रायबरेली थप्पड़ कांड: स्वामी प्रसाद मौर्य को थप्पड़ मारने वाले को मिला 11 लाख का इनाम, जूते मारने पर 21 लाख देने का ऐलान, सियासत में बवाल


रायबरेली में स्वामी प्रसाद मौर्य थप्पड़ कांड ने सियासत गरमा दी, 11 लाख का इनाम और जूते मारने पर 21 लाख देने का ऐलान


रायबरेली में थप्पड़ कांड से गरमाई राजनीति

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों रायबरेली का एक मामला चर्चा का केंद्र बना हुआ है, जहां पूर्व कैबिनेट मंत्री और अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य को एक युवक ने मंच पर थप्पड़ जड़ दिया था। यह घटना रक्षाबंधन के दिन की है, जब मौर्य रायबरेली में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। तभी अचानक मंच पर मौजूद एक युवक ने उन पर हाथ उठा दिया। यह घटना वहां मौजूद भीड़ के बीच चौंकाने वाली थी और देखते ही देखते यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

थप्पड़ मारने की घटना के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दो युवकों को गिरफ्तार किया। उनकी पहचान शिवम यादव और रोहित द्विवेदी के रूप में हुई। पुलिस ने दोनों पर हमला करने के आरोप में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया। गिरफ्तारी के बाद से ही यह मामला राजनीतिक रंग लेने लगा।

रक्षाबंधन पर जेल से रिहाई

रक्षाबंधन के दिन ही दोनों आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया। जैसे ही रोहित द्विवेदी अपने घर पहुंचा, वहां लोगों का तांता लग गया। लोग बधाई देने और समर्थन जताने के लिए उसके घर पहुंचने लगे। इसी दौरान रायबरेली जिले के सलोन कोतवाली क्षेत्र के मटका गांव के रहने वाले आशीष तिवारी भी पहुंचे, जिन्होंने इस घटना को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया।

11 लाख का इनाम और नया विवाद

आशीष तिवारी ने रोहित द्विवेदी को 11 लाख रुपये का चेक इनाम के रूप में सौंपा। उन्होंने यह चेक अपनी पत्नी ममता तिवारी के चेक बुक से जारी किया। आशीष तिवारी ने बयान दिया कि यह तो सिर्फ शुरुआत है, अगर कोई स्वामी प्रसाद मौर्य को जूते मारेगा तो उसे 21 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। इस ऐलान ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है।

इनाम पर स्वामी प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रिया

स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस इनाम पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन पर हमला करने वाले बीजेपी के गुंडे हैं और यह सब एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। मौर्य ने कहा कि कुछ लोग मेरी जुबान काटने पर 10 लाख, सर कलम करने पर 50 लाख और अब जूते मारने पर 21 लाख रुपये देने की बात कह रहे हैं। उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला करार दिया।

सनातन धर्म और ब्राह्मण समुदाय पर विवादित बयान की पृष्ठभूमि

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह हमला और इनाम की घोषणा मौर्य के उन बयानों की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है, जिनमें उन्होंने सनातन धर्म और ब्राह्मण समुदाय पर टिप्पणी की थी। उनके इन बयानों से कई वर्गों में नाराजगी फैल गई थी और कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुए। अब यह थप्पड़ कांड और इनाम की घोषणा उसी नाराजगी की कड़ी मानी जा रही है।

सोशल मीडिया पर बहस और प्रतिक्रिया

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया, जिससे बहस छिड़ गई। कुछ लोग हमलावरों के समर्थन में पोस्ट लिख रहे हैं, जबकि कई लोग इसे कानून व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बता रहे हैं। इनाम की घोषणा पर भी सोशल मीडिया पर गर्मागर्म बहस जारी है, जहां एक पक्ष इसे ‘जनता का गुस्सा’ बता रहा है तो दूसरा पक्ष इसे ‘अपराध को बढ़ावा’ करार दे रहा है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी बयान दिए हैं। विपक्षी दलों ने मौर्य के खिलाफ जनता के गुस्से को उनकी कथित विवादित बयानबाजी का नतीजा बताया, वहीं मौर्य के समर्थकों ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया। बीजेपी ने इस घटना से दूरी बनाते हुए कहा कि पार्टी हिंसा के किसी भी रूप का समर्थन नहीं करती।

कानूनी पहलू और पुलिस की जांच

इनाम की घोषणा के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस यह जांच कर रही है कि सार्वजनिक रूप से हिंसा को बढ़ावा देने वाली इन घोषणाओं पर कानूनी कार्रवाई कैसे की जाए। साथ ही, आरोपियों की पृष्ठभूमि और उनके राजनीतिक संबंधों की भी जांच की जा रही है।

रायबरेली की राजनीति में नया मोड़

रायबरेली की राजनीति में यह घटना एक बड़ा मोड़ बन सकती है। यहां पहले से ही विभिन्न पार्टियों के बीच तीखी बयानबाजी चल रही है। अब इस थप्पड़ कांड और इनाम की घोषणा ने इसे और भड़का दिया है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा किस तरह असर डालेगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।

रायबरेली में स्वामी प्रसाद मौर्य थप्पड़ कांड ने न सिर्फ स्थानीय बल्कि प्रदेश स्तर की राजनीति में भूचाल ला दिया है। 11 लाख रुपये का इनाम और जूते मारने पर 21 लाख रुपये देने का ऐलान इसे एक अलग ही विवाद में बदल रहा है। यह मामला कानून, राजनीति, समाज और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता—चारों पहलुओं से गहराई से जुड़ा है, जिससे आने वाले समय में यह और भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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