कम दिवाली बोनस मिलने से टोल कर्मचारियों का बवाल, एक्सप्रेसवे पर खोले टोल गेट, हजारों गाड़ियां मुफ्त में गुजरीं, कंपनी को भारी नुकसान
दीपावली बोनस बना विवाद की वजह
उत्तर प्रदेश के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक अनोखी और हैरतअंगेज घटना सामने आई, जिसने पूरे टोल सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दीवाली जैसे बड़े पर्व पर जब हर कोई खुशियों में डूबा होता है, वहीं फतेहाबाद टोल प्लाजा के कर्मचारियों को कम बोनस मिलने पर इतना गुस्सा आया कि उन्होंने शनिवार रात टोल गेट के बैरियर ही खोल दिए। नतीजतन, हजारों वाहन बिना टोल चुकाए एक्सप्रेसवे से गुजर गए और कंपनी को भारी राजस्व नुकसान झेलना पड़ा।
धनतेरस की रात भड़के टोलकर्मी, खोल दिए गेट
शनिवार की रात जब देशभर में लोग धनतेरस की खरीदारी में व्यस्त थे, उस वक्त उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद टोल प्लाजा पर स्थिति कुछ और ही थी। श्री साईं एंड दातार कंपनी के अंतर्गत आने वाले इस टोल प्लाजा पर तैनात 21 कर्मचारियों ने कम बोनस मिलने के विरोध में टोल गेट खोल दिए। बोनस के रूप में ₹1100 मिलने से असंतुष्ट कर्मचारी पहले मैनेजर से भिड़े और जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने नाराज होकर बूम बैरियर हटा दिए। कर्मचारियों का कहना था कि पिछले साल ₹5000 बोनस मिला था, लेकिन इस बार यह मात्र ₹1100 तक सिमट गया, जो उनके साथ धोखा है।
कंपनी की सफाई और कर्मचारियों की नाराजगी
कंपनी की ओर से सफाई दी गई कि उन्हें इस साल मार्च में ही टोल का ठेका मिला है, ऐसे में वह पूरे साल का बोनस कैसे दे सकते हैं। लेकिन कर्मचारी इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुलेआम टोल वसूली रोक दी। शनिवार रात करीब 10 बजे से लेकर लगभग 2 घंटे तक टोल गेट खुले रहे। इस दौरान गाड़ियों की लंबी कतारें बिना किसी बाधा के एक्सप्रेसवे से गुजरती रहीं।
प्रबंधन और पुलिस भी रह गई बेबस
घटना की जानकारी मिलते ही टोल कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्णा जुरैल ने कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन कर्मचारियों के समूह को नियंत्रित नहीं कर सकी। कर्मचारियों ने दूसरे कर्मचारियों को भी काम करने से रोक दिया। अंततः वरिष्ठ अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने कर्मचारियों को 10 प्रतिशत वेतन वृद्धि का आश्वासन दिया, तब जाकर वे मानें।
5,000 से अधिक गाड़ियां हुईं टोल फ्री
टोल प्लाजा पर लगे कैमरों और प्रबंधन के अनुसार, इस दो घंटे के भीतर लखनऊ से आगरा की ओर आने वाली करीब 5,000 गाड़ियां बिना टोल चुकाए निकल गईं। फास्टैग स्कैनिंग भी इस दौरान कई जगहों पर काम नहीं कर पाई क्योंकि वाहनों की गति बहुत तेज थी। बता दें कि इस एक्सप्रेसवे पर कार के लिए एक तरफ का टोल टैक्स ₹665 निर्धारित है। ऐसे में कंपनी को लाखों का नुकसान हुआ है।
कंपनी को 25 से 30 लाख का नुकसान
प्लाजा मैनेजर के अनुसार, इस घटना से कंपनी को लगभग 25 से 30 लाख रुपये का सीधा नुकसान हुआ है। इस एक्सप्रेसवे पर सामान्य दिनों की तुलना में धनतेरस जैसे त्योहार पर ट्रैफिक कई गुना बढ़ जाता है। इसी का फायदा कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान गाड़ियों को हुआ और टोल प्लाजा से मुफ्त में पार हो गईं। कंपनी अब इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करा रही है और दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की संभावना जताई गई है।
दीपावली के जश्न में कर्मचारियों की मायूसी
जहां एक ओर पूरा देश दीपावली की तैयारियों में व्यस्त था, वहीं फतेहाबाद टोल प्लाजा के कर्मचारी अपने हक की लड़ाई में सड़कों पर उतर आए। उनके अनुसार, महंगाई के इस दौर में ₹1100 का बोनस उनके आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ है। उनका मानना है कि जब कंपनी उन्हें पहले ₹5000 दे चुकी है तो अब कमी क्यों? हालांकि, कंपनी की आर्थिक स्थिति और अनुबंध की अवधि को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
टोल वसूली प्रणाली पर उठे सवाल
इस पूरी घटना ने टोल वसूली व्यवस्था की पारदर्शिता और मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर कुछ कर्मचारी नाराज होकर बैरियर हटा सकते हैं, तो यह सिस्टम की गंभीर कमजोरी को दर्शाता है। साथ ही यह भी साफ होता है कि कर्मचारियों की नाराजगी को समय रहते नहीं सुना गया, जिसके कारण कंपनी को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
भविष्य में ऐसे हालात से निपटने की रणनीति जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए टोल कंपनियों को कर्मचारी प्रबंधन, बोनस नीति और ग्राउंड पर मजबूत निगरानी प्रणाली पर ध्यान देना होगा। वरना छोटे-छोटे विरोध बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं। यह घटना देशभर के टोल ऑपरेटर्स के लिए भी एक चेतावनी है कि कर्मचारियों की समस्याओं को अनदेखा करना भारी पड़ सकता है।


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