दिल्ली एसिड अटैक केस में चौंकाने वाला खुलासा: जिस पर था हमला करने का आरोप, वही निकला बेगुनाह — 24 घंटे में पलट गई पूरी कहानी



दिल्ली एसिड अटैक केस में बड़ा खुलासा, छात्रा का दावा झूठा निकला, पिता ने रची थी पूरी साजिश, पुलिस ने आरोपी को दी क्लीन चिट


दिल्ली में छात्रा पर एसिड अटैक केस में सनसनीखेज मोड़, मुख्य आरोपी को मिली क्लीन चिट

दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा पर हुए कथित एसिड अटैक केस ने अब पूरी तरह से नया मोड़ ले लिया है. पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ है कि जिस युवक को पीड़िता ने मुख्य आरोपी बताया था, वह घटना के समय घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था. करोल बाग इलाके के सीसीटीवी फुटेज में आरोपी जितेंद्र अपने काम पर जाते हुए नजर आया, जिसके बाद पुलिस ने उसे फिलहाल क्लीन चिट दे दी है. इस खुलासे के बाद न केवल केस की दिशा बदली है, बल्कि पीड़िता के पिता पर भी शक की सुई घूम गई है

24 घंटे में पलट गया केस, निर्दोष साबित हुआ जितेंद्र

राजधानी दिल्ली के मुकुंदपुर इलाके में 24 अक्टूबर को हुए इस कथित एसिड अटैक केस में पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि तीन युवक — जितेंद्र, ईशान और अरमान — ने मिलकर उसके ऊपर एसिड फेंका. लेकिन दिल्ली पुलिस की तफ्तीश में पता चला कि घटना के समय जितेंद्र करोल बाग इलाके में मौजूद था. सीसीटीवी फुटेज में वह मोटरसाइकिल से अपने काम पर जाते हुए दिखाई दिया. इस वीडियो की पुष्टि के बाद पुलिस ने उसे 24 घंटे के भीतर ही क्लीन चिट दे दी. यह मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया और लोग पुलिस की तत्परता की तारीफ करने लगे

पिता की साजिश से हिला केस, खुद कबूला झूठा आरोप

पुलिस की जांच के दौरान एक और बड़ा खुलासा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया. छात्रा के पिता अकील खान ने खुद यह स्वीकार किया कि उसने अपने निजी विवाद के चलते जितेंद्र और अन्य दो युवकों को फंसाने के लिए झूठा एसिड अटैक रचा था. बताया जा रहा है कि अकील का ईशान और अरमान के परिवार से लंबे समय से विवाद चल रहा था. इस साजिश के तहत उसने बेटी से झूठा बयान दिलवाया और पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस ने अकील को गिरफ्तार कर लिया है और उससे लगातार पूछताछ की जा रही है

जितेंद्र की पत्नी ने पहले दर्ज कराई थी रेप की FIR

इस पूरी कहानी में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया. घटना के एक दिन पहले यानी रविवार को जितेंद्र की पत्नी ने पीड़िता के पिता अकील खान पर रेप का गंभीर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी. महिला ने कहा था कि वह 2021 से 2024 के बीच अकील की फैक्ट्री में काम करती थी, जहां उसने उसके साथ जबरदस्ती की. इतना ही नहीं, उसके आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल भी किया गया. पुलिस अब इस केस की भी जांच कर रही है ताकि दोनों मामलों के बीच कोई कड़ी जुड़ सके

ईशान और अरमान भी निर्दोष, आगरा में थे उस दिन

पुलिस जांच में सामने आया कि बाकी दो आरोपी — ईशान और अरमान — भी घटना के दिन दिल्ली में नहीं थे. दोनों अपनी मां शबनम के साथ आगरा में मौजूद थे. शबनम ने पुलिस को बताया कि 2018 में उन पर भी अकील खान के रिश्तेदारों ने एसिड अटैक किया था. इतना ही नहीं, शबनम और अकील के बीच मंगोलपुरी की एक प्रॉपर्टी को लेकर भी पुराना विवाद चल रहा था, जो फिलहाल अदालत में विचाराधीन है. इससे पुलिस को यह समझने में आसानी हुई कि इस झूठे केस के पीछे पुरानी रंजिश काम कर रही थी

पुलिस ने खोला सीसीटीवी फुटेज का राज

मुकुंदपुर और अशोक विहार इलाके से जुटाए गए सीसीटीवी फुटेज ने केस का रुख पूरी तरह बदल दिया. वीडियो में पीड़िता अपने भाई के साथ स्कूटी पर निकलती दिखी. उसका भाई उसे अशोक विहार तक छोड़कर लौट गया, लेकिन कॉलेज गेट तक नहीं पहुंचा. इसके बाद वह एक ई-रिक्शा में जाती नजर आई. अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आखिर भाई ने बहन को कॉलेज तक क्यों नहीं छोड़ा और क्या उसे पहले से किसी बात की जानकारी थी.

साजिश का मकसद क्या था? पुलिस जुटा रही हर कड़ी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अब जांच का फोकस इस बात पर है कि अकील खान ने यह पूरी साजिश क्यों रची. शुरुआती जांच से पता चला है कि प्रॉपर्टी विवाद और पुरानी दुश्मनी के चलते उसने यह प्लान बनाया. उसने अपनी बेटी को झूठा बयान देने के लिए तैयार किया ताकि जिन लोगों से उसका झगड़ा था, उन्हें सबक सिखाया जा सके. एसिड अटैक जैसी जघन्य वारदात का झूठा केस बनाना न केवल कानून के साथ खिलवाड़ है बल्कि समाज में भय का माहौल पैदा करता है

झूठे आरोप की कीमत — निर्दोषों की बदनामी

इस केस ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि झूठे मामलों में निर्दोषों की छवि और जीवन कैसे बर्बाद हो जाते हैं. जितेंद्र, जिस पर समाज के सामने एसिड अटैकर होने का दाग लगा, अब भले ही पुलिस जांच में क्लीन चिट पा गया है, लेकिन उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई संभव नहीं. जितेंद्र की पत्नी ने कहा कि उन्होंने झूठे आरोपों से मानसिक और सामाजिक रूप से बहुत तकलीफ झेली है

पुलिस की तेजी बनी मिसाल, लेकिन सवाल बाकी

दिल्ली पुलिस ने इस केस में जिस तेजी और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जांच की, वह काबिल-ए-तारीफ है. सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और बयानबाजी की सटीक जांच ने महज 24 घंटे में सच्चाई सामने ला दी. हालांकि पुलिस अब भी यह पता लगाने में जुटी है कि एसिड कहां से आया और क्या किसी ने वास्तव में तेजाब खरीदा भी था या नहीं. इस पहलू पर फॉरेंसिक टीम की रिपोर्ट का इंतजार है।

अब आगे क्या?

पुलिस अब यह जांच रही है कि अकील खान के साथ और कौन-कौन इस साजिश में शामिल था. क्या छात्रा को किसी ने उकसाया था? क्या एसिड की झूठी कहानी बनाने में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका थी? दिल्ली पुलिस ने अकील की कस्टडी बढ़ाने की मांग की है ताकि मामले की जड़ तक पहुंचा जा सके. फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटा लिए हैं और रिपोर्ट जल्द ही अदालत में पेश की जाएगी

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रा एसिड अटैक केस अब एक सबक बन चुका है — झूठी साजिशें न सिर्फ निर्दोषों की जिंदगी तबाह करती हैं, बल्कि समाज में अविश्वास का जहर भी घोलती हैं. पुलिस ने भले ही 24 घंटे में केस पलटकर सच सामने लाया, मगर इस घटना ने कानून और समाज दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जब ‘सहानुभूति का हथियार’ झूठ का औजार बन जाए, तो न्याय की नींव कितनी हिल जाती है

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