बरेली हिंसा का मास्टरमाइंड? पेट्रोल बम फेंकने वाला आरिफ गिरफ्तार, तौकीर रजा और पार्षद सकलैनी से जुड़े तार, खुलेंगे दंगे के सबसे बड़े राज!




 बरेली हिंसा में पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी! पुलिस पर पेट्रोल बम फेंकने वाला आरिफ गिरफ्तार. पूछताछ में उगले तौकीर रजा और पार्षद अनीस सकलैनी से जुड़े गहरे राज. पढ़ें दंगे की पूरी कहानी.

बरेली में सुलगी थी साजिश की आग, 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर बना बहाना

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में 26 सितंबर को हुई भयावह हिंसा की जांच में पुलिस ने एक महत्वपूर्ण कड़ी को जोड़ लिया है. कानून को सीधी चुनौती देते हुए पुलिसकर्मियों पर पेट्रोल बम से हमला करने वाले मुख्य आरोपी आरिफ की गिरफ्तारी ने इस मामले में कई सनसनीखेज परतों को उजागर कर दिया है. यह गिरफ्तारी न केवल हिंसा की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि उन गहरी साजिशों की ओर भी इशारा करती है जो शहर की शांति को भंग करने के लिए रची गई थीं. आरिफ की गिरफ्तारी के बाद जो खुलासे हुए हैं, वे सीधे तौर पर आईएमसी (इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां और उनके करीबी पार्षद अनीस सकलैनी की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. बरेली की सड़कों पर उस दिन जो आग भड़की थी, उसकी चिंगारी बहुत पहले से सुलग रही थी, और 'आई लव मोहम्मद' के कुछ पोस्टर इस आग को हवा देने का महज एक बहाना साबित हुए. यह मामला अब केवल एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लग रहा है, जिसका उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव पैदा कर शहर को अस्थिर करना था.

घटनाक्रम की शुरुआत कुछ पोस्टरों से हुई थी, जिन पर 'आई लव मोहम्मद' लिखा हुआ था. शहर के कुछ हिस्सों में लगे इन पोस्टरों को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया. हालांकि, यह एक ऐसा मुद्दा था जिसे बातचीत और प्रशासनिक सूझबूझ से सुलझाया जा सकता था, लेकिन इसे एक बड़े विवाद में तब्दील करने की जमीन पहले से ही तैयार की जा रही थी. इसी बीच, आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां ने एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया, जिसने माहौल को और गरमा दिया. पुलिस और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि इस आह्वान के बाद शहर में बाहरी तत्वों की सक्रियता बढ़ गई थी और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को भड़काने का एक संगठित प्रयास चल रहा था. 26 सितंबर की तारीख नजदीक आते-आते यह स्पष्ट हो गया था कि हालात सामान्य नहीं रहने वाले हैं. प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे, लेकिन साजिशकर्ताओं के इरादे कहीं ज्यादा खतरनाक थे. वे केवल विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि शहर को हिंसा की आग में झोंकने की पूरी तैयारी कर चुके थे.

26 सितंबर का वो काला दिन: जब श्यामगंज में बरपा था उपद्रवियों का कहर

26 सितंबर का दिन बरेली के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया. मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर जुटी भीड़ धीरे-धीरे बेकाबू होने लगी. शहर का सबसे व्यस्त चौराहा, श्यामगंज, एक युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया. दोपहर होते-होते, उपद्रवियों की भीड़ ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया. 'नारेबाजी' और 'विरोध' के नाम पर जो शुरू हुआ था, वह जल्द ही पथराव, आगजनी और भीषण तोड़फोड़ में बदल गया. उपद्रवियों ने कानून और व्यवस्था को पूरी तरह से अपने हाथ में ले लिया. दुकानों को निशाना बनाया गया, उनके शीशे तोड़ दिए गए और सड़कों पर खड़े वाहनों में आग लगा दी गई. पूरे इलाके में अफरा-तफरी और दहशत का माहौल था. लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे, और सड़कों पर केवल चीख-पुकार और हिंसा का तांडव था.

इस अराजकता के बीच, उपद्रवियों का सबसे बड़ा निशाना बनी उत्तर प्रदेश पुलिस. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों पर भीड़ ने बेरहमी से हमला किया. उन पर चारों तरफ से पत्थर फेंके जा रहे थे. लेकिन हद तो तब हो गई जब भीड़ ने पुलिस बल पर पेट्रोल से भरी बोतलों से हमला करना शुरू कर दिया. ये सिर्फ बोतलें नहीं थीं, ये जिंदा बम थे, जिनका मकसद ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना और पुलिस के मनोबल को तोड़ना था. श्यामगंज चौराहे पर एक के बाद एक कई पेट्रोल बम फेंके गए, जिससे आग भड़क उठी और कई पुलिसकर्मी बाल-बाल बचे. यह हमला अप्रत्याशित और बेहद खतरनाक था. यह स्पष्ट था कि यह कोई अचानक भड़का गुस्सा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया हमला था. उपद्रवियों के पास पहले से ही पेट्रोल बम मौजूद थे, जो इस बात का पुख्ता सबूत है कि वे हिंसा के इरादे से ही घर से निकले थे. इस घटना ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी और बरेली पुलिस के लिए यह एक खुली चुनौती थी.

पुलिस का शिकंजा: कैसे वीडियो और सबूतों से आरिफ तक पहुंचे जांचकर्ता

श्यामगंज में हुई हिंसा के बाद बरेली पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू किया. शहर के अलग-अलग थानों, विशेषकर बारादरी थाने में, इस मामले से संबंधित कुल दस मुकदमे दर्ज किए गए. पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन हजारों की भीड़ में से असली गुनहगारों की पहचान करना था, जिन्होंने इस हिंसा को अंजाम दिया और पर्दे के पीछे से इसे निर्देशित किया. इसके लिए एक मल्टी-प्रोंग जांच रणनीति अपनाई गई. जांच का सबसे महत्वपूर्ण आधार बने डिजिटल सबूत. घटनास्थल और उसके आसपास लगे सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगाला गया. इसके अलावा, मीडियाकर्मियों और आम नागरिकों द्वारा बनाए गए मोबाइल वीडियो और तस्वीरों को भी जांच के दायरे में लिया गया.

पुलिस की कई टीमों को सिर्फ इस वीडियो विश्लेषण के काम में लगाया गया. घंटों की फुटेज को बार-बार देखकर एक-एक चेहरे की पहचान करने की कोशिश की गई. इसी meticulou जांच के दौरान, एक युवक का चेहरा बार-बार सामने आ रहा था, जो न केवल भीड़ का नेतृत्व कर रहा था, बल्कि पुलिस पर सबसे आक्रामक तरीके से हमला कर रहा था. वीडियो में यह शख्स साफ तौर पर पुलिस की तरफ पेट्रोल से भरी बोतलें फेंकता हुआ दिखाई दिया. उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने अपने स्थानीय मुखबिर नेटवर्क को सक्रिय किया. जल्द ही, इस खतरनाक उपद्रवी की पहचान आरिफ, पुत्र मुन्ने, निवासी हजियापुर, के रूप में हुई. आरिफ का नाम सामने आते ही पुलिस ने उसके आपराधिक रिकॉर्ड और राजनीतिक संबंधों की जांच शुरू कर दी, जिससे जांच की दिशा पूरी तरह बदल गई. सबूतों के पुख्ता होने के बाद, बारादरी थाना पुलिस ने आरिफ को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और उसे सफलतापूर्वक हिरासत में ले लिया.

आरिफ की गिरफ्तारी और चौंकाने वाला कबूलनामा: पार्षद अनीस सकलैनी का आया नाम

आरिफ की गिरफ्तारी इस मामले में एक मील का पत्थर साबित हुई. बारादरी थाना प्रभारी धनंजय पांडेय के नेतृत्व में पुलिस टीम ने जब आरिफ से सख्ती से पूछताछ शुरू की, तो वह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. लेकिन उसका कबूलनामा सिर्फ पेट्रोल बम फेंकने तक सीमित नहीं था. उसने जो खुलासे किए, वे बरेली हिंसा की पूरी साजिश को उजागर करने वाले थे. आरिफ ने पुलिस को बताया कि वह अकेला काम नहीं कर रहा था, बल्कि वह एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसके तार सीधे तौर पर आईएमसी के एक प्रभावशाली नेता से जुड़े थे.

आरिफ ने अपने कबूलनामे में पार्षद अनीस सकलैनी का नाम लिया. उसने बताया कि अनीस सकलैनी, जो मौलाना तौकीर रजा खां के बेहद करीबी माने जाते हैं, ने ही उसे और उसके जैसे कई लड़कों को 26 सितंबर को श्यामगंज पहुंचने का निर्देश दिया था. आरिफ के अनुसार, अनीस सकलैनी ने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्हें विरोध प्रदर्शन को सफल बनाना है और अगर पुलिस रोके तो पीछे नहीं हटना है. आरिफ ने बताया कि सकलैनी के कहने पर ही वह अपने मोहल्ले हजियापुर से कुछ अन्य लड़कों को इकट्ठा करके श्यामगंज पहुंचा था. वहां पहुंचकर, उन्होंने योजना के अनुसार नारेबाजी शुरू की और इस्लामिया ग्राउंड की तरफ बढ़ने की कोशिश की, जो एक प्रतिबंधित क्षेत्र था. जब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग का इस्तेमाल किया, तो उन्होंने सकलैनी के निर्देशों का पालन करते हुए बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिसकर्मियों के साथ सीधे टकराव में उलझ गए. आरिफ का यह कबूलनामा पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता थी, क्योंकि इसने पहली बार सड़क पर हिंसा करने वाले एक प्यादे को उसके राजनीतिक आका से सीधे तौर पर जोड़ दिया था.

पेट्रोल बम का सच: आरिफ ने उगला राज, पुलिस पर हमले की थी पूरी तैयारी

पूछताछ के दौरान आरिफ ने पुलिस पर पेट्रोल बम से हमला करने की बात भी विस्तार से बताई. इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय के अनुसार, आरिफ ने स्वीकार किया कि जब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग शुरू किया, तो उसने खुद पेट्रोल से भरी कांच की बोतलें जलाईं और उन्हें पुलिस टीम की ओर फेंक दिया. उसका मकसद पुलिस को आतंकित कर पीछे धकेलना था ताकि भीड़ आगे बढ़ सके. पुलिस की जांच और मौके से मिले सबूतों ने आरिफ के बयान की पुष्टि की. फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से जली हुई बोतलों के टुकड़े, पेट्रोल के अंश और अन्य सामग्री बरामद की थी, जो एक सुनियोजित हमले की ओर इशारा कर रहे थे.

यह खुलासा बेहद गंभीर था. यह दर्शाता है कि उपद्रवी केवल पत्थरबाजी करने के इरादे से नहीं आए थे; वे घातक हथियारों से लैस थे और पुलिसकर्मियों की जान लेने के लिए भी तैयार थे. पेट्रोल बम का इस्तेमाल यह साबित करता है कि यह हिंसा espontáneo नहीं, बल्कि एक पूर्व-नियोजित आपराधिक साजिश (pre-planned criminal conspiracy) का हिस्सा थी. पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि ये पेट्रोल बम किसने बनाए, इन्हें कहां से लाया गया और कितने लोगों को इन्हें इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. आरिफ का कबूलनामा इस जांच में एक महत्वपूर्ण सुराग है, और इसके आधार पर पुलिस अब इस साजिश में शामिल अन्य लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.

सलाखों के पीछे आरिफ, क्या अब खुलेंगे बरेली हिंसा के सारे परत?

अपना जुर्म कबूल करने के बाद, पुलिस ने आरोपी आरिफ को अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. हालांकि, आरिफ की गिरफ्तारी इस कहानी का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है. बरेली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि 26 सितंबर के बवाल में अब तक 105 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, जिनमें मौलाना तौकीर रजा समेत कई बड़े नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं. लेकिन आरिफ की गिरफ्तारी इसलिए खास है क्योंकि वह सीधे तौर पर उस हिंसक कार्रवाई में शामिल था और अब उसने अपने आका का नाम भी उजागर कर दिया है.

जांच एजेंसियां अब आरिफ के बयान को आधार बनाकर पार्षद अनीस सकलैनी की भूमिका की जांच कर रही हैं. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या सकलैनी ने अपनी मर्जी से ऐसा किया या उन्हें भी ऊपर से किसी का निर्देश मिला था. यह पूरी घटना एक बड़ी और गहरी साजिश की ओर इशारा करती है, जिसका मकसद केवल एक दिन का विरोध नहीं, बल्कि शहर में लंबे समय तक चलने वाले सांप्रदायिक तनाव को पैदा करना था. जांच में यह भी सामने आया है कि हिंसा को भड़काने के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था. व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिए अफवाहें फैलाई गईं और युवाओं को एक खास जगह पर इकट्ठा होने के लिए उकसाया गया. पुलिस अब इन सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी जांच कर रही है.

बरेली पुलिस का एक्शन मोड जारी, रडार पर कई और चेहरे

आरिफ की गिरफ्तारी और उसके कबूलनामे के बाद बरेली पुलिस का मनोबल बढ़ा है और उसने अपनी कार्रवाई और तेज कर दी है. अब पुलिस का अगला निशाना वे लोग हैं जिन्होंने भीड़ को भड़काया, जिन्होंने हिंसा के लिए धन मुहैया कराया और जो हथियारों के साथ सड़कों पर उतरे थे. पुलिस टीमें लगातार सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो का विश्लेषण कर रही हैं ताकि और अधिक उपद्रवियों की पहचान की जा सके. बारादरी थानाध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो. शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखने और किसी भी तरह की अफवाह को फैलने से रोकने के लिए पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है. बरेली पुलिस इस मामले की तह तक जाने और हर उस चेहरे को बेनकाब करने के लिए प्रतिबद्ध है जो इस शांतिपूर्ण शहर को दंगे की आग में झोंकने के लिए जिम्मेदार है. आने वाले दिनों में इस मामले में और भी कई बड़ी गिरफ्तारियां होने की संभावना है.

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