बस्ती में दलित युवक को गाली की शिकायत करना पड़ा भारी, दबंगों ने पेड़ से बांधकर कपड़े फाड़े और लाठी-डंडों से पीटा
दलित युवक पर अमानवीय अत्याचार से दहला बस्ती जिला
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है. कलवारी थाना क्षेत्र के भटपुरवा गांव में दबंगों ने एक दलित युवक को केवल इसलिए पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा क्योंकि उसने उनके बेटे द्वारा की गई गाली-गलौज की शिकायत की थी. पीड़ित के कपड़े फाड़े गए, लाठी-डंडों से इतना पीटा गया कि डंडे तक टूट गए, वहीं उसकी बहन को भी बर्बरतापूर्वक मारा गया. यह घटना न केवल सामाजिक असमानता की जड़ें उजागर करती है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी जारी जातिगत अत्याचार की भयावह तस्वीर पेश करती है.
शिकायत लेकर पहुंचा तो मिली तालिबानी सजा
पीड़ित श्रीचंद नाम का दलित युवक अपने भाई के साथ बस्ती से लौट रहा था, तभी रास्ते में गांव का ही दबंग शिवशांत उसे रोककर जातिसूचक शब्दों में गाली देने लगा. घर पहुंचने के बाद श्रीचंद ने यह बात परिवार को बताई. परिवार ने कहा कि इस मामले की शिकायत शिवशांत के परिजनों से करनी चाहिए ताकि मामला शांत हो सके. लेकिन यह फैसला श्रीचंद के जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुआ. जब वह अपनी बहन सीमा के साथ कार से आधार कार्ड का काम कराने जा रहा था, उसी दौरान रास्ते में शिवशांत के घर पहुंचा और उनके परिवार से शांतिपूर्वक बात करने की कोशिश की. लेकिन वहां से जो कुछ हुआ, उसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया.
कार से खींचकर बहन की पिटाई, कपड़े फाड़े और लूटपाट
पीड़िता सीमा के अनुसार, जैसे ही वे शिकायत लेकर पहुंचे, शिवशांत के घर वालों ने पहले गालियां देना शुरू किया और फिर हमला बोल दिया. उन्होंने सीमा को कार से खींचकर बाहर निकाला और पीटना शुरू कर दिया. इसके बाद दोनों भाइयों को भी बेरहमी से मारा गया. श्रीचंद को दबंगों ने पहले लाठी-डंडों से पीटा, फिर उसकी शर्ट फाड़कर उसे पेड़ से बांध दिया. गांववालों ने बताया कि उसे इतनी बेरहमी से पीटा गया कि डंडे टूट गए और वह खून से लथपथ होकर गन्ने के खेतों में जाकर छिप गया. सीमा ने बताया कि कार का शीशा तोड़ दिया गया, गाड़ी में रखे 42 हजार रुपये नगद और गले में पड़ी सोने की चेन लूट ली गई.
गांव में फैला तनाव, पहुंची पुलिस फोर्स
घटना के बाद पूरे भटपुरवा गांव में तनाव फैल गया. मामला बढ़ता देख स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी. कलवारी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवार को सुरक्षित निकाला. घायल श्रीचंद और सीमा को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है. सीओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पीड़िता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि कोई अप्रिय स्थिति न बने.
जातिगत मानसिकता की जड़ों में छिपा जहर
यह घटना उस सच्चाई को उजागर करती है कि समाज में अब भी जातिगत भेदभाव और दंभ की जड़ें कितनी गहरी हैं. एक छोटे से विवाद पर किसी व्यक्ति को न केवल मारा-पीटा गया बल्कि उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया. दलित समुदाय से होने के कारण इस मामले में सामाजिक संवेदनशीलता और बढ़ जाती है. स्थानीय लोग मानते हैं कि ऐसे मामलों में अगर पुलिस और प्रशासन समय रहते कड़ी कार्रवाई करे तो इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकती है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी “दबंग राज” का डर लोगों के दिलों में बसा हुआ है.
श्रीचंद का दर्दनाक बयान
अस्पताल में भर्ती श्रीचंद ने मीडिया से कहा, “मैं तो सिर्फ गाली देने की शिकायत करने गया था. उन्होंने मुझे पेड़ से बांधकर इतना मारा कि मुझे लगा आज जिंदा नहीं बचूंगा. मेरे कपड़े फाड़ दिए, बहन को मारा और कार भी तोड़ दी. उन्होंने मेरे पास रखे सारे पैसे और सोने की चेन भी छीन ली.” श्रीचंद की आंखों में अब भी डर और सदमा झलक रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पुलिस न्याय दिलाएगी क्योंकि अब पूरा परिवार डरा हुआ है.
महिलाओं पर हिंसा और पुलिस की भूमिका पर सवाल
घटना की सबसे भयावह बात यह रही कि महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया. सीमा को सरेआम कार से खींचकर पीटा गया, जिससे उसके शरीर पर कई जगह गंभीर चोटें आईं. महिलाओं के साथ इस तरह की हिंसा समाज की संवेदनहीनता की चरम सीमा को दर्शाती है. पुलिस ने सीमा के बयान के आधार पर महिला उत्पीड़न की धाराओं के तहत भी मुकदमा दर्ज किया है. हालांकि यह सवाल उठ रहा है कि जब गाली देने की पहली घटना हुई थी, तब क्या पुलिस को सूचना दी गई थी और क्या उस वक्त कोई कार्रवाई की गई? स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर पहले ही हस्तक्षेप हुआ होता तो यह नौबत नहीं आती.
गांव के सामाजिक ढांचे पर असर
घटना के बाद से भटपुरवा गांव दो हिस्सों में बंटा दिखाई दे रहा है. एक ओर दलित समुदाय प्रशासन से सुरक्षा की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर दबंग परिवार अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दबाव बनाने की कोशिश में लगा है. हालांकि पुलिस की मौजूदगी के कारण हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं, लेकिन अंदरूनी तनाव अब भी बरकरार है. कई ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से गांवों में आपसी सौहार्द खत्म हो रहा है और भय का माहौल बनता जा रहा है.
पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई
सीओ प्रदीप त्रिपाठी ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं और मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद संबंधित धाराएं जोड़ी जाएंगी. पुलिस ने घटना स्थल से सबूत जुटाए हैं, वहीं पीड़ित की टूटी कार और पेड़ पर पड़ी रस्सियों को भी जब्त कर लिया गया है. थाना प्रभारी का कहना है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो.
दलित उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में दलित उत्पीड़न के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में हर साल ऐसे हजारों मामले दर्ज होते हैं जिनमें दलितों को सामाजिक या जातिगत आधार पर हिंसा का सामना करना पड़ता है. बस्ती की यह घटना इस श्रृंखला का ताजा उदाहरण है जो दिखाता है कि कानून होने के बावजूद जमीनी हकीकत अब भी बेहद कठोर है.
सरकारी प्रतिक्रिया और सामाजिक संगठनों की मांग
घटना की जानकारी मिलने के बाद सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि दलितों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों में पुलिस की निष्क्रियता भी एक बड़ी वजह है. वहीं, बस्ती के जिलाधिकारी ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा रही है और दोषियों पर एससी-एसटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
न्याय की उम्मीद में पीड़ित परिवार
पीड़ित श्रीचंद का परिवार अब न्याय की आस लगाए बैठा है. उसकी बहन सीमा ने कहा कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, वे चैन से नहीं बैठेंगे. गांव में फैली दहशत के बावजूद परिवार ने पुलिस से पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है. वहीं आसपास के गांवों के लोग भी इस मामले को लेकर आवाज उठा रहे हैं ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.


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