GST सुधारों से रोजमर्रा के सामान और बीमा पर टैक्स घटा, व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दिवाली पर मिला ऐतिहासिक तोहफा
जीएसटी में ऐतिहासिक बदलाव से दिवाली पर उपभोक्ताओं और व्यापारियों को राहत
भारत में जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद से अब तक कई बार कर दरों में संशोधन किए गए, लेकिन इस बार जीएसटी परिषद ने ऐसा बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है जिसे दिवाली गिफ्ट करार दिया जा रहा है। उपभोक्ताओं और व्यापारियों को सीधे राहत देने वाले इस सुधार से बाजार में नई ऊर्जा आ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन सुधारों की घोषणा की और कहा कि यह कदम उपभोग को बढ़ावा देने और छोटे व्यापारियों को सशक्त करने के उद्देश्य से लिया गया है।
रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स में कमी
जीएसटी परिषद ने फैसला किया है कि आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ी वस्तुओं को 5% के स्लैब में लाया गया है। साबुन, डिटर्जेंट, टूथपेस्ट, कपड़े, रेडीमेड गारमेंट्स, जूते-चप्पल और मोबाइल एक्सेसरीज़ जैसी वस्तुओं पर टैक्स कम कर दिया गया है। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स, बिस्किट, मिठाई, पैक्ड फूड प्रोडक्ट्स, दूध से बने पैक्ड सामान, चाय, कॉफी और मसाले भी अब सस्ते मिलेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उपभोक्ता खर्च में भारी बढ़ोतरी होगी और घरेलू खपत का स्तर तेजी से बढ़ेगा।
कंज्यूमर ड्युरेबल्स और वाहनों पर नई दरें
टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, एसी और अन्य घरेलू उपकरणों को 18% के स्लैब में रखा गया है। इसके साथ ही 1200 सीसी तक की कारें भी इसी स्लैब में शामिल की गई हैं। इसका असर मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं पर सीधा पड़ेगा क्योंकि अब उन्हें बड़े घरेलू उपकरण और वाहन पहले से किफायती दरों पर उपलब्ध होंगे।
बीमा सेवाओं पर जीएसटी से राहत
सरकार ने स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा जैसी सेवाओं पर जीएसटी से छूट प्रदान की है। महामारी के बाद से बढ़ती स्वास्थ्य लागत और प्रीमियम दरों के चलते आम परिवारों पर बोझ काफी बढ़ गया था। इस राहत से मध्यम वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों को बड़ा फायदा होगा और बीमा कवरेज को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी।
तंबाकू और गुटखा पर सख्ती
जहां उपभोक्ताओं और व्यापारियों को राहत दी गई है वहीं सरकार ने हानिकारक उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिया है। तंबाकू, गुटखा और सिगरेट जैसी वस्तुओं पर 40% तक का कर लगाया गया है। इसका उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य जोखिमों को कम करना है बल्कि राजस्व संग्रह को भी मजबूत करना है।
छोटे व्यापारियों और खुदरा बाजार पर असर
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बताया है। संगठन का कहना है कि दर पुनर्गठन से छोटे व्यापारियों को बढ़ी हुई मांग का सीधा फायदा मिलेगा। खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं की खरीद बढ़ेगी, जिससे दुकानदारों और थोक विक्रेताओं की बिक्री में इजाफा होगा।
औद्योगिक उत्पादन और रोजगार पर प्रभाव
खपत में तेजी आने के साथ ही औद्योगिक उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिलेगा। जब उपभोग बढ़ेगा तो उद्योगों को अधिक उत्पादन करना होगा और इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस सुधार से आने वाले वर्षों में औद्योगिक गतिविधियों में नई गति देखने को मिलेगी।
जीएसटी अनुपालन में सरलता
नई दर संरचना से कर प्रणाली सरल और पारदर्शी होगी। छोटे व्यापारी जो पहले जटिल अनुपालन से परेशान रहते थे, अब आसानी से कर भुगतान कर सकेंगे। सरकार धीरे-धीरे जीएसटी को केवल दो प्रमुख दरों की दिशा में ले जा रही है, जिससे कर संग्रह बेहतर होगा और व्यापार जगत को स्थिरता मिलेगी।
अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर असर
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक इन सुधारों से घरेलू खपत में त्योहारी सीजन के दौरान 78% तक बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वित्तीय वर्ष में जीडीपी में 0.5% से 0.7% तक की अतिरिक्त वृद्धि संभव है। यह न केवल राजस्व में इजाफा करेगा बल्कि भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को भी मजबूती देगा।
कैट की प्रतिक्रिया
कैट के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुमित अग्रवाल ने कहा कि सरकार का यह कदम केवल टैक्स सुधार नहीं बल्कि भारतीय व्यापार का स्वर्णिम अध्याय है। इस सुधार से छोटे व्यापारी प्रतिस्पर्धा में मजबूत होंगे, व्यापारिक गतिविधियों को नई ऊर्जा मिलेगी और खुदरा क्षेत्र को गति मिलेगी। उनका कहना है कि यह सुधार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जीएसटी सुधारों ने इस बार दिवाली को खास बना दिया है। रोजमर्रा के सामान, घरेलू उपकरण और बीमा सेवाओं पर राहत ने आम आदमी को बड़ी खुशखबरी दी है, जबकि छोटे व्यापारी और खुदरा विक्रेता भी उत्साहित हैं। आने वाले महीनों में इसका असर न केवल बाजार की रौनक पर बल्कि देश की आर्थिक प्रगति पर भी साफ तौर पर दिखाई देगा। यह सुधार वाकई 1991 के उदारवाद के बाद सबसे बड़ा आर्थिक मील का पत्थर माना जा रहा है।


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