‘तू काली है, ये क्रीम तुझे गोरा करेगी’ कहकर पति ने पत्नी पर डाला एसिड और लगा दी आग, अब 8 साल बाद मिली फांसी की सजा


उदयपुर में पत्नी पर एसिड डालकर आग लगाने वाले पति किशन दास को कोर्ट ने 8 साल बाद फांसी की सजा सुनाई, समाज में दहशत


उदयपुर पत्नी हत्याकांड: 8 साल बाद आया ऐतिहासिक फैसला, पति को फांसी की सजा

घटना जिसने पूरे उदयपुर को हिला दिया

राजस्थान के उदयपुर जिले में 24 जून 2017 की रात एक ऐसा दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने पूरे समाज को झकझोर दिया। नवानिया थाना क्षेत्र के किशन दास उर्फ किशन लाल ने अपनी पत्नी लक्ष्मी को केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि उसका रंग सांवला था। पति ने कुत्सित मानसिकता का परिचय देते हुए पत्नी को “काली” कहकर ताने दिए और फिर ‘गोरी बनाने वाली क्रीम’ बताकर उसके पूरे शरीर पर एसिडनुमा रसायन लगा दिया। इसके बाद जलती अगरबत्ती से उसके शरीर को दागा, जिसके कारण लक्ष्मी आग की लपटों में घिर गई और तड़प-तड़पकर मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

समाज को झकझोर देने वाला अपराध

यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि सामाजिक मानसिकता पर गहरी चोट थी। आरोपी पति किशन दास पत्नी को अक्सर “काली-मोटी” कहकर अपमानित करता था। लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के चलते यह स्थिति बनी कि एक दिन उसने उसे बेरहमी से मौत के हवाले कर दिया। उस रात को याद कर आज भी उदयपुर के लोग सिहर उठते हैं।

घटना के बाद की स्थिति

लक्ष्मी की दर्दनाक मौत के बाद इलाके में दहशत फैल गई थी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले को समाज और मीडिया ने भी गंभीरता से उठाया, जिसके बाद केस की पैरवी तेज हुई। उदयपुर के मावली अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में इस केस की सुनवाई चली, जिसमें अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किए।

14 गवाह और 36 दस्तावेज बने सजा की बुनियाद

लोक अभियोजक दिनेश चंद्र पालीवाल ने अदालत में मजबूत दलीलें रखीं। अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों और 36 दस्तावेजों के आधार पर साबित किया कि आरोपी ने पत्नी की योजनाबद्ध तरीके से हत्या की। अदालत ने गवाहों के बयानों और सबूतों को स्वीकार करते हुए आरोपी को दोषी करार दिया।

अदालत ने सुनाया फांसी का ऐतिहासिक फैसला

मावली अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश राहुल चौधरी ने कहा कि यह अपराध केवल एक महिला की हत्या भर नहीं है, बल्कि यह “आत्मा को झकझोर देने वाला अपराध” है। अदालत ने साफ कहा कि ऐसे अपराधी का पुनर्वास संभव नहीं है, इसलिए उसे मृत्युदंड दिया जाता है। साथ ही अदालत ने दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

फैसले पर लोगों की प्रतिक्रिया

अदालत का यह फैसला सुनकर मौजूद लोग संतुष्ट दिखे और इसे महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की दिशा में एक सशक्त कदम बताया। स्थानीय लोगों ने कहा कि इस तरह के फैसले समाज में भय का माहौल पैदा करेंगे और भविष्य में कोई भी अपराधी महिला के खिलाफ इस स्तर की क्रूरता करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर होगा।

महिला उत्पीड़न के खिलाफ संदेश

इस केस ने एक बार फिर साबित किया कि महिला उत्पीड़न और घरेलू हिंसा समाज के लिए घातक है। अदालत का यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि यह पूरे समाज को यह संदेश देता है कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

8 साल की लंबी लड़ाई का अंत

2017 से लेकर 2025 तक यह केस अदालत में चलता रहा। आठ साल बाद जब अदालत ने दोषी पति को फांसी की सजा सुनाई तो पीड़िता के परिवार और समाज को राहत मिली। यह फैसला न केवल न्यायपालिका की सख्ती को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि देर से ही सही, न्याय जरूर मिलता है।

उदयपुर पत्नी हत्या मामला भारत के उन मामलों में से एक है, जिसने यह साबित कर दिया कि घरेलू हिंसा और महिलाओं के प्रति भेदभाव किस हद तक घातक हो सकता है। अदालत का यह फैसला आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सख्त संदेश है कि स्त्री के सम्मान और अधिकारों से खिलवाड़ करने वाले अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

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