दर्दनाक हादसा: लिफ्ट में फंसी मजदूर की गर्दन, सेकंडों में सिर धड़ से अलग… फैक्ट्री में मचा कोहराम



कानपुर में अंडर गारमेंट फैक्ट्री में 19 वर्षीय मजदूर की लिफ्ट में गर्दन फंसने से दर्दनाक मौत, फैक्ट्री में मचा हड़कंप


कानपुर की फैक्ट्री में दर्दनाक हादसा: सेकंडों में खत्म हुई एक मजदूर की जिंदगी

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में मंगलवार देर शाम एक ऐसा भयावह हादसा हुआ जिसने हर किसी को हिला दिया। नौबस्ता इलाके की एक अंडर गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले 19 वर्षीय मजदूर पवन पासवान की लिफ्ट में गर्दन फंसने से दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा इतना खौफनाक था कि कुछ ही सेकंडों में उसका सिर धड़ से अलग हो गया। फैक्ट्री में मौजूद कर्मचारियों की चीखें पूरे परिसर में गूंज उठीं और देखते ही देखते माहौल मातम में बदल गया।

हादसे की जगह पर मचा अफरा-तफरी

घटना हंसपुरम आवास विकास योजना-दो में स्थित आनंद अग्रवाल की अंडर गारमेंट फैक्ट्री की है। पुलिस के मुताबिक मंगलवार शाम करीब 6 बजे पवन पासवान कपड़ों की गांठों को लिफ्ट के जरिए ऊपरी मंजिल पर भेज रहा था। जैसे ही उसने लिफ्ट का दरवाजा बंद करने की कोशिश की, अचानक वह तेजी से बंद हो गया और पवन की गर्दन बीच में फंस गई। लिफ्ट ऊपर जाते ही उसकी गर्दन दबने से शरीर से सिर अलग हो गया। यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि कोई भी कुछ समझ ही नहीं पाया।

फैक्ट्री में पसरा मातम, कर्मचारियों में दहशत

हादसे के बाद फैक्ट्री में अफरा-तफरी मच गई। वहां मौजूद कर्मचारियों ने तत्काल फैक्ट्री मालिक आनंद अग्रवाल को सूचना दी और पुलिस को फोन किया। कुछ ही देर में नौबस्ता पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। शव को निकालने में करीब एक घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। लिफ्ट की जकड़न इतनी ज्यादा थी कि फायर ब्रिगेड को उपकरणों की मदद से उसका दरवाजा काटना पड़ा। पवन का शव निकालते ही वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।

परिजनों को मिली मौत की खबर, फैक्ट्री पहुंचते ही मचा कोहराम

पवन के परिजनों को फैक्ट्री मालिक ने उसकी हालत बिगड़ने की सूचना दी थी। उन्होंने बताया कि पवन को चोट लगी है और उसे अस्पताल ले जाया जा रहा है। जैसे ही पवन की चाची सुमन फैक्ट्री पहुंचीं, उन्होंने पुलिस से सुना कि पवन की मौत हो चुकी है। शव देखकर परिवार की चीख निकल गई। उसका सिर धड़ से पूरी तरह अलग था। मां रानी और बहन स्वाती को संभालना मुश्किल हो गया। फैक्ट्री परिसर मातम में डूब गया और माहौल शोकपूर्ण हो गया।

पुलिस की जांच और फैक्ट्री मालिक से पूछताछ

नौबस्ता पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह साफ हुआ है कि फैक्ट्री की लिफ्ट में सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी की गई थी। न तो वहां किसी तरह का सेफ्टी अलार्म मौजूद था, न ही इमरजेंसी स्विच काम कर रहा था। इस लापरवाही ने एक नौजवान की जान ले ली। पुलिस ने फैक्ट्री मालिक आनंद अग्रवाल से पूछताछ शुरू कर दी है और लिफ्ट ऑपरेटर के खिलाफ भी मामला दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।

सुरक्षा मानकों की पोल खुली, पहले भी हो चुके हैं हादसे

कानपुर में औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा को लेकर यह कोई पहला हादसा नहीं है। कुछ दिन पहले कानपुर देहात में भी इसी तरह की एक फैक्ट्री में लिफ्ट में फंसकर मजदूर की मौत हो गई थी। बावजूद इसके प्रशासनिक सख्ती का अभाव है। फैक्ट्रियों में न तो सेफ्टी गार्ड तैनात होते हैं और न ही नियमित निरीक्षण किए जाते हैं। मजदूर दिन-रात अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं।

मजदूरों में आक्रोश, बोले- “हम सिर्फ आंकड़े नहीं हैं”

फैक्ट्री के कुछ सहकर्मियों ने बताया कि पवन मेहनती और शांत स्वभाव का था। वह पिछले दो सालों से इस फैक्ट्री में काम कर रहा था। मजदूरों ने बताया कि फैक्ट्री की लिफ्ट काफी पुरानी थी और कई बार उसमें तकनीकी खराबी आ चुकी थी। कई बार उन्होंने इस बारे में मालिक को बताया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। घटना के बाद कई मजदूरों ने कहा, “हम सिर्फ मजदूर नहीं, इंसान हैं। हमारी जान की कोई कीमत नहीं समझी जाती।”

फोरेंसिक टीम की जांच और रिपोर्ट की प्रतीक्षा

घटना के बाद फोरेंसिक टीम ने भी मौके का निरीक्षण किया। टीम ने लिफ्ट की मैकेनिकल सिस्टम, केबल्स और दरवाजे की स्थिति की बारीकी से जांच की। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई कि लिफ्ट के दरवाजे की स्प्रिंग मेकनिज्म फेल हो गया था, जिसके कारण दरवाजा अचानक तेजी से बंद हुआ। टीम ने मशीन के हिस्से को जब्त कर लिया है और विस्तृत रिपोर्ट जल्द पुलिस को सौंपने की बात कही है।

प्रशासन की नींद टूटी, अब होगा सख्त निरीक्षण

घटना के बाद जिला प्रशासन ने औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों की जांच के आदेश जारी किए हैं। डीएम ने कहा कि जिन फैक्ट्रियों में पुराने उपकरण और असुरक्षित मशीनें इस्तेमाल हो रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। श्रम विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह सभी फैक्ट्रियों में सुरक्षा ऑडिट करे।

पवन का सपना अधूरा रह गया

पवन पासवान मूल रूप से बाबूपुरवा के बगाही भट्टा इलाके का रहने वाला था। वह घर का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। उसकी मां रानी पासवान ने बताया कि पवन परिवार की आर्थिक हालत सुधारने के लिए दिन-रात मेहनत करता था। उसने हाल ही में बहन स्वाती की पढ़ाई के लिए कुछ पैसे भी जमा किए थे। परिजनों ने रोते हुए कहा कि “हमारा बेटा मेहनत से जीता था, मशीन ने उसे निगल लिया।”

हादसे के बाद उठे सवाल

इस हादसे ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर फैक्ट्री मालिकों को मजदूरों की सुरक्षा की कितनी परवाह है? क्या केवल मुनाफे की दौड़ में इंसानी जानों की कीमत खत्म हो चुकी है? मजदूरों के लिए बने श्रम कानूनों का पालन कितनी फैक्ट्रियां करती हैं? हर बार हादसे के बाद जांच के आदेश तो जारी हो जाते हैं, लेकिन ज़मीन पर सुधार नहीं दिखता।

परिवार को मुआवजा और न्याय का इंतजार

पुलिस ने परिजनों को आश्वासन दिया है कि मामले में निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने फैक्ट्री मालिक से मृतक के परिवार को उचित मुआवजा देने को कहा है। हालांकि परिवार का कहना है कि “पैसे से पवन लौट नहीं आएगा, हमें न्याय चाहिए।”

फैक्ट्री में लौटने से डर रहे मजदूर

हादसे के बाद फैक्ट्री में काम करने वाले कई मजदूरों ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक सुरक्षा इंतजाम पुख्ता नहीं होंगे, वे अपनी जान जोखिम में नहीं डालेंगे। प्रशासन ने फैक्ट्री को अस्थायी रूप से सील कर दिया है और जांच रिपोर्ट आने तक काम रोक दिया गया है।

एक चेतावनी, जो अनसुनी नहीं होनी चाहिए

कानपुर की यह घटना केवल एक फैक्ट्री दुर्घटना नहीं, बल्कि देश के औद्योगिक ढांचे के लिए एक चेतावनी है। मजदूरों की सुरक्षा को लेकर बनी नीतियां कागजों तक सीमित हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत भयावह है। जब तक उद्योगों में तकनीकी सुरक्षा, नियमित निरीक्षण और श्रमिक कल्याण को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसी मौतें यूं ही होती रहेंगी।

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