8वीं-10वीं पास मास्टरमाइंड ने बनाई फर्जी कंपनी, युवाओं को नौकरी का झांसा देकर ठगे लाखों; 14 गिरफ्तार



मिर्जापुर में 8वीं-10वीं पास युवकों ने फर्जी कंपनी बनाकर नौकरी का झांसा देकर ठगे लाखों, पुलिस ने 14 गिरफ्तार कर 8 लाख बरामद किए।

फर्जी नौकरी का जाल और मिर्जापुर पुलिस की कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। यहां नौकरी का सपना दिखाकर युवाओं से मोटी रकम ऐंठने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। पुलिस ने 8वीं और 10वीं पास दो मास्टरमाइंड समेत कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन लोगों ने लीड विजन ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई थी, जहां नौकरी की तलाश में आए युवकों से 22,000 रुपये जमा कराए जाते थे। इसके बाद उन्हें नकली ट्रेनिंग के नाम पर बुलाया जाता और वहां बंधक बनाकर उनसे जबरन नकली प्रोडक्ट बेचने के लिए दबाव डाला जाता था।

नौकरी के नाम पर ठगी की कहानी

कटरा कोतवाली में रहने वाले एक पीड़ित तनिष उमराव की तहरीर पर यह मामला खुला। पीड़ित ने आरोप लगाया कि कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उससे और अन्य युवाओं से धन उगाही की गई। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा के निर्देश पर कटरा पुलिस, एसओजी और सर्विलांस टीम ने जंगीरोड ककरहवा इलाके में छापेमारी की और 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने मौके से तीन मोटरसाइकिल, 10 मोबाइल फोन, कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर और ठगे गए 8 लाख रुपये जब्त किए, जिन्हें बैंक में सीज करा दिया गया।

ट्रेनिंग के नाम पर बंधक बनाकर कराया जाता था काम

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वे अलग-अलग जिलों से युवाओं को संपर्क कर नौकरी का ऑफर देते थे। उम्मीदवार से पहले 22,000 रुपये जमा कराए जाते और फिर उन्हें ट्रेनिंग के नाम पर ऑफिस बुलाया जाता। ऑफिस पहुंचने के बाद युवाओं को बंधक बनाकर उनसे कहा जाता कि वे कंपनी के फर्जी प्रोडक्ट बेचें और तीन और लोगों को इस नेटवर्क से जोड़ें। जो लोग विरोध करते उन्हें धमकाया और मारा-पीटा भी जाता। इतना ही नहीं, जान से मारने की धमकी देकर उनसे जबरन नकली ब्यूटी प्रोडक्ट्स और अन्य सामान खरीदवाए जाते थे।

आरोपी और उनकी पृष्ठभूमि

पुलिस जांच में पता चला कि गिरफ्तार आरोपी अलग-अलग जिलों से हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के लोग शामिल हैं। इनमें बुलंदशहर, अलीगढ़, मऊ, हरदोई, कानपुर, सहरसा और शिवनी जैसे जिलों के नाम सामने आए हैं। पकड़े गए आरोपियों में शेष अवतार तलवार, अरविंद डोरीनगर, बब्लू गुप्ता, हवन सिंह, पवन मौमा, निखिल कुमार, लवकुश, निलेश सक्सेना, विजय सक्सेना, राजा कुमार, संतोष, रंजीत कुमार, प्रांशु तिवारी और सत्यम शामिल हैं। इस गैंग के मास्टरमाइंड बब्लू गुप्ता और राजा कुमार बताए जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से एक सिर्फ 10वीं पास है और दूसरा 8वीं पास, लेकिन दोनों ने मिलकर करोड़ों की ठगी करने वाला गिरोह खड़ा कर दिया।

युवाओं का शोषण और कंपनी का असली चेहरा

यह कंपनी बाहर से देखने में वैध लगती थी, लेकिन असल में यह एक धोखाधड़ी का जाल थी। यहां आने वाले बेरोजगार युवाओं को सुनहरे भविष्य का सपना दिखाया जाता। उनसे कहा जाता कि नौकरी के बाद उन्हें अच्छी सैलरी, ट्रेनिंग और प्रमोशन मिलेगा। मगर हकीकत यह थी कि उन्हें नकली सामान बेचने और लोगों को जोड़ने के काम में लगाया जाता। असल में यह एक तरह का चेन सिस्टम था, जहां हर नया शिकार उनके लिए कमाई का जरिया बनता। विरोध करने वालों को पीटा जाता और धमकाया जाता।

पुलिस की बड़ी उपलब्धि

मिर्जापुर पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बड़े ठगी रैकेट का अंत कर दिया है। पुलिस ने सिर्फ आरोपियों को गिरफ्तार ही नहीं किया, बल्कि पीड़ित युवाओं की भी मदद की। पुलिस ने बरामद की गई राशि को बैंक में सीज कर पीड़ितों को वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही कंपनी के नेटवर्क और बाकी फरार आरोपियों की तलाश भी जारी है।

समाज में फैला आक्रोश

इस घटना ने समाज में गुस्सा और आक्रोश फैला दिया है। बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं को नौकरी का लालच देकर ठगना समाज के लिए शर्मनाक है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी फर्जी कंपनी इतनी देर तक कैसे चलती रही। वहीं पुलिस का कहना है कि अब और भी ऐसे गिरोहों पर कार्रवाई की जाएगी ताकि कोई भी बेरोजगार इस तरह के जाल में न फंसे।

बेरोजगारी और अपराध का संगम

मिर्जापुर का यह मामला सिर्फ एक धोखाधड़ी नहीं, बल्कि एक सामाजिक सच्चाई को भी उजागर करता है। बेरोजगारी के चलते युवा ठगी के ऐसे शिकार बन रहे हैं। छोटे-छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक, नौकरी की तलाश करने वाले युवा अक्सर फर्जी कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं। यही कारण है कि यह केस समाज के लिए एक चेतावनी है। सरकार और प्रशासन को ऐसे नेटवर्क्स पर और कड़ी निगरानी रखनी होगी।

मिर्जापुर का यह फर्जी नौकरी घोटाला दिखाता है कि किस तरह कुछ लोग बेरोजगारी और युवाओं की मजबूरी का फायदा उठाकर ठगी का साम्राज्य खड़ा कर लेते हैं। 8वीं और 10वीं पास जैसे लोग जब ऐसे गिरोह के मास्टरमाइंड बन सकते हैं तो यह सोचने वाली बात है कि ऐसे ठगों से बचने के लिए समाज और सरकार को कितनी सतर्कता की जरूरत है। पुलिस की समय पर कार्रवाई ने जहां सैकड़ों युवाओं को राहत दी है, वहीं आने वाले समय में यह केस एक नजीर बनेगा।

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