सिर्फ 100 रुपये के लिए दोस्त की बेरहमी से हत्या! शराब के पैसे मांगने पर सिर पर ताबड़तोड़ मुक्के बरसाए, मौके पर हुई मौत



जौनपुर में 100 रुपये के लिए दोस्त ने दोस्त की कर दी हत्या, शराब के पैसे मांगने पर सिर पर बरसाए मुक्के, पुलिस ने आरोपी को पकड़ा


100 रुपये के लिए दोस्ती में दरार, फिर आई मौत

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से इंसानियत को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है जहां महज 100 रुपये की लेन-देन को लेकर एक दोस्त ने अपने ही दोस्त की जान ले ली. यह मामला केराकत कोतवाली क्षेत्र के पसेवा गांव का है. मृतक अरविंद चौहान और आरोपी मुकेश गौतम दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. एक-दूसरे के घर आना-जाना, साथ बैठना, खाना-पीना आम बात थी. लेकिन सोमवार की रात ये दोस्ती खून में तब्दील हो गई, जब एक सौ रुपये के लिए दोनों के बीच कहासुनी शुरू हुई और अंत में मौत ने एक का साथ छोड़ दिया

घायल पैर के कारण बेरोजगार हुआ अरविंद, मुकेश से लेता था मदद

जानकारी के अनुसार, 45 वर्षीय अरविंद चौहान पेड़ की कटाई का काम करता था. करीब तीन महीने पहले उसके पैर में गंभीर चोट लग गई थी जिससे वह घर पर ही रह रहा था. इस दौरान उसका खर्चा और खाने-पीने का सामान मुकेश गौतम ही लाकर देता था. दोनों का रिश्ता इतना करीबी था कि आसपास के लोग उन्हें “भाई समान दोस्त” कहा करते थे. मगर किसे पता था कि वही मुकेश एक दिन उसकी मौत का कारण बनेगा

शराब के 100 रुपये बने मौत की वजह

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार की रात दोनों दोस्तों ने शराब पीने की योजना बनाई. अरविंद ने मुकेश को 100 रुपये देकर शराब लाने को कहा. मुकेश शराब लेने गया, पर लौटा तो खाली हाथ. जब अरविंद ने उससे पैसे वापस मांगे तो मुकेश भड़क उठा. दोनों में गाली-गलौज शुरू हो गई जो देखते-देखते हिंसा में बदल गई.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मुकेश ने अचानक अरविंद पर हमला कर दिया. उसने उसके सिर पर कई बार मुक्के मारे जिससे अरविंद वहीं गिर पड़ा और तड़पने लगा. आसपास के लोग जब तक पहुंचे, आरोपी वहां से फरार हो चुका था

परिजनों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन नहीं बची जान

घटना की जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुंचे और घायल अरविंद को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केराकत पहुंचे. वहां डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर देखते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया. लेकिन जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही अरविंद ने दम तोड़ दिया. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

घर में मौत की खबर पहुंचते ही कोहराम मच गया. परिवार के लोग बदहवास हालत में फूट-फूटकर रोने लगे. पड़ोसी और रिश्तेदारों की भीड़ घर के बाहर इकट्ठा हो गई.

DSP ने बताई घटना की असली वजह

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे. केराकत के डीएसपी अजीत कुमार रजक ने बताया कि मृतक अरविंद अपने छोटे भाई की पत्नी को गाली दे रहा था. इसी बात को लेकर गांव के ही मुकेश गौतम ने उसे मारने-पीटने की कोशिश की, जिससे उसकी मौत हो गई. हालांकि शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि दोनों के बीच शराब के पैसे को लेकर विवाद हुआ था. पुलिस दोनों बिंदुओं पर जांच कर रही है

आरोपी गिरफ्तार, केस दर्ज

पसेवा गांव में हत्या की खबर फैलते ही पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और परिवार की तहरीर के आधार पर आरोपी मुकेश गौतम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस ने मुकेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

पुलिस के अनुसार, मुकेश ने शुरुआती पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. उसने बताया कि विवाद अचानक बढ़ गया था और गुस्से में उसने अरविंद को मारा था. उसका इरादा उसे मारने का नहीं था, पर गुस्से में उसने नियंत्रण खो दिया

गांव में पसरा मातम, रिश्तों की कड़वाहट ने ली जान

घटना के बाद से गांव में मातम पसरा हुआ है. जो दोस्त कल तक साथ बैठकर हंसी-मजाक करते थे, वही अब एक मौत और जेल के बीच बंट चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अरविंद और मुकेश में कभी कोई गंभीर विवाद नहीं हुआ था. दोनों मिलकर खेतों में काम करते, दुकान जाते और गांव की छोटी-मोटी समस्याएं साथ सुलझाते थे.

लेकिन शराब और पैसे ने उनकी दोस्ती की नींव हिला दी. ग्रामीण इस घटना को “पैसे का अंधापन” बता रहे हैं. उनका कहना है कि आजकल छोटी-छोटी बातों पर लोगों का गुस्सा भड़क उठता है, और पहले जहां रिश्ते बचाए जाते थे, अब बदला लिया जाता है

परिवार की हालत बदतर, बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल

अरविंद की मौत ने उसके परिवार को तोड़कर रख दिया है. उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे अब बेसहारा हो गए हैं. पत्नी ने मीडिया से कहा कि "मुकेश तो हमारे परिवार जैसा था. बच्चों को चॉकलेट देता था, घर आता-जाता था. उसने कैसे यह कर दिया, विश्वास नहीं होता."

पुलिस ने परिवार को आश्वासन दिया है कि दोषी को कड़ी सजा दिलाई जाएगी. वहीं ग्रामीण प्रशासन भी पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दिलाने की बात कह रहा है

इंसानियत पर सवाल — क्या 100 रुपये की कीमत एक जान से ज्यादा है?

यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि उस मानसिकता पर सवाल उठाता है जहां पैसों की कीमत रिश्तों और मानवता से बड़ी हो गई है. समाजशास्त्रियों का मानना है कि बेरोजगारी, शराबखोरी और आर्थिक अस्थिरता लोगों में हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ा रही है.

पुलिस आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बीते 12 महीनों में पैसों और लेन-देन के विवाद से जुड़ी 170 से अधिक हत्याएं दर्ज हुई हैं. इन घटनाओं में अधिकांश आरोपी पीड़ित के परिचित या दोस्त थे. यह दर्शाता है कि सामाजिक संबंधों के भीतर ही अब खतरा छिपा हुआ है

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगी मौत की असली वजह

जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. डॉक्टरों का कहना है कि सिर पर गहरी चोट लगने के कारण अत्यधिक खून बह गया जिससे अरविंद की मौत हुई. पुलिस रिपोर्ट में दर्ज है कि हमले के दौरान किसी धारदार हथियार का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि मुक्कों से प्रहार किया गया.

पुलिस अब घटना स्थल से फॉरेंसिक साक्ष्य जुटा रही है और यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घटना के वक्त कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद था या नहीं

प्रशासन ने कहा – अपराधी को सख्त सजा मिलेगी

केराकत क्षेत्राधिकारी अजीत कुमार रजक ने बताया कि आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने की सिफारिश करेगी ताकि जल्द न्याय मिल सके. उन्होंने कहा कि इस तरह के अपराध समाज के लिए शर्मनाक हैं और सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि ऐसे लोगों में भय पैदा हो

पैसों का लालच रिश्तों से बड़ा नहीं

जौनपुर की यह घटना इस बात की गवाही देती है कि जब इंसान का संयम खत्म हो जाता है, तो मामूली विवाद भी हत्या में बदल जाता है. पैसों का लालच और शराब जैसी बुराइयां रिश्तों को जहर बना देती हैं.

समाज को अब यह सोचना होगा कि आखिर ऐसी परिस्थितियां क्यों पैदा हो रही हैं जहां 100 रुपये जैसी नगण्य राशि के लिए कोई इंसान जान ले लेता है. मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक जागरूकता और पारिवारिक संवाद को मजबूत किए बिना ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं

जौनपुर के पसेवा गांव की यह हत्या इस सच्चाई की याद दिलाती है कि जब गुस्सा और लालच बुद्धि पर हावी हो जाए, तो इंसानियत शर्मसार हो जाती है. 100 रुपये के बदले एक दोस्त ने दोस्त की जान ले ली — और यही हमारी सामाजिक सोच का सबसे डरावना चेहरा है.

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