हाथरस में सांप के डसने से मरे बच्चे को 4 दिन तक तांत्रिकों ने जिंदा करने की कोशिश की, पुलिस ने कब्र से शव निकाल कराया पोस्टमार्टम।
हाथरस में अंधविश्वास की चपेट में मासूम की जिंदगी, सांप के काटने से हुई मौत के बाद चला 'जिंदा करने' का तंत्र-मंत्र
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के इटरनी गांव में अंधविश्वास और अज्ञानता ने एक मासूम की मौत के बाद भी उसके शरीर को चैन से नसीब नहीं होने दिया। 12 वर्षीय कपिल को जब जहरीले सांप ने डसा, तो परिवार उसे लेकर नजदीकी अस्पताल भागा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन बच्चे का शव घर ले आए, लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने पूरे इलाके को हिला दिया। वैज्ञानिक सोच और चिकित्सा विज्ञान के युग में भी जब तंत्र-मंत्र और झाड़फूंक पर विश्वास करने की मानसिकता हावी हो जाए, तो ऐसी ही घटनाएं सामने आती हैं।
सांप के डसने के बाद अस्पताल में मृत घोषित, फिर शुरू हुआ 'जिंदा करने' का नाटक
20 अक्टूबर की रात कपिल अपने घर में सो रहा था, तभी एक जहरीले सांप ने उसे डस लिया। जैसे ही परिजनों को पता चला, वो कपिल को लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि बच्चा दम तोड़ चुका है। इस दुखद क्षण में जब हर समझदार परिवार अपने बेटे की अंत्येष्टि की तैयारी करता, कपिल का परिवार किसी और ही दिशा में बढ़ गया। उन्होंने बच्चे के शव को न दफनाया, न ही जलाया। उन्होंने उसे घर लाकर तांत्रिकों को बुलाया।
बायगीरों ने दिया चमत्कार का भरोसा, कब्र से दो बार निकाला गया शव
शुरुआत में एक स्थानीय बायगीर को बुलाया गया जिसने घंटों झाड़फूंक की, लेकिन कपिल की सांसें वापस नहीं आईं। इसके बाद शव को गांव में ही एक स्थान पर दफना दिया गया। अगले दिन, परिजन फिर एक दूसरे तांत्रिक को लेकर पहुंचे, जिसने दावा किया कि वह कपिल को पुनर्जीवित कर सकता है। इस अंधविश्वास के फेर में पड़कर परिजनों ने कब्र से शव को दोबारा निकाल लिया और फिर से तंत्र-मंत्र की प्रक्रिया शुरू हुई। यह सिलसिला लगातार चार दिनों तक चलता रहा।
चार दिन बाद टूटी उम्मीद, तब दी गई पुलिस को सूचना
इटरनी गांव में लगातार चार दिनों तक कपिल का शव बार-बार निकाला गया, और तांत्रिकों द्वारा अलग-अलग विधियों से जिंदा करने का प्रयास होता रहा। गांव के कई लोग इस दृश्य को देखने के लिए जमा होते रहे। जब चार दिन बीतने के बाद भी कोई चमत्कार नहीं हुआ, तब 24 अक्टूबर को परिवार ने आखिरकार पुलिस को सूचना दी। हसायन थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गांव में फैली सनसनी, लोगों की आंखों में अंधविश्वास की चुभन
जब यह खबर फैली कि एक बच्चे को चार दिनों तक 'जिंदा करने' का प्रयास हो रहा है, वह भी कब्र से दो बार निकाल कर, तो इलाके में सनसनी मच गई। तमाम ग्रामीण यह देखकर दंग रह गए कि आज भी लोग इस हद तक अंधविश्वासी हो सकते हैं। परिजनों की इस हरकत पर कुछ लोगों ने सहानुभूति जताई, तो कुछ ने इसे सामाजिक कुरीति और अज्ञानता का परिणाम बताया।
प्रशासन की अपील: संकट में विज्ञान और डॉक्टरों पर करें भरोसा
इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने जनता से अपील की है कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत अस्पताल जाकर डॉक्टरों की सलाह लें। किसी भी प्रकार के झाड़फूंक या तंत्र-मंत्र के चक्कर में न पड़ें, क्योंकि इससे न केवल जीवन बल्कि शव का भी अपमान होता है। जिले के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि अंधविश्वास के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
मासूम की मौत के बाद समाज के लिए बड़ा संदेश
कपिल की मौत के बाद जो कुछ भी हुआ, उसने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्या आज भी ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं इतनी दूर हैं कि लोग झाड़फूंक पर भरोसा करने को मजबूर हैं? क्या वैज्ञानिक सोच अब भी गांवों तक नहीं पहुंच पाई? यह मामला न केवल पुलिस और प्रशासन के लिए, बल्कि समाजशास्त्रियों, शिक्षाविदों और जागरूक नागरिकों के लिए भी चेतावनी है कि अब वक्त आ गया है जब अंधविश्वास की बेड़ियों को तोड़ने के लिए निर्णायक कदम उठाया जाए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार, पुलिस जुटी जांच में
फिलहाल कपिल के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों की पुष्टि की जाएगी, हालांकि प्राथमिक तौर पर सांप के काटने को ही कारण माना जा रहा है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या किसी तांत्रिक या झाड़फूंक करने वाले ने परिजनों से पैसे ऐंठे या किसी प्रकार की धोखाधड़ी की। अगर ऐसा कुछ पाया गया तो संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एक बच्चे की मौत ने खोली अंधविश्वास की परतें
इस पूरे प्रकरण ने साफ कर दिया है कि हमारे समाज में अब भी अंधविश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं। 12 साल का मासूम कपिल भले ही सांप के काटने से मरा हो, लेकिन उसके शव के साथ जो हुआ वह भी कम भयावह नहीं है। अब वक्त आ गया है जब समाज को जागरूक होकर इस प्रकार की प्रथाओं का बहिष्कार करना होगा। सरकार को भी चाहिए कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए ताकि कोई और कपिल इस प्रकार अंधविश्वास की भेंट न चढ़े।


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