूद भारी पुलिस बल

घटना के बाद से ही थाने के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। पीएसी के जवानों और महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। पुलिस लगातार गश्त कर रही है और संदिग्ध लोगों से पूछताछ की जा रही है।

पुलिस पर हमला करने वालों की पहचान जारी

पुलिस अब थाने पर हमला करने वालों की पहचान करने में जुटी है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और वीडियो क्लिप्स से संदिग्धों को चिन्हित किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि जिन लोगों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया, तोड़फोड़ की या पथराव किया, उन पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होगा।

स्थानीय लोग बोले – न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा

स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक मृतक सफाईकर्मी के परिवार को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने साफ कहा है कि आरोपी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे सजा मिलनी चाहिए।

लखनऊ का यह मामला एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि जब कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले पुलिसकर्मी ही हिंसक भीड़ के निशाने पर आ जाएं, तो आम नागरिक कितना असुरक्षित महसूस करेगा। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन मृतक सफाईकर्मी के परिवार को न्याय दिलाने में कामयाब होता है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा।

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