UPPSC परीक्षा के दौरान सीतापुर में गर्भवती अभ्यर्थी को उठा पेट दर्द, नियमों के कारण 200 मीटर पैदल चलने से बिगड़ी तबीयत। प्रशासन ने शुरू की जांच।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की प्रतिष्ठित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के दौरान एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने परीक्षा केंद्र की सख्त व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रविवार को परीक्षा दे रही एक गर्भवती महिला अभ्यर्थी की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद परीक्षा केंद्र पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस घटना ने मानवीय संवेदनशीलता और नियम-कानूनों की कठोरता के बीच एक तीखी बहस छेड़ दी है, खासकर विशेष परिस्थितियों वाले अभ्यर्थियों के लिए की जाने वाली तैयारियों को लेकर।
लखनऊ से लखीमपुर खीरी की निवासी ज्योति, पत्नी मसन बिलार, उत्तर प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए सीतापुर पहुंची थीं। उनका परीक्षा केंद्र शहर के प्रमुख शिक्षण संस्थान, जीआईसी इंटर कॉलेज, में निर्धारित किया गया था। यह केंद्र अक्सर बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए चुना जाता है, जहां सुरक्षा और नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है।
200 मीटर का दर्दनाक सफर: नियमों की जकड़न में फंसी अभ्यर्थी
घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब ज्योति को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए लगभग 200 मीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ी। यह दूरी सामान्य व्यक्ति के लिए भले ही छोटी हो, लेकिन गर्भावस्था के अंतिम चरण में पहुंची एक महिला के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हुई। उनकी माता ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि परीक्षा केंद्र पर वाहनों को दूर ही रोकने के सख्त निर्देश जारी किए गए थे। इन निर्देशों के कारण उन्हें अपनी गर्भवती बेटी को वाहन से केंद्र के मुख्य द्वार तक भी ले जाने की अनुमति नहीं मिली।
ज्योति की मां ने गहरे दुःख और आक्रोश के साथ कहा, “अगर थोड़ी सी भी मानवीय राहत दी जाती और हमें गाड़ी अंदर तक ले जाने की इजाजत मिल जाती, तो मेरी बेटी को इतनी तकलीफ नहीं होती और उसकी तबीयत नहीं बिगड़ती।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासनिक सख्ती ने उनकी बेटी की स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया। यह आरोप उन सभी अभ्यर्थियों के लिए एक गंभीर चिंतन का विषय है जो किसी विशेष शारीरिक स्थिति (जैसे गर्भावस्था, दिव्यांगता या गंभीर बीमारी) में परीक्षा देने जाते हैं।
परीक्षा हॉल में इमरजेंसी: तत्काल मदद की कार्रवाई
जीआईसी इंटर कॉलेज के परीक्षा हॉल में, परीक्षा के दौरान ज्योति को अचानक पेट में तेज दर्द की शिकायत होने लगी। दर्द इतना असहनीय था कि अन्य परीक्षार्थियों ने तत्काल इसकी सूचना परीक्षा स्टाफ को दी। केंद्र पर मौजूद स्टाफ ने बिना देर किए स्थिति की गंभीरता को समझा।
केंद्र प्रभारी ने मानवता का परिचय देते हुए तुरंत प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की और तत्काल एम्बुलेंस बुलाई। प्रारंभिक उपचार के बाद, ज्योति को तुरंत सीतापुर के जिला अस्पताल में भिजवाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने उनका इलाज शुरू किया। नवीनतम जानकारी के अनुसार, ज्योति की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है और उनका इलाज जारी है। केंद्र प्रभारी ने तत्परता दिखाते हुए घटना की जानकारी जिला प्रशासन और परीक्षा नियंत्रण कक्ष को भी पहुंचा दी।
प्रशासन का रुख और भविष्य की योजनाएं
इस संवेदनशील मामले पर परीक्षा केंद्र प्रभारी ने अपनी ओर से सफाई देते हुए कहा कि केंद्र पर सभी अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई थीं और जैसे ही ज्योति की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली, तत्काल मदद पहुंचाई गई। उन्होंने नियमों की पालना और मानवीय सहायता, दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का दावा किया।
हालांकि, ज्योति की मां के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने उच्चाधिकारियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह के संवेदनशील हालात से बचने के लिए और विशेष स्थिति वाले अभ्यर्थियों (जैसे गर्भवती महिलाएं, दिव्यांगजन और गंभीर रूप से बीमार) के लिए केंद्र तक पहुंचने और परीक्षा देने की अतिरिक्त व्यवस्था पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। यह घटना उत्तर प्रदेश की प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि नियमों की जकड़न में मानवीय पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इस पूरी घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शिक्षा और करियर की दौड़ में, स्वास्थ्य और मानवीय करुणा सर्वोपरि होनी चाहिए।

.jpg)
0 टिप्पणियाँ
आपका विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है, कृपया अपनी राय नीचे लिखें।