लखनऊ KGMU अस्पताल में डॉक्टरों ने सिद्धार्थनगर के रामू की आंख से 6 सेमी लंबा कांच निकालकर जान बचाई, दिमाग और आंख दोनों सुरक्षित
हादसा जिसने बदल दी जिंदगी
सिद्धार्थनगर के रहने वाले रामू यादव का हादसा एक साधारण दिन को दर्दनाक याद में बदल गया। वह अपने ऑटो से सफर कर रहे थे जब अचानक ऑटो का शीशा टूट गया और उसके टुकड़े चारों तरफ बिखर गए। कुछ छोटे-बड़े टुकड़े उनके गले और चेहरे पर लगे, लेकिन असली खतरा उस समय पैदा हुआ जब 6 सेंटीमीटर लंबा धारदार कांच का टुकड़ा सीधे उनकी दाईं आंख में जा धंसा। यह टुकड़ा सिर्फ आंख तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि दिमाग तक पहुंच गया। हादसे की गंभीरता समझते ही परिवार उन्हें तुरंत लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचा।
KGMU के डॉक्टर्स का बड़ा चैलेंज
जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि कांच का टुकड़ा बेहद नाजुक जगह पर फंसा हुआ है। जरा सी चूक से रामू की आंख की रोशनी जा सकती थी और दिमाग को भी गंभीर नुकसान पहुंच सकता था। न्यूरोसर्जरी, एनेस्थीसिया और नेत्र विभाग की संयुक्त टीम ने इस जटिल केस को संभालने का फैसला किया। टीम में न्यूरोसर्जरी के डॉ. अंकुर बजाज, डॉ. मित्रजीत, डॉ. साहिल, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. बृजेश प्रताप सिंह और नेत्र विभाग के डॉ. गौतम व डॉ. प्रियंका शामिल थे।
सर्जरी का रोमांचक पल
ऑपरेशन थिएटर का माहौल बेहद तनावपूर्ण था। डॉक्टर्स के सामने दोहरी चुनौती थी—पहली, दिमाग के बेहद संवेदनशील हिस्से को बिना छुए कांच निकालना और दूसरी, आंख की रोशनी बचाना। कई घंटों की मेहनत और अनुभव ने आखिरकार कमाल कर दिखाया। डॉक्टर्स ने 6 सेंटीमीटर लंबा कांच का टुकड़ा सुरक्षित तरीके से निकाल लिया।
मरीज की आंख और दिमाग दोनों सुरक्षित
सर्जरी के बाद सबसे बड़ी राहत यह रही कि न सिर्फ रामू की आंख की रोशनी बच गई बल्कि उनके दिमाग को भी कोई नुकसान नहीं हुआ। डॉक्टरों ने बताया कि यह केस बेहद दुर्लभ था और इसमें मिली सफलता मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।
परिवार की भावुक प्रतिक्रिया
रामू की पत्नी ने डॉक्टरों को भगवान बताते हुए कहा कि जिस पल उन्हें खबर मिली कि उनकी आंख और जान दोनों सुरक्षित हैं, उसी पल उनका विश्वास मेडिकल साइंस पर और मजबूत हो गया। उनके शब्दों में, "मेरे पति दूसरी जिंदगी पाए हैं और इसके लिए हम हमेशा KGMU के डॉक्टरों के आभारी रहेंगे।"
मरीज की आवाज
ऑपरेशन के बाद जब रामू को होश आया तो उन्होंने सबसे पहले डॉक्टरों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "मैंने सोचा था कि शायद मेरी आंख चली जाएगी या फिर मैं बचूंगा ही नहीं, लेकिन डॉक्टर्स ने मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दिया है।"
डॉक्टर्स की अपील
इस पूरे मामले के बाद KGMU के डॉक्टर्स ने लोगों से अपील की कि कभी भी सस्ती और नकली क्वालिटी का कांच अपनी गाड़ियों में न लगवाएं। ऐसे हादसों में नकली कांच के टुकड़े जानलेवा साबित हो सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सड़क हादसों में अक्सर ऐसे ही मामले सामने आते हैं, जहां असली और मजबूत ग्लास की जगह नकली कांच होने से गंभीर चोटें लगती हैं।
मेडिकल साइंस के लिए मिसाल
इस सर्जरी को मेडिकल साइंस की बड़ी उपलब्धियों में गिना जा रहा है। जहां एक तरफ मरीज का जीवन बचा वहीं आंखों की रोशनी भी सुरक्षित रही। आमतौर पर ऐसी सर्जरी में आंख की रोशनी खत्म हो जाना आम बात है। लेकिन टीम वर्क और विशेषज्ञता ने इस असंभव लगने वाले काम को संभव कर दिखाया।
लखनऊ का यह मामला इस बात का सबूत है कि डॉक्टर्स धरती के भगवान क्यों कहे जाते हैं। KGMU की टीम ने न केवल एक मरीज की जिंदगी बचाई बल्कि यह भी साबित कर दिया कि जटिल से जटिल मेडिकल केस में भी इंसानी हिम्मत और विज्ञान के मिलन से करिश्मा संभव है। सिद्धार्थनगर के रामू यादव अब जिंदगी का दूसरा मौका जी रहे हैं और उनके परिवार के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।


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